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आंगनवाड़ी केंद्रों पर पढ़ाएंगे पूर्व- प्राथमिक शिक्षक

आंगनवाड़ी में बैग बंद करती एक बच्ची
पूर्व प्राथमिक शिक्षा की अनदेखी के कारण हजारों बच्चों की आगे की पढ़ाई प्रभावित होती है। विशेषकर उन बच्चों की जो आदिवासी अंचल में रहते हैं। इसी परिस्थिति को ध्यान में रखते हुए आंगनवाड़ियों में प्राथमिक शिक्षक नियुक्त करने का प्रावधान राजस्थान में “जनजाति उपयोजना” के तहत किया गया है। जो भविष्य के बदलाओं की तरफ संकेत करता है। अंततः सरकार नें स्वीकार कर लिया है कि पूर्व प्राथमिक स्तर की शिक्षा पर ध्यान देने की जरूरत है। 

अब तक उपेक्षित होने पूर्व प्राथमिक शिक्षा पर राजस्थान सरकार ने गौर फरमाने का कदम उठाया है। एक खबर के मुताबिक जनजाति उपयोजना क्षेत्र के पांच जिलों में महिला एवं बाल विकास विभाग की तरफ से संचालित आंगनवाड़ी केन्द्रों पर आने वाले छः से कम आयु वर्ग के बच्चों को बेहतर प्री-स्कूल शिक्षा दी जाएगी।

 इसे लेकर समेंकित बाल सेवाएं निदेशालय नें 343 पूर्व शिक्षकों का चयन कर उनकी सूची जारी कर दी गई है। निदेशालय की ओर से डूंगरपुर ,उदयपुर, बांसवाड़ा, सिरोही तथा प्रतापगढ़ जिलों में योजना को क्रियान्वित किया जाएगा। प्रथम चरण में डूंगरपुर के 163 , बांसवाड़ा के 119 , प्रतापगढ़ के 104 , सिरोही के दस तथा उदयपुर के 104 आंगनवाड़ी केंद्रों पर इसका क्रियान्वयन होगा।
   
डूंगरपुर जिले में आठ परियोजना क्षेत्रों के लिए निदेशालय की ओर से चयनित पूर्व प्राथमिक शिक्षकों में से 101 की सूची उपनिदेशक कार्यालय को नियुक्ति के लिए भेजी गई है। डूंगरपुर परियोजना क्षेत्र में 17, सागवाड़ा 26, सीमलवाड़ा 31, चीखली आठ, गामड़ी अहाड़ा 14, विच्छीवाड़ी एक तथा आसपुर में चार आंगनवाड़ी केंद्रों पर पूर्व प्राथमिक शिक्षक लगेंगे।

उपनिदेशक, महिला एवं बाल विकास शीला चौधरी का कहना है कि निदेशालय की ओर से चयनित पूर्व प्राथमिक शिक्षकों की सूची प्राप्त हुई है। निर्देशानुसार उन्हें नियुक्ति देने की कार्रवाई कर बच्चों को आंगनवाड़ी केंद्रों पर बेहतर पूर्व प्राथमिक शिक्षा प्रदान की जाएगी। इन पूर्व प्रथमिक शिक्षको को केंद्र संचालन के बाद निकटतम प्राथमिक स्कूल में उपस्थिति देनी होगी।

नियुक्तियों की संख्या से लगता है कि उपरोक्त प्रावधान प्रयोग के तौर पर किए जा रहे हैं। जिसमें आगे और बढ़ोत्तरी हो सकती है। क्योंकि एक ब्लॉक में एक पूर्व प्राथमिक शिक्षक नियुक्त करने से बात नहीं बनने वाली है। बड़े स्तर का बदलाव लाने के लिए पहुंच का दायरा बढ़ाने की जरूरत ज्यों की त्यों बरकरार है, जिस पर ध्यान देने की जरूरत है।
(साभार – दैनिक भास्कर में 23 दिसम्बर को प्रकाशित) 

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