बच्चों के सीखने के बारे में 10 ख़ास बातें क्या हैं?
बच्चे विद्यालय में जिन अनुभवों के साथ आते हैं और जो भी वे जानते हैं उन्हीं को सीखने की प्रक्रिया का आधार बनाना महत्वपूर्ण है। इसके लिए यह समझना भी आवश्यक है कि प्राथमिक स्तर पर बच्चे कैसे सीखते हैं? कुछ महत्वपूर्ण पहलू इस प्रकार हैंः
- सभी बच्चे सीख सकते हैं। लेकिन हर बच्चे के सीखने का तरीका और गति भिन्न-भिन्न होती है, इस बात को ध्यान में रखना बेहद जरूरी है।
- बच्चे एक-दूसरे के साथ संवाद और किसी काम को करते हुए ज्यादा बेहतर ढंग से सीखते हैं। इस दृष्टि से खेल में बच्चों को शामिल करना सीखने की प्रक्रिया में शामिल करने में मदद करता है।
- सीखना एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। सीखने की प्रक्रिया विद्यालय की चारदीवारी की मोहताज नहीं होती, बच्चा घर और अपने आस-पड़ोस में भी सीखता है।
- बच्चे अपने ज्ञान का निर्माण स्वयं करते हैं। यानि बच्चे अपने अवलोकन, अनुभव, खेल, खोजबीन व किसी गतिविधि या काम में तल्लीनता के दौरान सीखते हैं।
- बच्चों के सीखने की प्रक्रिया सीधी रेखा में नहीं चलती, यानि इसमें बच्चे उन अवधारणाओं को दोबारा सीखते हैं जो वे पहले से जानते हैं।
- सीखना और करना दोनों गहरे रूप से जुड़े हुए हैं यानि बच्चों को हम जितना खुद से करने का मौका देते हैं, उनके सीखने की प्रक्रिया उतनी ही बेहतर होती है।
- सीखना ‘समग्रता’ में संभव है। यानि अलग-अलग विषय और अवधारणाएं आपस में एक-दूसरे से जुड़ी हुई हैं।
- प्राथमिक स्तर पर बच्चे एक-दूसरे से अंतःक्रिया (खेलते-कूदते, हँसते-गाते, बतियाते) करते हुए बेहतर तरीके से सीख पाते हैं।
- सीखने के दौरान बच्चे ग़लतियां भी करते हैं। ग़लतिया सीखने की प्रक्रिया का स्वाभाविक हिस्सा हैं, इनको लेकर बच्चों के साथ सहजता से पेश आना चाहिए।
- बच्चे बड़ों से भी सीखते हैं। बड़ों से सीखने की प्रक्रिया को सुगम बनाने की कसौटी है दोनों के बीच का ‘जुड़ाव’। बच्चे उन शिक्षकों के विषयों में विशेष दिलचस्पी लेते हैं और तेज़ी से सीखते हैं जिनका बच्चों से जुड़ाव होता है। जो बच्चों को ध्यान से सुनते हैं। उनके सवालों को समझते हैं। उनकी जिज्ञासाओं का समाधान करते हैं और उनको सवाल पूछने के लिए प्रोत्साहित भी करते हैं।
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