पढ़ाई के मायने को अर्थ देने की जरूरत…
हमारा भविष्य कैसा होगा ? हमारी भविष्य के लिए क्या तैयारी है ? हम उसका सामना कैसे करने वाले हैं ? अब आगे क्या करना है ? जैसे तमाम सवालों से रोजाना हमारा सामना होता रहता है। कभी हम इन सवालों का सामना करते हैं तो कभी साफ बच निकलने की कोशिश करते हैं। ऐसे ही कुछ सवालों से स्कूल के बच्चों के शिक्षक, अभिभावक और स्कूल से जुड़े लोग जूझ रहे हैं। एक अंधेरा दिखता है। जो रोशनी की किरण की तलाश में है कि बच्चों को पढ़ना-लिखना कैसे सिखाया जाय ? उनको इतना सक्षम कैसे बनाया जाय ? ताकि वे शिक्षा के ऊंचे स्तरों की ओर होने वाली बाधा दौड़ में आगे निकल सकें। अपनी ज़िंदगी के बारे में ज्यादा बेहतर तरीके से सोचते-समझते हुए, एक बेहतर जिंदगी जीने की दिशा में जा सकें। लोगों के लिए उदाहरण बन सकें। पढ़े-लिखे होनें के मायने को अर्थ दे सकें।
बच्चे आपस में झगड़ा करते हैं तो
सवाल पूछता हूं कि पढ़ा-लिखा
होने का क्या फायदा है अगर हम
हिंसा का रास्ता चुन रहे हैं
जंगलराज की तरह ताकत को
फैसले का आधार बना रहे हैं…
पढ़ाई के माध्यम से हम सीख रहे हैं
लोकतंत्र का सबक कि कैसे
सबके विचारों को सुना जाय
शांति के साथ सहमति-असहमति का
मत जाहिर किया जाय भाषा का
इस्तेमाल करते हुए जो हमने सीखी है
स्कूल में पढ़ाई करने के दौरान
कक्षाओं में होने वाली बतकही के दौरान
मन की बात लिखते हुए
साथ के लोगों की शिकायत करते हुए…
ताकि जिम्मेदार व्यक्ति से हो सके
सलाह-मशविरा और कायम हो सके
एक आमराय किसी मामले को
सुलझाने और जीवन राह को
सहज-सुगम-सुखमय बनाने के लिए।
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