2019 के आम बजट में शिक्षा क्षेत्र के लिए क्या है?
नरेन्द्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला आम बजट (Budget 2019) शुक्रवार 5 जुलाई 2019 को पेश किया गया। इस मौके पर बजट पेश करते हुए भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि सरकार नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति लेकर आएगी और इसको लागू करने के लिए 400 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के बारे में कहा गया कि यह दुनिया की सबसे बेहतरीन शिक्षा नीतियों में से एक होगी, जिसमें शोध के साथ-साथ उच्च शिक्षा में शोध की गुणवत्ता बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। शोध की गुणवत्ता पर केंद्रित होकर काम करने के लिए नेशनल रिसर्च फ़ाउंडेशन बनाने का प्रस्ताव भी 2019 के बजट में किया गया।
भारत को उच्च शिक्षा का केंद्र बनाने पर ध्यान
हाल के वर्षों में भारत से विदेश में जाकर उच्च शिक्षा हासिल करने वाले छात्र-छात्राओं की तादात काफी बढ़ी है, लेकिन वर्तमान सरकार भारत को उच्च शिक्षा का केंद्र बनाने पर ध्यान दे रही है और इसके लिए स्टडी इन इंडिया स्कीम का भी जिक्रइस बजट में किया गया।
ऐसे प्रावधानों का क्या असर होगा, क्या यह भारत के विद्यार्थियों को विदेश जाकर अध्ययन करने से रोक पाएगा या विदेशी छात्रों को भारत में अध्ययन करने के लिए आकर्षित कर पाएगा, यह देखने वाली बात होगी। लेकिन चर्चा हो रही है और इस दिशा में सोचा जा रहा है, यही संतोष करने वाली बात है।
सवाल जो मन में हैं
- साल 2019 का बजट 21वीं सदी के क्लासरूम में बुनियादी सुविधाओं को सुनिश्चित करने के लिए कितनी राशि का प्रावधान करता है ताकि प्राथमिक शिक्षा की नींव को मजबूत किया जा सके?
- मिड डे मील के लिए आवंटित राशि में कितनी बढ़ोत्तरी की गई है?
- छात्र-शिक्षक अनुपात को संतुलित करने के लिए कितनी राशि का प्रावधान नये बजट में किया गया है?
- नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति कबतक अंतिम रूप में हमारे सामने होगी और इसके क्रियान्वयन के लिए स्तरानुसार क्या लक्ष्य निर्धारित किये गये हैं?
- विदेश में उच्च शिक्षा के इच्छुक छात्र-छात्राओं को वित्तीय सहायता या स्कॉलरशिप देने के लिए आम बजट-2019 में कितनीराशि का प्रावधान किया गया है, क्या यह पूर्व से कम है या फिर इसमें बढ़ोत्तरी की गई है?
- पूर्व-प्राथमिक शिक्षा और आँगनबाड़ी की स्थिति में सुधार हेतु कितनी राशि का आवंटन इस बजट में किया गया है, यह जानकारी भी अभी मिलनी शेष है।
- शिक्षा के क्षेत्र में निजीकरण को लेकर बजट किस दिशा में संकेत करता है, इसका विश्लेषण भी अभी शेष है।
हमने अनेक बदलाव शिक्षा नीति में समय-समय पर की हैं, लेकिन हर बार हमें मुँह की खानी पड़ी हैं। आज भी देश मे सभी स्तरों पर शिक्षा बेहाल हैं। देखते है आगे क्या होता हैं।