शिक्षक का अर्थ क्या है?
शिक्षक शब्द अंग्रेजी भाषा के शब्द टीचर का हिंदी अनुवाद जैसा प्रतीत होता है। यानि एक ऐसा इंसान जो शिक्षण का कार्य करता है। सीखने-सिखाने की प्रक्रिया को सहजता और विशेषज्ञता के साथ करता है।
भारत में शिक्षक के लिए गुरू शब्द का प्रयोग प्राचीनकाल से होता आया है, गुरू का शाब्दिक अर्थ होता है संपूर्ण यानि जो हमें जीवन की संपूर्णता को हासिल करने की दिशा में बढ़ने के लिए हमारा पथ आलोकित करता है। 21वीं सदी में शिक्षा अनेकानेक बदलाव के दौर से गुजर रही है, पर मानवीय संपर्क और दो-तरफा संवाद की भूमिका समय के साथ और भी ज्यादा प्रासंगिक होकर हमारे सामने आ रही है।
शिक्षक की भूमिका है महत्वपूर्ण
भले ही पश्चिमी देशों में पर्सनलाइज्ड लर्निंग जैसे संप्रत्यय लोकप्रियता पा रहे हैं और आर्टिफीशियल इंटलीजेंस पर लोगों का भरोसा बढ़ता जा रहा है, मगर वैज्ञानिक इस बारे में चेतावनी भी जारी कर रहे हैं कि ऐसी तकनीक इंसानों के लिए एक दिन जानलेवा साबित हो सकती है।
इसी सिलसिले में प्रकाशित एक लेख में मानवीय भूलों व मूर्खताओं को इंसानी स्वभाव के लिए अति-आवश्यक बताते हुए इस बात की वकालत की गई कि मशीनों में भी ऐसी विशेषताओं का विस्तार करने की जरूरत है ताकि उनको ज्यादा मानवीय बनाया जा सके।
बच्चों का पहला ‘रोल मॉडल’ होता है शिक्षक
अभी हाल ही में एक अभिभावक ने अपने छोटे बच्चों के लिए स्कूल का चुनाव करने का अनुभव सुनाते हुए कहा कि परिवार के बाहर बच्चों का पहला ‘रोल मॉडल’ शिक्षक ही होता है। एक बच्चा बहुत से लोगों को अपने शिक्षक की बात मानता हुआ, उनके इशारे पर किसी काम को करते हुए और नेतृत्व करते हुए देखता है तो भीतर ही भीतर प्रभावित हुए बिना नहीं रह पाता है। ऐसे में जरूरी है कि उसके शिक्षक योग्य हों और अपने काम को पूरी विशेषज्ञता, तन्मयता और प्रभावशीलता के साथ करें।
इसके साथ ही बच्चे को वह स्नेह और आश्वासन दें जो उसे भविष्य के लिए जिम्मेदारी लेने वाला, अपनी ग़लती स्वीकार करने वाला और अपनी ग़लतियों के सीखकर आगे बढ़ने वाला इंसान बनाएं ताकि वह जीवन में प्रगति पथ पर निरंतर आगे बढ़ता हुआ अपनी संभावनाओं को शिखर को छू सके और एक स्वपन को साकार कर सके जिसे इंसान की सर्वश्रेष्ठ संभावनाओं को वास्तविकता में बदलना कहते हैं। यह हुनर ही एक शिक्षक को ख़ास बनाता है कि वह संभावनाओं को सच्चाई में तब्दील करने का हुनर जानता है, वह अपने छात्र-छात्राओं को बच्चों जैसा नेह देता हे और चुनौतियों से जूझने और खुद से बाहर आने का संघर्ष करने की स्वायत्तता और स्वतंत्रता भी।
शिक्षक मात्र वेतनभोगी कर्मचारी नहीं है
यानि शिक्षक की भूमिका एक ऐसे कोच की भांति है जो ओलंपिक जैसे किसी कड़ी प्रतिस्पर्धा वाले खेल के लिए अपने बच्चों को तैयार करता है। मगर यह भी जानता है कि इस खेल में हर किसी को एक ही मंज़िल पर नहीं जाना है। इनमें से बहुत से हैं जो अच्छे दर्शक बनेंगे। इनमें वे भी हैं जो लेखक बनेंगे। इनमें वे बच्चे भी हैं जो संगीत की दुनिया में अपना नाम रौशन करेंगे। इनमें वे बच्चे भी हैं जो शिक्षक बनकर बाकी बच्चों के सपनों को साकार करने की भूमिका स्वीकार करेंगे। यानि एक शिक्षक संभावनाओं के द्वार के पार जाने वाले इंसानों को निर्माण की भूमिका में सदैव समर्पण के साथ लगा रहता है, वह मात्र वेतनभोगी नहीं होता।
एक शिक्षक केवल पुरस्कार और पद का आकांक्षी नहीं होता, वह सच्चे अर्थों में एक विज़नरी होता है और भविष्य की दिशा तय करने व उसके बदलाव में अपनी भूमिका को सहज ही पहचान लेता है। भले कितनी ही मुश्किलें आएं, मगर वह इस रास्ते से कभी विमुख नहीं होता है। क्योंकि उसका काम अंधेरे के खिलाफ लड़ने वाली पीढ़ी को भविष्य की अबूझ चुनौतियों के लिए तैयार करना है, जिन चुनौतियों के बारे में वह सिर्फ अनुमान भर लगा सकता है। क्योंकि वे भविष्य के गर्त में हैं, इसलिए वह अपने छात्र-छात्राओं की क्षमता पर भरोसा करता है और उन्हें अपने जीवन में संघर्ष करने और अपने सपनों को जीने व उनका उनका पीछा करने के लिए सदैव प्रोत्साहित करता रहता है।
आखिर में एक जरूरी बात कि शिक्षक फ़ॉलोअर्स नहीं लीडर तैयार करते हैं। नेतृत्वकर्ता बनाने और नेतृत्व कौशल सिखाने के लिए जरूरी है कि हम खुद नेतृत्व करें। समाज में नेतृत्व करते नजर आएं। ऐसे उदाहरण पेश करें जो बच्चों/समुदाय को कई आयामों से अपने जीवन के अनुभवों पर चिंतन करने का अवसर देते हैं।
बहुत खूब सर
कम शब्दों में शिक्षक का अर्थ और उसकी महत्ता को दर्शाया हैं।
ब्रजेश जी ने शिक्षक के अर्थ को बहुत ही सुन्दर तरीके से समझाया है। शिक्षक ही वह माध्यम है जो छात्रों की रुचि को समझकर उन्हें जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है ।
बहुत सटीक शब्दों में शिक्षक का अर्थ समझाया सर आपने।।।।बहुत खूब। ।
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અઁ આઁ ઇઁ ઈઁ ઉઁ ઊઁ એઁ ઐઁ ૐ ઔઁ
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ka kha ga gha ṅa cha chha ja jha/za ña
ṭa ṭha ḍa ḍha ṇa ta tha da dha na pa pha/fa ba bha ma
ya ra la va ha ḽa/l̥ śa/sh ṣa sa
k̥a k̥ha g̥a z̥a d̥a d̥ha f̥a/p̥ha r̥a l̥a
å ā̊ i̊ ī̊ ů ū̊ e̊ ai̊ o̊ aů
ă̊ ā̆̊ ĭ̊ ī̆̊ ŭ̊ ū̆̊ ĕ̊ aĭ̊ ŏ̊ aŭ̊ ……..Roman Diacritic modified
å =an /am
Very nice and deep meaning. Must be followed by every teacher. 👌
virjesh singh ji ne shikshak ka arth bahut gahrai se samjhaya unhone’ gagar me sagar bhar diya hai’ par is shabd ka arth tabhi pura hoga jab student aur teacher ke beech antahkriya hogi aur dono ek dusre ko sahyog karenge