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राजस्थानी लोक कथाः शेर को मिला सवा शेर

educationmirror.orgएक बार किसी जंगल में एक शेर रहता था। उसी जंगल के पास में एक गाँव था। इस गांव के लोगों को शहर जाने के लिए इस जंगल से होकर गुजरना पड़ता था।

इस जंगल से गुजरने वाले ज्यादातर  लोगों को गुफा में ले जाकर खा लेता था, इससे लोगों द्वारा पहने जाने वाले जेवरात और उनके अन्य सामानों का ढेर उस गुफा में जमा हो गया था। इसका पता गाँव के कुछ लोगों को चल गया था। उन्होंने इसे पाने और शेर को वहाँ से भगाने का निश्चय किय। वे लोग गाँव से इस काम के लिए निकले।

‘तू शेर है तो हम सवा शेर हैं’

जंगल की तरफ जाते समय रास्ते में उनको एक काली रस्सी पड़ी मिली। उन्होंने इसे यह सोचकर अपने पास रख लिया कि किसी मुसीबत में काम आएगी। वे अभी कुछ ही कदम आगे बढ़े थे कि रास्ते में उनको एक काला खरगोश दिखाई दिया। उस खरगोश को उन्होंने यह सोचकर साथ लिया कि मुसीबत में शेर से ध्यान भटका सके। थोड़ा और आगे जाने पर उनको एक कुदाली मिली, इसे भी उन्होंने अपने पास रख लिया। वे अब गुफा तक पहुंच चुके थे। पर उन्हें वहां शेर नहीं दिखा, तो वे सीधे गुफा के अंदर चले गए।

इस कहानी के लेखक रमेश और अर्श कुमार हैं। ये दसवीं कक्षा के छात्र हैं।

इस कहानी के लेखक रमेश और अर्श कुमार हैं। ये दसवीं कक्षा के छात्र हैं।

उस समय शेर शिकार की तलाश में बाहर गया हुआ था। शेर जब अपने गुफा तक आया तो उसे महसूस हुआ कि अन्दर कोई न कोई तो है।

उसने पूछा, “अंदर कौन है?” तब आदमियों को पता चल गया कि शेर आ गया है। उनमें से एक आदमी ने अंदर से ऊंची आवाज़ में कहा, “तू शेर है तो हम सवा शेर हैं।” शेर यह सुनकर थोड़ा भयभीत हुआ। मगर उसने फिर कहा, “तुम मुझसे बढ़कर हो तो अपना एक बाल बाहर फेंककर बताओ। तब उन आदमियों ने बाहर काली रस्सी फेंकी। शेर और डर गया। फिर भी वह प्रश्न करता गया।

शेर ने फिर कहा, “तुम्हारी ‘जूं’ बाहर फेंककर बताओ। तो उन व्यक्तियों ने काला खरगोश बाहर फेंका। शेर ने फिर अपना एक दांत फेंकने को कहा। तो उन्होंने कुदाली फेंक दी। यह सारा दृश्य देखकर शेर के रोंगटे खड़े हो गए। वह बहुत ज्यादा भयभीत हो गया था। वह वहां से बड़ी तेज़ी से भाग गया। उन व्यक्तियों ने राहत की सांस ली। वे अब आराम से जेवरात और अन्य वस्तुएं लेकर अपने घर की ओर रवाना हो गए। उन्हें खुशी थी कि अब गाँव के लोगों को खतरनाक शेर से भी छुटकारा मिल गया था।

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