Trending

बच्चों की भाषा और अध्यापक किताब – कृष्ण कुमार

स्कूल में बच्चों को भाषा कैसे सिखाएं? एक बच्चा भाषा कैसे सीखता है? बच्चे अपनी पहली भाषा को कैसे सीखते हैं? इस प्रक्रिया में शिक्षक उनकी मदद कैसे कर सकते हैं? इन तमाम सवालों के जवाब दिल्ली विश्वविद्यालय में शिक्षाशास्त्र के प्रोफ़ेसर कृष्ण कुमार जी की पुस्तक बच्चों की भाषा और अध्यापक में मिलते हैं.

यह एक शानदार किताब है जो अनुभवों के खजाने से भरी हुई है. यह किताब बच्चों की भाषा के बहाने उम्र में बड़े अध्यापकों को भाषा का ककहरा सिखाती है. उनके प्रति पूर्वाग्रहों के किलों को ध्वस्त करती है.

यह किताब भाषा को जीवन के क्रियाकलापों और दुनिया को समझने का माध्यम कहकर भाषा के विस्तृत क्षितिज का द्वार खोलती है. इस किताब को पढ़ना संवाद के रोमांचक अनुभवों से गुजरने जैसा है. किताब कहती है कि भाषा का उपयोग संचार के अतिरिक्त सोचने, महसूसने और लोगों से जुड़ने के लिए भी किया जाता है. दुनिया को समझने के लिए भाषा एक महत्वपूर्ण औजार है. भाषा में इस्तेमाल होने वाले शब्दों का क्रियाओं के साथ जुड़ना उनको अर्थ प्रदान करता है. जैसे किसी काम को करने के दौरान होने वाली बातचीत काम में आने वाली बाधाओं के समाधान में सहायक होती है.

इस पुस्तक में प्रोफ़ेसर कृष्ण कुमार लिखते हैं कि जीवन के अनुभवों का निर्माण सुनने, कहने, लिखने और पढ़ने से भी होता है. पढ़ने में जीवनी, कविता, कहानी, उपन्यास, अखबार, पत्रिका आदि के अध्ययन को शामिल किया जा सकता है. इसके अतिरिक्त टेलिविजन देखना और लोगों से संवाद करना भी जीवन के अनुभवों का निर्माण करने का माध्यम बनता है.  वो लिखते हैं कि हर मनुष्य में जिज्ञासा सहज रूप में मौजूद होती है, जिसके कारण उसके मन में तरह-तरह के सवाल उठते रहते हैं. अपने सवालों का जवाब जानने की सहज इच्छा ही उसे लोगों से संवाद करने और चीजों को समझने के लिए बेचैन करती है. लोगों से संवाद के क्रम में कुछ सवालों का समाधान होता है और कुछ सवाल अनुत्तरित रहते हैं, जो हमारी स्मृति में मौजूद रहते हैं.

समस्याओं का समाधान तलाशने और जवाब खोजने की पूरी प्रक्रिया में नए सवाल भी आते रहते हैं. नए-पुराने सवालों के साथ जीवन का सिलसिला सतत आगे बढ़ता रहता है. इस किताब में भाषा को जीवन में उसके इस्तेमाल से जोड़कर देखा गया है. किताब के अनुसार भाषा से होने वाले प्रमुख काम इस प्रकार हैं–

1. अपने काम का संचालन – काम करने के दौरान संवाद करना ताकि काम को बेहतर ढंग से किया जा सके.
2. दूसरों के क्रियाकलाप व ध्यान का संचालन – जो हमको अच्छा व आकर्षक लगा वह दूसरों को भी अच्छा लगेगा. यह सोचकर उनको अपने जीवन के अनुभव बताना. किसी काम को करने के लिए निर्देश देना भी भाषा का एक प्रमुख काम है.
3. खेलना – शब्दों से खेलना बच्चों की रचनाशक्ति और ऊर्जा को बाहर लाने में सहायक है.
4. समझाना –जीवन के अनुभवों की व्याख्या करने रुचि का प्रतिनिधित्व करता है. जैसे बारिश कैसे हुई? इस सवाल का जवाब देना जीवन की व्याख्या करने की भूमिका बनाता है. यह काम भी भाषा के माध्यम से ही किया जाता है.
5. जीवन को प्रस्तुत करना – शब्दों के जरिए पुरानी यादों और लोगों को फिर से जीवंत किया जा सकता है.
6. जुड़ना – घटना और व्यक्तियों के साथ खुद को जोड़कर देखना.
7. तैयारी- भविष्य की तस्वीर रचने और उसका सामना करने में शब्द सहायक होते हैं. लोग अपने डर, योजनाएं, अपेक्षाएं और अजीब परिस्थितियों में क्या होगा…इस पर अपने विचार प्रकट करते हैं. यह सारी बातें तैयारी के अन्तर्गत आती हैं.
8. पड़ताल और तर्क – जीवन की समस्याओं को हल करने में कार्य-कारम संबंध तलाशने की योग्यता भी भाषा के प्रमुख कामों में से एक है. भाषा के जरिए समस्याओं का समाधान करने के लिए मिला प्रोत्साहन संवाद में पड़ताल और तर्क की भूमिका को बढ़ावा देता है.

8 Comments on बच्चों की भाषा और अध्यापक किताब – कृष्ण कुमार

  1. आपका बहुत-बहुत शुक्रिया अमृता जी।

  2. आपका बहुत-बहुत शुक्रिया अमृता जी।

  3. एक सार्थक और उपयोगी पुस्तक से परिचय कराया है . भाषा की महत्ता से सहमति..

  4. एक सार्थक और उपयोगी पुस्तक से परिचय कराया है . भाषा की महत्ता से सहमति..

  5. आपका बहुत-बहुत शुक्रिया एस.एन शुक्ल जी। अवश्य आपके ब्लॉग पढ़ेंगे।

  6. आपका बहुत-बहुत शुक्रिया एस.एन शुक्ल जी। अवश्य आपके ब्लॉग पढ़ेंगे।

  7. इस सार्थक पोस्ट के लिए बधाई स्वीकारें. कृपया मेरे ब्लॉग पर भी पधारें , अपना स्नेह प्रदान करें.

  8. इस सार्थक पोस्ट के लिए बधाई स्वीकारें. कृपया मेरे ब्लॉग पर भी पधारें , अपना स्नेह प्रदान करें.

इस लेख के बारे में अपनी टिप्पणी लिखें

Discover more from एजुकेशन मिरर

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading