राजस्थानः लैपटॉप के लिए कब तक करना होगा इंतज़ार?

भारत में प्राथमिक शिक्षा, ज़मीनी सच्चाई

इस सवाल का अभी तक कोई जवाब नहीं मिला है कि आठवीं में एक ग्रेड पाने वाले छात्रों को लैपटॉप कब मिलेंगे।

राजस्थान सरकार की तरफ से उन छात्र-छात्राओं को लैपटॉप वितरित करने की बात कही गयी थी। मगर इस बारे में सिर्फ गूगल सर्च हो रहा है कि लैपटॉप कब मिलेंगे? कब आठवीं कक्षा में ए ग्रेड पाने वाले छात्रों को लैपटॉप मिलेगा, जो अभी नौवीं कक्षा में पढ़ाई कर रहे हैं।

यह सुविधा केवल सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को ही मिलेगी, यह बात राजस्थान में इस साल से लागू नई पाठ्यपुस्तकों के पिछले कवर पेज़ पर दी गई है।  पूरी पंक्ति है, “कक्षा 8 में ए ग्रेड या इससे ऊपर के मेधावी पात्र विद्यार्थियों को लैपटॉप वितरण।”

शिक्षकों को मिल रहे हैं नोटिस

जिन विद्यालयों में आठवीं कक्षा के 50 प्रतिशत से ज्यादा बच्चों को डी ग्रेड मिला है, उस स्कूल में संबंधित विषय शिक्षकों को शिक्षा विभाग की तरफ से नोटिस भेजे जा रहे हैं। शिक्षकों में इस बात को लेकर चर्चा हो रही है कि नोटिस का क्या जवाब दिया जाए? वे इस बात से भी नाराज हैं कि जब स्कूल में पर्याप्त स्टाफ नहीं हैं तो फिर बच्चों के परीक्षा परिणाम पर तो असर पड़ना तय है। राजस्थान में आठवीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा पिछले सत्र (2015-16) से शुरू हुई थी। इसमें पास-फेल को लेकर होने वाले विवाद के बाद इसे प्रारंभिक शिक्षा पूर्णता प्रमाण पत्र का नाम दिया गया था।

इस साल से पांचवीं कक्षा में भी बोर्ड की परीक्षाएं हो रही है। इस कारण से पांचवीं के बच्चों पर भी आठवीं की भांति विशेष ध्यान दिया जा रहा है। मगर अहम सवाल तो यही है कि अगर प्राथमिक कक्षाओं में किसी बच्चे के ऊपर ध्यान नहीं दिया गया तो पांचवीं और आठवीं में ध्यान देने मात्र से क्या पूरी स्थिति बदल जाएगी? आठवीं में बहुत से ऐसे बच्चे हैं जिनको शिक्षक किताब पढ़ना सिखा रहे हैं। स्थितियां यहां तक हैं कि a, b, c, d…भी नहीं आती। ऐसे में रट्टे का आसरा है, शिक्षक उनको हर विषय में रटाने की कोशिश कर रहे हैं ताकि कम से कम पास तो हो जाएं। बाकी की उम्मीद नकल से है।

बस ‘नकल’ का आसरा है

पाठ्यपुस्तक लेखन, पाठ्यपुस्तक लेखन समिति

एक सरकारी स्कूल में किताबों को धूप दिखाते बच्चे।

पांचवीं कक्षा तक के ‘सिंगल टीचर स्कूल‘ में पढ़ाने वाले एक शिक्षक अपने अन्य साथी से कह रहे थे, ” बच्चों को नकल कराकर पास कर देंगे और क्या करेंगे? सरकार की मंशा भी यही है कि बच्चे को जैसे-तैसे पास करके आगे भेज दो। अगर बच्चों के पढ़ाई की फिक्र होती तो स्टाफ की व्यवस्था भी की जाती। बाकी की रही-सही कसर डाक बनाने और भेजने वाले काम से पूरी हो जाती है।”

ये शिक्षक अपने बच्चों को मन से पढ़ाते हैं, मगर न पढ़ा पाने के उनके पास वाजिब कारण भी हैं।

जो बच्चे पांचवीं और आठवीं नकल करके पास होंगे, उनका भविष्य क्या होगा? यह एक गंभीर सवाल है। इसका एक जवाब जो पिछले कुछ सालों में दिखाई दे रहा है। नौवीं के स्तर पर होने वाली छटनी का शिकार होना है। बड़ी संख्या में बच्चे नौवीं कक्षा में फेल हो रहे हैं। पढ़ाई छोड़ रहे हैं। उनके पास पढ़ाई छोड़कर काम-धंधे में लगने वाला विकल्प अपनाने के अलावा और कोई चारा नहीं है। सीनियर सेकेंडरी स्कूलों में शिक्षकों को बोर्ड के परिणाम की जिम्मेदारी और जवाबदेही लेनी पड़ती है, ऐसे में वे नहीं चाहते कि उनकी साख के ऊपर बट्टा लगे। उनका सोचना भी वाजिब है। आखिर ऐसे किसी सवाल का जवाब वे कैसे दे सकते हैं, जो उनके हिस्से आता ही नहीं है।

अच्छे स्कूलों में क्या होता है?

अब बात उन स्कूलों की भी कर लेते हैं, जिनको हम मॉडल स्कूल के नाम से जानते हैं। नवोदय विद्यालय में रोजाना स्कूल के बाद रेमेडियल क्लासेस लगती हैं। जिसमें शिक्षक कमज़ोर बच्चों को पढ़ाते हैं। ताकि वे बाकी बच्चों की बराबरी में आ सकें। इसके अतिरिक्त बच्चों के स्वाध्याय और होमवर्क पर भी काफी ध्यान दिया जाता है। वहां के शिक्षक काफी मेहनत करते हैं, इस कारण से उनका परीक्षा परिणाम बेहतर रहता है। ऊपर से इंट्रेस के बाद जो छात्र चयनित होकर आते हैं, उनका स्तर अच्छा होता ही है। इसका भी लाभ वहां के छात्रों को मिलता है।

असल मुद्दा स्कूलों में पढ़ने-लिखने का माहौल बनाने और उसे सदैव प्रेरित करते रहने का है। मगर यह सारे प्रयास बग़ैर स्टाफ के तो कतई संभव नहीं हैं। इसके लिए बुनियादी आधार संरचना की जरूरत तो होती ही है।

4 Comments

  1. Barmer Jile me laptop kab Milenge

  2. 10th me 75% se uper ke student ko kab milega laptop

  3. laptop kub milega date kub tk ki h sir please batana

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