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एक शिक्षक की रिटायरमेंट स्पीच: 37 साल की नौकरी में ऐसा प्यार नहीं देखा

एक सरकारी स्कूल में प्रधानाध्यापक का विदाई समारोह।

एक सरकारी स्कूल में प्रधानाध्यापक का विदाई समारोह।

राजस्थान के सिरोही ज़िले के एक प्रधानाध्यापक की सेवानिवृत्ति के मौके पर गाँव के लोग, इस स्कूल में काम कर चुके पूर्व-शिक्षक, पूर्व छात्रों के साथ-साथ नोडल स्कूल के अंतर्गत आने वाले अन्य शिक्षकों ने भी हिस्सा लिया।

पूरे समारोह की सबसे खास बात लोगों की स्वैच्छिक भागीदारी और अपने शिक्षक के प्रति गहरे प्रेम का भाव था। इस स्कूल में 200 से ज्यादा बच्चों का नामांकन है। मगर प्रधानाध्यापक के अतिरिक्त शिक्षक सिर्फ दो ही हैं। अपने स्कूल की ऐसी स्थिति का दर्द प्रधानाध्यापक जी की ‘रिटायरमेंट स्पीच’ से झलक रहा था।

’37 साल की नौकरी में ऐसा प्रेम नहीं देखा’

इस स्कूल के पुराने छात्र और बच्चे रो रहे थे। उनके आँसू बड़े स्वाभाविक थे। गाँव के लोगों ने सर को अपनी तरफ से एक आलमारी भी भेंट की। कार भेंट करने की खबर पढ़ी थी। आलमारी भेंट करने वाले दृश्य का खुद साक्षी बनने का मौका मिला। स्कूल में तकरीबन 600 से ज्यादा लोग मौजूद थे। इसमें बच्चों के अभिभावक भी शामिल थे। गाँव के लोगों ने नारियल और अन्य उपहार देकर स्कूल की सेवा के लिए सर का शुक्रिया अदा किया।

?????????????उन्होंने कहा, “मेरे स्कूल के बच्चे-बच्चियों और गाँव के लोगों का प्रेम देखकर मैं अभिभूत हूँ। मेरी 37 साल की नौकरी में इतना प्रेम मैंने कहीं नहीं देखा। मैंने ऐसा गाँव कहीं नहीं देखा है। आप लोगों के पास जो सबसे बड़ा धन है वो प्रेम है। मैं आपसे आज बिछड़ रहा हूँ। इस बिछड़ने का सदमा मुझे सुबह से लग रहा है।”

अपने शिक्षक को विदाई देने के लिए इस स्कूल के पूर्व छात्र-छात्राएं भी आए थे, जो अभी दसवीं-बारहवीं या फिर कॉलेज की पढ़ाई कर रहे हैं। इन पूर्व छात्रों के साथ-साथ स्कूल के बच्चे अपने शिक्षक को विदाई देते समय रो रहे थे। अपने शिक्षक के प्रति ऐसे प्रेम की मिशाल मैंने अपनी ज़िंदगी में पहली बार देखी थी। छोटे-बड़े सभी बच्चों को उनके जाने का दुःख था। गाँव के लोगों ने अपना समय निकालकर इस मौके पर उनके काम के प्रति लगन को सम्मानित किया।

उन्होंने अपनी एक कक्षा का जिक्र करते हुए कहा, “आज मैंने आठवीं कक्षा में हिंदी का पाठ पढ़ाया। पाठ पढ़ाते समय मेरा गला रुंध गया। मेरे बच्चों बिछड़ना काफी दुखदाई होता है। मगर मैं आपके पास हूँ।” आखिरी दिन तक काम करने की उनकी लगन ग़ौर करने लायक है। यही वह बात है जो एक शिक्षक के काम को बाकी सारे कामों से अलग करती है। उसे एक विशिष्टता देती है।

‘लड़कियों को खूब पढ़ाएं’

स्कूल की वर्तमान स्थिति की तरफ गाँव के लोगों का ध्यान आकर्षित करते हुए उन्होंने कहा, “इसी स्कूल में एक दिन नौ का स्टाफ था, मगर आज केवल दो का स्टाफ है। बदलती व्यवस्था में स्कूल अध्यापक विहीन हो गया है। मैं उन माँ-बाप को धन्यवाद देता हूँ जो अपने बच्चे-बच्चियों को स्कूल भेजते हैं। इस स्कूल में पढ़ने वाले कुल बच्चों में लड़कियों की संख्या आधी (50 प्रतिशत) है। इसके लिए उनके माता-पिता धन्यवाद के पात्र हैं, जिन्होंने लड़कियों को पढ़ने का मौका दिया है। उनको स्कूल आने के लिए प्रेरित किया है।”

उन्होंने कहा, “आप जनजाति क्षेत्र के बालक हैं। नौकरी आपके पीछे भागेगी। लड़कियों को कह रहा हूँ। लड़कों को कह रहा हूँ। आपको पढ़ाई छोड़नी नहीं है। आप कोई डिप्लोमा करते हैं। डिग्री लेते हैं और मेहनत करते हैं तो आपको नौकरी हाथों-हाथ मिलेगी। मेरा प्रेम आपसे हटेगा नहीं। मैं आपको भूलुंगा नहीं। ऐसी स्कूल मुझे कभी नहीं मिलेगी। माताओं से मेरा हाथ जोड़कर निवेदन है कि लड़कियों का स्कूल न छुड़ाएं और उनको खूब पढ़ाएं। गाँव के लोगों से निवेदन है कि मेरे बाद आप इस बगीचे का ख्याल रखिए। मैं जबतक ज़िंदा रहुंगा, इस स्कूल को अपना ही मानुंगा। ये बच्चे मेरे हैं।”

5 Comments on एक शिक्षक की रिटायरमेंट स्पीच: 37 साल की नौकरी में ऐसा प्यार नहीं देखा

  1. JAGAN PAWAR // July 22, 2017 at 7:09 am //

    shiksha h to ye jahan h shiksha se desh ko chalaya jata h jai jawan jai kisaan

  2. बहुत-बहुत शुक्रिया भाई। आपके इन शब्दों से हौसला मिलता है। इस सफर को जारी रखने के लिए।

  3. आप वाकई अच्छा कर रहे हो। ये जो सुकून है न, सबसे बड़ी पूंजी है भाई।

  4. बहुत-बहुत शुक्रिया संतोष जी। अपने दिल की बात कहने के लिए। आँसू बच्चों की आँखों में भी थे। प्रधानाध्यापक भी बार-बार कह रहे थे।यह मेरे लिए एक बड़ा भावुक पल है। भावनाओं का आँसुओं से गहरा रिश्ता है। इसे पढ़ते समय आप उन भावनाओं से एक जुड़ाव महसूस कर पाए। बहुत-बहुत शुक्रिया फिर से इसे बड़े शिद्दत से पढ़ने के लिए।

    हाँ, ऐसे शिक्षकों का सपोर्ट करने की जरूरत है। उन्होंने बताया कि जब उन्होंने अपनी चिंता बाकी लोगों से साझा करी कि स्कूल में कम शिक्षक हैं तो उनका जवाब था कि अब तो आप रिटायर हो रहे हैं क्यों चिंता कर रहे हैं। इस बात पर उनको बड़ी हैरानी हो रही थी कि ऐसी बात लोग भला कैसे कह लेते हैं? मेरा स्कूल है। अगर इसकी चिंता मैं नहीं करुंगा तो कौन करेगा। ऐसे शिक्षक एक रोल मॉडल की तरह हैं अपने बाकी साथियों के लिए। खासतौर पर नई पीढी के लिए।

  5. एक सच जो हमेशा अपनी जगह खड़ा रहेगा कि शिक्षक एक समाज का निर्माता होता है और उसी के द्वारा हम अपने देश दुनिया को आगे बढ़ाते हैं, यदि समाज की किसी बुरे को खतम करना है तो शिक्षक का इसमें बहुत बड़ा योगदान होगा| उपर लिखे हुए लेख को जब मै पढ़ रहा था तो एक शिक्षक जिसके सेवा का आखिरी दिन है उस पल को अपने अन्दर झांककर देख रहा था तो मेरे आँखों से एक बूंद निकल आई|
    शिक्षक एक मनुष्य है, और उसे भी प्यार, सहारा और भावनात्मक सहानुभूति चाहिए, यदि हमारा समाज इस तरह शिक्षकों के बारे में कुछ नकारात्मक न बोल कर उन्हें उनकी शैक्षिक गतिविधियों में एक सहारा दें तो एक शिक्षक एक विद्यालय को सुचारू रूप से चला पायेगा और बच्चों के सीखने और हमारे शिक्षा के उदेश्यों को पूरा करने में सफल होगा|

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