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पठन कौशल विकास के लिए कैसे काम करें शिक्षक?

भाषा शिक्षण के लिए दीवारों पर बना एक चित्र।

भाषा शिक्षण के लिए दीवारों पर बना एक चित्र।

पठन कौशल के विकास में शिक्षक की क्या भूमिका होती है। यह पोस्ट इसी विषय पर केंद्रित है। सबसे अहम बात है कि पठन कौशल के विकास का एक रिश्ता पढ़ने की आदत से भी है। इसमें शिक्षक बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

उदाहरण के तौर पर बच्चों को कहानियां पढ़कर सुनाना, कहानी की किताबों के प्रति एक मोह पैदा करना, कविताओं की किताबों के जरिए भाषा के सौंदर्य के स्वाद चखने के लिए बच्चों को आमंत्रित करने वाली भूमिकाएं निभाकर शिक्षक बच्चों के लिए किताबों की दुनिया का दरवाज़ा खोल सकते हैं।

पठन कौशल

सबसे पहला सवाल पठन कौशल क्या है? किसी व्यक्ति की लिखित सामग्री को डिकोड करने और उससे अर्थ ग्रहण करने की क्षमता ही पठन कौशल कहलाती है। उदाहरण के तौर पर अगर आपका प्रोफेशन डॉक्टरी से अलग है। ऐसे में अगर आपसे किसी डॉक्टर की रिपोर्ट को समझाने के लिए कहा जाए तो हो सकता है कि आप ऐसा न कर पाएं। क्योंकि आपका पूरा ध्यान लिखी हुई सामग्री को डिकोड करने में चला जाए। आप उस रिपोर्ट में लिखे शब्दों के अर्थ खोजेंगे और पूरे वाक्य का अर्थ समझने की कोशिश करेंगे। यहां मूल रूप से आप दो काम कर रहे होते हैं पहला है रिपोर्ट के शब्दों को पहचानना और उसका अर्थ समझने की कोशिश करना।

संक्षेप में कह सकते हैं कि शब्दों को पहचानने और उनका सही उच्चारण करने की क्षमता को डिकोडिंग कहते हैं। जबकि उसका अर्थ निकालने की क्षमता को समझना कहते हैं।

डिकोडिंग

डिकोडिंग (Decoding) क्या है? इस सवाल का जवाब है,”किसी शब्द के लिखित प्रतीकों को बोली जाने वाले भाषा के ध्वनि में रूपांतरित करने की क्षमता को डिकोडिंग कहते हैं।” हिंदी भाषा के संदर्भ में यह अक्षरों व मात्राओं को पहचानना व उनका सही उच्चारण करना है। शब्द पठन के दौरान किसी शब्द का उच्चारण करना डिकोडिंग कहलाता है।

डिकोडिंग में अर्थ शामिल हो सकता है और नहीं भी हो सकता है। डिकोडिंग की प्रक्रिया बोलकर या चुपचाप हो सकती है। लिखित प्रतीकों को ध्वनि प्रतीकों में रूपांतरित करने की क्षमता के माध्यम से बच्चा किसी शब्द का उच्चारण करना सीख जाता है। अगर उसने वह शब्द पहले सुना हुआ है तो हो सकता है कि वह उसे पहचान पाए। यानि किसी शब्द की पहचान कर पाना बच्चे के सुने हुए शब्द भण्डार पर निर्भर करता है। बच्चा जैसे-जैसे अच्छी तरह डिकोड करना सीख लेता है उसके पढ़ने में एक गति आ जाती है, इसे धारा-प्रवाह पठन कहते हैं। इससे बच्चा किसी लिखित सामग्री को पढ़ने के साथ-साथ समझ भी पाता है।

समझना

पठन कौशल का दूसरा महत्वपूर्ण घटक है समझना। डिकोडिंग की भांति इसे भी जानने का प्रयास करते हैं कि समझना क्या है? किसी लिखित सामग्री को धाराप्रवाह पढ़ते हुए उससे अर्थ निकाल पाना ही समझना है। किसी लिखित सामग्री से अर्थ निकालने में संदर्भों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। यानि समझ के साथ पढ़ने का आशय है कि पाठक पाठ्यवस्तु में निहित भावों व विचारों को ग्रहण कर पाए। उससे जुड़े सवालों के जवाब दे पाए। पढ़ी हुई सामग्री पर अपनी एक राय बना पाए। उसकी समीक्षा कर पाए। उसके बारे में अन्य लोगों को बता पाए।

शिक्षक की भूमिका

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एक सरकारी स्कूल में एनसीईआरटी की रीडिंग सेल द्वारा छापी गयी किताबें पढ़ते बच्चे।

किसी भाषा के कालांश में काम करते समय एक शिक्षक डिकोडिंग और समझने दोनों पक्षों पर ध्यान देता है। सबसे पहले सुनकर समझने की क्षमता का विकास जरूरी होता है। ताकि एक बच्चा शिक्षक के निर्देशों को समझ पाए और उस भाषा की कहानियों और कविताओं को सुनकर समझ पाए। उसका आनंद ले पाए।

इससे बच्चा एक स्तर पर उस भाषा के डिकोडिंग वाले पक्ष पर जाने के लिए तैयार हो जाता है। वह लिखित प्रतीकों व ध्वनि प्रतीकों के बीच एक संबंध बैठा पाता है, यानि डिकोडिंग करना सीखता है। इसके बाद जब वह रफ्तार के साथ कई अक्षरों को मिलाकर एक शब्द पढ़ता है और वह शब्द उसने पहले सुना है तो वह उस शब्द का अर्थ भी जान पाता है।

समझ वाले हिस्से पर काम करने के लिए शिक्षक पुस्तकालय की बड़ी किताबों का इस्तेमाल कर सकते हैं। ताकि चित्रों और लिखित सामग्री के बीच वाले रिश्ते को समझने में छात्रों को मदद कर सकें। पठन कौशल विकास के शुरुआती स्तर पर इस तरह से पढ़ने का मौका अगर बच्चे को पुस्तकालय में मिले तो वह बच्चों को स्वतंत्र पाठक बनने में काफी मदद करता है। जो किसी भी लिट्रेसी कार्यक्रम का या भाषा कालांश का अंतिम लक्ष्य है कि बच्चा स्वतंत्रता के साथ किसी लिखित सामग्री को समझते हुए पढ़ पाए।

20150828_124632दोनों कौशलों के विकास में शिक्षक की अहम भूमिका है। इसके लिए शिक्षक स्केपफोल्डिंग की प्रासेस (i do, we do, you do) का इस्तेमाल कर सकते हैं। यानि वे बच्चों को पहले कोई चीज़ खुद करके दिखाएं। फिर उनके साथ-साथ उसको करें। आखिर में बच्चों को खुद से उसी चीज़ को करने का मौका दें। (स्केपफोल्डिंग के बारे में अगली पोस्ट में विस्तार से लिखेंगे।)

उदाहरण के तौर पर अगर शिक्षक बच्चों को कहानी पढ़कर सुनाते हैं तो बच्चा सुनकर समझने का कौशल तो विकसित करता ही है। इसके साथ-साथ वह यह भी सीखता है कि किसी किताब को कैसे पढ़ते हैं?

ऐसी बहुत सी चीज़ें बच्चे शिक्षक को देखकर स्वतः ही सीख लेते हैं। जिसके लिए शिक्षक को अलग से प्रयास करने की आवश्यकता भी नहीं पड़ती।

(एजुकेशन मिरर की इस पोस्ट से गुजरने के लिए आपका शुक्रिया। अब आपकी बारी है, आप इस लेख के बारे में दूसरों के साथ क्या साझा करना चाहेंगे, लिखिए अपनी राय कमेंट बॉक्स में अपने नाम के साथ। शिक्षा से जुड़े कोई अन्य सवाल, सुझाव या लेख आपके पास हों तो जरूर साझा करें। हम उनको एजुकेशन मिरर पर प्रकाशित करेंगे ताकि अन्य शिक्षक साथी भी इससे लाभान्वित हो सकें।)

12 Comments on पठन कौशल विकास के लिए कैसे काम करें शिक्षक?

  1. Virjesh Singh // December 5, 2018 at 8:07 am //

    शुक्रिया इस सुझावके लिए। आंकलन वाले बिन्दुओं पर अगली पोस्ट में जिक्र करते हैं।

  2. jagdish singh sajwan // December 5, 2018 at 8:06 am //

    विद्यार्थियों में पठान कोशालों का आंकलन के लिए कोण कोण से उपकरण एवं तकनीकों का उपयोग कर सकते हैं ? किसी एक उपकरण का उदहारण देकर समझा सकते हैं ?

  3. Roop kanwar // April 27, 2018 at 10:00 am //

    Roop kanwar m quite satisfied with this article on reading skills.

  4. Anonymous // January 10, 2018 at 2:45 pm //

    Good detail sir

  5. Anonymous // January 8, 2018 at 10:11 am //

    आई लाईर दिस विडियो एवरीबडी

  6. राहुल mujalde // October 10, 2017 at 4:22 pm //

    dictionary encyclopedia our internet के माध्यम से पठन कौशल को कैसे बढ़ायें

  7. सुंदर आलेख Iकिसी की लिखित सामग्री को डिकोड करने और उससे अर्थ ग्रहण करने की क्षमता ही पठन कौशल कहलाती है इसे बखूबी समझाया गया है I पहली दूसरी कक्षाओं में पठान और लेखन कौशल सिखाने के लिए कितने मिनटों का कालांश होना चाहिए या दूसरे शब्दों में एक शिक्षक को इन कौशलों को समझाने के लिए कितनी अवधि का कालांश होना चाहिए I मेरा अनुभव है कि केवल 35- 40 मिनट की अवधि में पठन और लेखन कौशल को सिखाना एक शिक्षक के लिए संभव नहीं हो सकता उसमें सुनने , बोलने , पढ़ने और लिखने की गतिविधि को करवाना संभव नहीं हो सकता I हर कालांश में गतिविधि बदली जा सकती है लेकिन मेरे विचार से शिक्षक नहीं बदलना चाहिए I इस सम्बन्ध में अपने विचारों से अवश्य अवगत करवाने की कृपा करें I

  8. Santosh Kumar Tiwari // August 26, 2017 at 5:42 pm //

    Meri ray me ye behtr bhi h aor behtar karne ke liye hame apni bhasha Ko us bazze ke anrup chalna padega aor sabdo ka ucharn kayse hota h usko samjhana hoga jisse bazze Ko hamari bhasha ka Juan ho sake aor bhaut kujh

  9. Thank you so much for reading and giving your feedback.

  10. Anonymous // August 22, 2017 at 3:51 am //

    Nice to define decoding and understanding.

  11. chandan kumar // June 13, 2017 at 4:28 pm //

    Sir aur thora detail se likhe

  12. आपके सुझाव के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया चंदन। अगर आप थोड़ा विस्तार से बताएं कि आपको किस टॉपिक के बारे में ज्यादा विस्तार से जानना है या फिर क्लासरूम में पढ़ना सिखाने से जुड़ी कोई समस्या साझा कर सकते हैं, जिसके बारे में आप विस्तार में पढ़ना चाहते हैं। इस थीम से जुड़े अन्य लेख भी आप पढ़ सकते हैं और अपने विचारों को एजुकेशन मिरर के साथ साझा कर सकते हैं।

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