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सशक्त युवाओं से सक्षम बनेंगे राजस्थान के गाँव

इस पोस्ट के लेखक संदीप सैनी एजुकेशन मिरर के नियमित पाठक और लेखक हैं। वर्तमान में वे प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में काम कर रहे हैं।

शिक्षा में नेतृत्व, समाजिक बदलाव करते युवा, पिरामल फाउण्डेशन, चुरू में सामाजिक बदलाव की पहल

चुरू ज़िले के राजगढ़ ब्लॉक में आयोजित युवा सम्मेलन में भागीदारी करते युुवा।

“राजस्थान” ये शब्द सुनते ही आपके जहन में सबसे पहले क्या आता हैं –रेत के टीले, ऊंट गाड़ी, खेजड़ी , बाल विवाह, बड़ी –बड़ी हवेलियाँ ,महल या कुछ और भी।

लेकिन इन सब बातो से परे हमारी 14 सदस्यों की टीम ने   बहुत कुछ देखा , सुना , महसूस और अनुभव किया है। सबसे ग़ौर करने वाली बात है कि आप किसी भी सुदूर गाँव में पहुँच जाए और बोलें कि सरकारी स्कूल में काम करता हूँ। स्कूल में सामान लाने के लिए आपसे आर्थिक सहयोग चाहिए तो शायद ही गाँव में कोई हो जो मना करेगा |

सरकारी नौकरी का आकर्षण

पिछले 8 सालों से चुरू जिले के राजगढ़ ब्लॉक में काम करते हुए यहाँ के युवायों को फौज में भर्ती होने के लिए सड़कों किनारे दौड़ लगाते देखा हैं , शादी के बाद घूंघट डाल के नव-विवाहित लड़कियों को एसटीसी और बीएड की पढाई करते आते देखा हैं। एक बार इनसे कुछ सवाल पूछे “आप केवल सरकारी नौकरियों की तैयारी क्यों करते हैं ? आप सरकारी नौकरियों के अलावा बाकी क्षेत्रों में जाने के बारे में क्यों बही सोचते जैसे वकालत ,पत्रकारिता इत्यादि।

ऐसे में उनका जवाब होता है, “हमारे में प्राइवेट में जाने लायक दक्षताएं नहीं हैं, हम वहां काम नहीं कर सकते।” उनक इस जवाब से क्या निष्कर्ष निकलता है? शायद इन युवाओं का अपने ऊपर विश्वास कम है। या फिर  इनमें वो दक्षताएं नहीं हैं या फिर परिवार व समाज की परवरिश का असर है कि यहां के युवा अन्य क्षेत्रों में जाने के लिए नहीं सोचते। चुरू जिले के जिस हिस्से में हम काम करते हैं यह फौजियों और अध्यापकों की भूमि हैं और यहां का युवा भी इसी दिशा में सोचता है।

‘सशक्त युवा और सक्षम गाँव’

इस निष्कर्ष के बाद हमने एक शुरुआत की अटूट विश्वास के साथ कि एक युवा दुसरे युवा के लिए साझीदार की भूमिका निभा सकता हैं चाहे वो बात उनके व्यक्तिगत विकास की हो या उस समुदाय की जिसका वे अभी अभिन्न हिस्सा हैं और भविष्य में कर्णधार। इसी भरोसे के साथ शुरू हुआ युवा नेतृत्व विकास कार्यक्रम (Youth Leadership Development Program) जिसका मूलमंत्र है ‘सशक्त युवा , सक्षम गाँव’।

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इस कार्यक्रम के तहत राजस्थान के चुरू जिले के हरियाणा से सटे ब्लॉक राजगढ़ में 31 जनवरी 2016 को 10 गाँव के 22 युवक/युवतियों के साथ एक दिवसीय कार्यशाला की गई जिसमे उनके सामुदायिक विकास में योगदान के लिय प्रोत्साहित किया गया साथ ही उनके शैक्षणिक क्षेत्रो को लेकर गहन चर्चा की गई।

इस कार्यशाला से 2 बिंदु उभर का आये पहला कि देश में युवा स्वयंसेवक के रूप में सामुदायिक विकास में अहम् भूमिका निभा सकते हैं और दूसरा कि  युवाओं को शिक्षा और कार्यक्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए मार्गदर्शन की जरुरत है।

सामाजिक बदलाव की पहल  करें युवा

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इस सम्मेलन में 35 गाँवों के 300 से ज्यादा युवाओं ने हिस्सा लिया। सभी तस्वीरें सौरभ तिवारी की हैं।

युवाओं और हमारे बीच बने इस विश्वास के रिश्ते को हमने आगे बढाने की ठानी तो हमने युवाओ की आकांक्षाओं , क्षमताओं, और संभावनाओ को ओर बेहतर समझने और जानने के लिए जुलाई 2016 में ब्लॉक के 12 गाँवो में 700 से ज्यादा युवाओं की मैपिंग की।

इस दौरान पता चला कि गाँव के नौजवान भी सपने देखते हैं जहाज उड़ने से लेकर सेना में कर्नल बनने तक। उनके भीतर देश सेवा का एक जज्बा है। ऐसे में हमारे सामने अब एक नया सवाल था कि इस तैयारी के दौरान क्या वे देश सेवा के लिए समय दे सकते हैं ?

इस सवाल के साथ हमने युवाओ से पुनः विचार-विमर्श किया। बहुत से विचार आए। इनमें माता-पिता की उम्मीदें थीं, युवाओं और अध्यापकों की चिंताएं भी थीं। सभी विचारो को एक साथ रखकर सोचा गया कि इस बार कार्यशाला नहीं ‘युवा सम्मलेन’ का आयोजन किया जाए।

क्योंकि इस क्षेत्र को जरुरत है कि ज्यादा से ज्यादा युवा एक साथ आकर सामाजिक बदलाव की शुरुआत करें। इसके बाद दौर शुरू हुआ समुदाय के लिय किये जा रहे काम में सामुदायिक सहभागिता बढ़ाने का जिसके लिए हम क्षेत्रीय भामाशाहो से मिले जिन्होंने 30 हजार का योगदान देकर हमारे विश्वास को उम्मीदों के पंख लगा दिए।

विशेषज्ञों से गाइडेंस का अवसर

इसके बाद तारीख तय हुई 29 अगस्त 2016 , युवा सम्मलेन का आगाज हुआ जिसमें स्वयंसेवक के  शैक्षणिक क्षेत्रो से संबंधित जानकारी देने के लिये 15 स्टाल लगाये गए। इनमें अध्यापन , डिफेन्स , फैशन और डिजाइनिंग, समाज कार्य और वकालत , उद्यमिता, खेल , सरकारी योजनाए और स्कालरशिप , तकनीकी शिक्षा आदि थे। हर स्टाल पर उस क्षेत्र से जुड़े एक विशेषज्ञ थे।  इस सम्मलेन में 35 गाँवों 300 से ज्यादा युवाओं सहित विधायक और क्षेत्र के 20 से ज्यादा अपने क्षेत्र के जानकार व्यक्तितव शामिल हुए सभी ने इस पहल की सराहना करने के साथ ही भविष्य में पेक्षित सहयोग देने की बात कही।

वहीं तीन भामाशाहों ने अगले चरण के लिए आर्थिक रूप से सहयोग का विश्वास दिया। वर्तमान में एक छोटी सी पहल बड़े सामाजिक बदलाव की राह पर बढ़ चली है। आज 300 युवाओं के साथ हमारा सीधा संवाद है। सभी अपने गाँव में सामुदायिक बदलाव के लिए अपने-अपने ढंग से अनोखी पहल कर रहे हैं। कुछ शाम के समय सरकारी स्कूल के बच्चों को पढ़ाते हैं। तो वहीं कुछ ने अपने गाँव को ‘स्वच्छ गाँव’ बनाने का बीड़ा उठाया हैं। आप भी इस सफ़र में भागीदार बन सकते हैं तो एक कदम आगे बढ़ाएं और इस सामाजिक बदलाव की पहल से जुड़े। आप का साथ हमारे विश्वास को आसमान सी ऊंचाई देगा। हम सब मिलाकर  ‘सशक्त युवा , सक्षम गाँव’ के सपने को हक़ीक़त में तब्दील कर पाएंगे।

(इस पोस्ट के लेखक संदीप सैनी वर्तमान मे ‘पिरामल फाउण्डेशन फॉर एजुकेशन लीडरशिप’ में बतौर प्रोग्राम लीडर काम कर रहे हैं। उन्होंने इस आयोजन के बारे में एजुकेशन मिरर को लिखा ताकि बाकी साथियों को भी इस अच्छी पहल की जानकारी मिल सके।)

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