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बच्चों के सीखने पर शुरू से ध्यान देना क्यों जरूरी है?

  1. बच्चों के शुरुआती कुछ सालों के अनुभव और वातावरण का बच्चे के ऊपर आजीवन गहरा प्रभाव रहता है। इसलिए बच्चों के ऊपर छोटी उम्र से ध्यान देना बेहद जरूरी है।
  2. इस बुनियाद पर भविष्य में बच्चे का व्यवहार, उसका सीखना और स्वास्थ्य निर्भर करता है। इसका बच्चों के मस्तिष्क विकास पर भी असर पड़ता है, इस वजह से भी बच्चों के ऊपर ध्यान देने वाली बात की उपेक्षा नहीं की जानी चाहिए।
  3. पहली बार में चीज़ों को दुरुस्त करना, उनको बाद में सुधारने की कोशिशों से ज्यादा असरकारी है।
  4. जीवन के शुरुआती अनुभव हमारे जीवन में रच-बस जाते हैं और भावी जीवन में हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर डालते हैं, इस वजह को ध्यान में रखते हुए भी पूर्व-बाल्यावस्था में बच्चों की देखभाल पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
  5. बच्चों की शैक्षिक उपलब्धि में बाधक बनने वाले कारक बहुत पहले से असर डालना शुरू करते हैं। इनकी निरंतरता बग़ैर किसी हस्तक्षेप के जारी रहती है। जैसे बच्चों में 18 माह की उम्र से उनके शब्दकोष में विभिन्नताएं नज़र आने लगती हैं। यह इस बात पर निर्भर करता है कि बच्चे का जन्म किसी उच्च शिक्षित व संपन्न परिवार में हुआ है या फिर सामान्य परिवार में जहाँ शिक्षा व आर्थिक स्थिति तुलनात्मक रूप से कम है। तीन साल की उम्र में उन बच्चों का शब्द भण्डार तीन गुना ज्यादा होता है जिनके माता-पिता ने कॉलेज स्तर की शिक्षा हासिल की है, उन बच्चों के माता-पिता की तुलना में जिन्होंने मात्र दसवीं तक की पढ़ाई पूरी की है। जब ऐसे बच्चे स्कूल पहुंचते हैं तो वे आर्थिक-शैक्षिक रूप से संपन्न वातावरण में पले-बढ़े साथ में पढ़ने वाले अन्य बच्चे से पीछे होते हैं। जबतक कि उनको भाषा संपन्न वातावरण में उनकी सक्रिय भागीदारी नहीं होती है।

आखिर में कहा जा सकता है कि बच्चों के सर्वांगीण विकास के ऊपर शुरू से ध्यान देना बेहद जरूरी है ताकि उनका शारीरिक, मानसिक और शैक्षिक विकास बेहतर ढंग से हो सके। इस विषय पर विस्तार से पढ़ने के लिए Five Numbers to Remember about Early Childhood Development पर क्लिक कर सकते हैं।

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