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प्रिय शिक्षकों, आपके नाम एक ख़त आया है!!

प्रिय शिक्षकों,
शिक्षक के नाम पत्रआप सभी को मेरा नमस्कार, आप सभी से संवाद के सिलसिले को आगे बढ़ाने के लिए पत्र विधा का इस्तेमाल करने का आइडिया मन में आया। तो लगा कि इस विचार को सिर्फ़ विचार नहीं रहने देना है। इसे हक़ीक़त में तब्दील कर देना चाहिए।
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किसी भी काम को कल पर क्यों टाला जाये, ऐसे में लगा कि आपको यह पत्र छुट्टी के दिन ही लिखना चाहिए। राजस्थान में पहली तारीख़ से छुट्टियां हैं, जो 15 नवंबर तक रहेंगी। बाकी जगहों पर छुट्टियां कब हो रही हैं, इसके बारे में आप लोग बता सकते हैं।

वास्तविक कहानियों के लेखक

आप सभी अपने-अपने स्कूलों में बच्चों की ज़िंदगी में छोटे-बड़े बदलाव की सैकड़ों कहानियां लिख रहे हैं। इस कहानी के किरदारों (बच्चों) से आप रोज़ मिलते हैं। मगर उनकी कहानियां आपकी नज़रों से दूर बच्चों के रोज़मर्रा की ज़िंदगी में आकार लेती हैं। इनके बारे में हमें तब पता चलता है जब कोई कहता कि मेरा बच्चा पढ़ना सीख गया है। वह बड़े मन से कहानियों की किताबें पढ़ता है। ये बातें हमें अभिभावकों के बच्चों से सुनने को मिलती हैं। बच्चों के व्यवहार में होने वाला परिवर्तन हमें ख़ुद भी स्कूल में दिखायी देता है। जब वे पेन पकड़ना, क्लास में बैठना, किसी गतिविधि में शामिल होना सीख रहे होते हैं। समय के साथ उनके व्यवहार में आने वाले परिवर्तन साफ़ दिखायी देते हैं।
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सातवीं कक्षा में पढ़ने वाले विकेस अपने बनाये चित्रों को दिखाते हुए।

हम जानते हैं कि बच्चे देखकर, सुनकर और ख़ुद से करके सीखते हैं। स्कूल में आने वाले बच्चे हमारे व्यवहार से भी रोज़ कुछ न कुछ सीखते हैं। वे हमारी नकल करते हैं। वे हमें अपनी छोटी-छोटी कामयाबियों के बारे में बताना चाहते हैं। हमें उनको सुनने की कोशिश करनी चाहिए।

हमें हर बच्चे के व्यवहार को समझने की कोशि करनी चाहिए कि वह ऐसा क्यों करता है? अगर वह बहुत आक्रामक है और बाकी बच्चों को मारता है तो हमें समझने की कोशिश करनी चाहिए कि इसके पीछे क्या वजह है?

बच्चों से जुड़े अनुभव

उदाहरण के तौर पर हाल ही में बच्चों के असेसमेंट के दौरान एक शिक्षक को पता चला कि जिस बच्चे के बारे में उनको लगता था कि उसे सबकुछ आता है। उसे भी पढ़ने के दौरान वर्ण और मात्राओं को मिलाने में परेशानी होती है। ऐसे ही एक शिक्षक को पता चला कि उनके स्कूल में आने वाली एक लड़की अगर स्कूल नहीं आती तो भी एमडीएम खाने के लिए आती है। इसका कारण उसके घर की आर्थिक परिस्थिति है, जिसमें वह रोज़ाना जीती है। शिक्षक साथी ने जब अभाव में रहने वाली उस लड़के के घर की परिस्थिति समझी तो वे उसकी ज़िंदगी के साथ ख़ुद को जोड़ पा रहे थे।
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बतौर शिक्षक बच्चों के साथ अपने रिश्ते को नये नज़रिये से समझने की कोशिश कर पा रहे थे। शिक्षा के क्षेत्र में उनको काम करते हुए कुछ ही साल हुए हैं, ऐसे में यह घटना उनके लिए किसी निर्णायक मोड़ की तरह है जो उनकी ज़िंदगी में भावनाओं के स्तर पर सहानुभूति, स्नेह और अपनेपन के रंग भर रही है।

दूसरी कक्षा के बच्चे पढ़ रहे हैं किताब

इसी तरीके से दूसरी कक्षा के बच्चों से मिलने के बाद जो बहुत अच्छे से किताब पढ़ पा रहे हैं। लेकिन किताब को पढ़कर उसक अर्थ समझने के लिए उनको प्रयास करता है। क्योंकि शब्दों के अर्थ उनको नहीं पता है। बहुत से नये शब्दों से उनका सामना हो रहा है, जिसके अर्थ और वाक्यों में उनके प्रयोग की दक्षता के विकास का पर्याप्त अवसर उनको नहीं मिला है।

कहानी की किताब पढ़ते बच्चे।

यहां ध्यान देने वाली बात है कि बच्चे दूसरी कक्षा में किताब पढ़ पा रहे हैं, यह ख़ुद में एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। यह कहानी किसी निजी स्कूल की नहीं है, एक सरकारी स्कूल की कहानी है। मगर ऐसी कहानियां मीडिया में सुर्खियां कहां बन पाती हैं। उनके बारे में फ़ील्ड में काम करने वाले रियल हिरोज़ यानी हमारे शिक्षकों को पता होता है। उनके साथ काम करने के नाते हम भी इस तरह की प्रेरित करने वाली कहानियों से रूबरू होते हैं तो हमारा हौसला बढ़ता है।

सफलता के कारण 

ऐसी सफलता के कारण ग़ौर करने वाले हैं जैसे उस कक्षा के सारे बच्चों की उम्र सात साल के आसपास है। उन बच्चों को नियमित रूप से पढ़ना सीखने के लिए शिक्षक की तरफ़ से मेहनत की गई है। भाषा शिक्षक ने उनके ऊपर ध्यान देते हुए, उनको एक ग्रुप में बांटकर सभी छात्रों को उनके स्तर से सपोर्ट करते हैं। वे सभी बच्चों की हौसला बढ़ाते हैं। इसका बच्चों के मनोबल पर बहुत सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। इस कक्षा के बच्चों को अगर सुनकर समझने का कौशल बढ़ाने वाली कहानी सुनने जैसी गतिविधि में शामिल किया जाएगा तो पढ़कर समझने का कौशल भी तेज़ी से विकसित होगा।
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अगर हम प्रत्येक बच्चे की क्षमता को समझते हैं। उसके स्तर को समझते हैं। उसके संघर्ष को समझते हैं। उसको सपोर्ट करने वाले बिंदुओं को जानते हैं। उसके सीखने के तरीके को समझते हैं तो हमारा सपोर्ट उसे सही दिशा में बढ़ने में मदद करेगा। बच्चों को इस तरह से मिलने वाला गाइडेंस और सपोर्ट उनको पूरी ज़िंदगी काम आएगा। इस बात से आप भी सहमत होेंगे। तो अगले पत्र में आपसे किसी और मुद्दे पर बात होती है। तब तक के लिए विदा।
                                                                                                                              – वृजेश सिंह

1 Comment on प्रिय शिक्षकों, आपके नाम एक ख़त आया है!!

  1. Kehakasha bee // September 24, 2017 at 3:53 pm //

    Prius shikshak kar patr

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