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शिक्षक प्रोत्साहन सिरीजः ‘बच्चों को पढ़ाने के जुनून और अच्छे व्यवहार के कारण याद आते हैं शिक्षक’

WhatsApp Image 2020-05-13 at 4.40.05 PMइस दुनिया में प्रवेश करते ही सीखने-सिखाने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। शुरुआती दौर में बच्चा अपने सवालों की बौछार अपने परिजनों पर करता है। हमारे परिजन भी अपनी समझ के मुताबिक़ हमें जवाब दे दिया करते हैं। लेकिन जब हम विद्यालय जाना शुरू करते है, तो हमारी मुलाक़ात शिक्षक से होती है जो हमारे सवालों, हमारी शरारतों, हमारे स्वभाव को एक नई दिशा व समझ देता है। केवल वही शिक्षक नहीं जो हमें स्कूल में पढ़ाते हैं बल्कि हर वो इंसान जो हमें सीखने का अवसर देता है, वह शिक्षक है व उनकी हमारे जीवन में भी बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका है। शिक्षक तो ज्ञान का वह भवसागर है जो प्रत्येक दिन अपने छोरों को फैलाता है। उनके बिना यह जीवन उलझे हुए उस धागे सा हो जाएगा जिसको सुलझाना कुछ नामुमकिन सा है।

प्राथमिक कक्षाओं में मुझे मीना चंद मैम अत्यधिक प्रिय थी। उनका सरल व सहज स्वभाव ही था जिस कारण अगर में स्कूल ना जाऊं तो कुछ अच्छा महसूस नहीं होता था। हमारी छोटी-छोटी गतिविधि को मैम हमारी उत्तरपुस्तिका में ढेर सारे चित्र बनाकर सराहा करती थी। हर बच्चा प्रयास करता था कि वह कुछ ऐसा करे कि उसकी उत्तरपुस्तिका में भी ढेर सारे चित्र बने। कुछ समय बाद हमे दीपा काण्डपाल मैम द्वारा मागदर्शन मिलने लगा। वह हमें हिन्दी पढ़ाया करती थी। प्रत्येक बच्चे पर बहुत ही विश्वास व एक मित्र की तरह समझाना उनके स्वभाव में था।

‘हंसा मैम अब भी याद आती हैं’

तीसरी कक्षा में मेरी मुलाकात हंसा कापड़ी मैम से हुई। उनका पढ़ाने का तरीका जितना प्रभावशाली था उतना ही अधिक उनका स्वभाव सरल तथा सौम्य था। उन्होंने तो हर बच्चे के हृदय में अपनी एक अलग जगह बना ली थी। वह हमें अंग्रेज़ी पढ़ाया करती थी और हमारी कक्षाध्यापिका भी थी। कुछ समय बाद उन्हें किसी कारण विद्यालय छोड़ना पड़ा। सभी विद्यार्थी बहुत ही दुखी थे लगभग बच्चों की आंखो में आंसू थे उनकी जाने की खबर से। उस समय हमारी गणित की अध्यापिका वंदना जोशी मैम हुआ करती थी। उनका स्वभाव नारियल के जैसा था बाहर से कड़क व अंदर से बहुत ही कोमल। अनुशासन प्रिय थी मैम व उन्होंने हर कदम पर हमारा मार्गदर्शन किया और स्कूल के प्रारम्भिक दौर में हमें बहुत सी सीख दी ।

प्राथमिक कक्षाओं में हमें अध्यापिका ही पढ़ाया करती थी। तो बड़े बच्चे अक्सर कहा करते थे कि अध्यापक बहुत ज्यादा पिटाई किया करते हैं। पर इस डर को मिटाने वाले शिक्षक मुझे कक्षा पांच में मिले, अफजल सर। वह हमें मज़ाक मज़ाक में ही बहुत सी सीख दे दिया करते थे। मुझे तो बैडमिंटन खेलना भी उन्होंने ही सिखाया। उनका स्वभाव बहुत ही मित्रतापूर्ण था और वह हमारे बड़े भाई की तरह हमें समझाया करते थे। उस समय मैं प्रवीन बोरा सर से भी अत्यधिक प्रभावित हुई। मल्टी टेलेंटेड थे वो, कोई ऐसा विषय नहीं था जो उन्होंने हमें ना पढ़ाया हो। उनका व्यक्तित्व बहुत ही आकर्षक था व उनका बोलने का लहजा भी मुझे बहुत पसंद था।

कक्षा छठी में कुछ कारणों से मैने अपना विद्यालय बदल दिया। पर फिर भी इन सभी शिक्षकों का आशीर्वाद समय-समय पर मिलता रहा। फिर मैने प्रवेश किया नानकमत्ता पब्लिक स्कूल में। बहुत ही बेहतरीन शिक्षकों से मुलाकात हुई और अधिक समय भी नहीं लगा घुलने मिलने में।

नानकमत्ता पब्लिक स्कूल के शिक्षक

प्रभावशाली व्यक्तित्व वाले कमलेश अटवाल सर से मिलकर शिक्षकों के लिए नजरिया ही बदल गया। वे विद्यालय के बच्चों के बीच बहुत ही प्रसिद्ध अध्यापक हैं। पहली बार मेरे साथ ऐसा हुआ की किसी शिक्षक के एक विषय पढ़ाने के कारण वह विषय मेरा पसंदीदा बन जाए। केवल विषय नहीं पढ़ाते, वह तो जीवन की इस डगर पर भी हमारा मार्गदर्शन करते है। सर ने हर वो तरीका अपनाया है जिससे हम सीखने-सीखाने की इस प्रक्रिया में दिलचस्पी महसूस करें। वह बच्चे जो खुद को सीखने के इस ढांचे में फिट नहीं बैठा पाते, उनसे दूरी बनाने की बजाय वह हर वो प्रयास करते हैं जिससे वह उन्हें सुविधाजनक महसूस करा पाए। तर्कशील होना भी कमल सर ने ही मुझे सिखाया। सवाल पूछने की आदत को भी एक अलग दिशा दी और आधी-अधूरी जानकारी नहीं बल्कि सिक्के का दूसरे पहलू को देखना भी हमें सिखाया है।

WhatsApp Image 2020-05-13 at 4.40.04 PMविजय गहतोड़ी सर, हमें हिन्दी पढ़ाया करते है। उनका स्वभाव मित्रतापूर्ण है व बहुत ही मजाकिया है। सर का पढ़ाने का लहज़ा तो प्रभावशाली है ही पर उनका व्यक्तित्व भी उतना ही आकर्षक है। सातवीं कक्षा में मेरी मुलाकात अशोक चंद सर से हुई। हमारे विद्यालय में नए शिक्षकों को बच्चों को डेमो क्लास देकर संतुष्ट करना होता है। जब अशोक सर हमारी कक्षा में आए तो उनके मजाकिया स्वभाव ने पूरी कक्षा को उन्हें पढ़ाने के लिए मना लिया था।

पहली ही कक्षा में उन्होंने सबका दिल जीत लिया था। सर हमें अंग्रेज़ी पढ़ाया करते हैं। उन्होंने हमारी मुलाकात सही मायने में अंग्रेज़ी से करवाई है। उनके आने से पहले तो लगता था अंग्रेजी की कहानी पढ़ना ही अंग्रेज़ी है। सर के स्वभाव की सबसे प्रभावशाली बात उनका बच्चों के साथ बच्चे की ही तरह हो जाना है। उनके साथ कभी यह शिक्षक वाली बंदिश महसूस ही नहीं होती। वह जिस तरह हमें समझाते हैं व कभी कभार हमारी गलतियों में डांट भी दिया करते हैं, वह एक बड़े भाई का अपने छोटे भाई-बहनों की ओर प्यार सा लगता है।

हमारे गणित के अध्यापक दिनेश अधिकारी सर। उनकी अपने विषय में पकड़ व बच्चों को पढ़ाने का जुनून काबिले तारीफ़ है। वह अक्सर कक्षा शुरू करने से पहले हमें एक कहानी सुनाकर जीवन का पाठ पढ़ाया करते थे। हालांकि उनकी मेहनत का फल तो हम उन्हें कम ही दे पाते थे, पर फिर भी उन्होंने कभी किसी बच्चे पर हाथ नहीं उठाया यहां तक की कभी किसी से ऊंची आवाज में बात भी नहीं की। सर का व्यक्तित्व व सीखने-सिखाने के प्रति जुनून प्रेरणा देने वाला है।

पिछले ही वर्ष सौरभ जोशी सर हमारे विद्यालय में नियुक्त हुए। केवल पढ़ाना ही नहीं बच्चों तक पहुंचना भी उनकी प्राथमिकता थी। मित्रतापूर्ण स्वभाव है सर का व नए-नए तरीके अपनाते है हम तक अपनी बात को पहुंचाने के लिए। रुपम चौहान मैम, जो की हमारी केमिस्ट्री की टीचर है, उनका पढ़ाने का तरीका तो इतना प्रभावशाली है कि उनकी पढ़ाई हुई चीज झट से याद हो जाती है। बायोलॉजी पढ़ाने वाले संदीप सर का व्यक्तित्व व पढ़ाने का तरीका प्रभावशाली है।

WhatsApp Image 2020-05-13 at 4.40.05 PM(1)हमारे शिक्षक केवल हमें किताबो तक सीमित नहीं रखते बल्कि हर वह प्रयास करते हैं जिससे हमारी रचनात्मकता को भी जगह मिल सके। दिलचस्प तरीके से हमारी समझ को बढ़ाने के लिए अकसर वह नए तरीके इस्तेमाल करते हैं।

बच्चों की रचनात्मकता को एक नया प्लेटफॉर्म देते हुए हमारे शिक्षकों ने महेश पुनेठा जी, जो कि पिथौरागढ़ में शिक्षक है, उनके द्वारा की गई पहल “दीवार पत्रिका”, जिसका उद्देश्य बच्चों की रचनात्मकता को एक जगह देना है, की शुरुआत हमारे विद्यालय में भी हुई।

इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए हमारे स्कूल का एक मासिक अखबार ” द एक्सप्लोरर ” भी निकलने लगा और हमारी रचनात्मकता और सृजनशीलता को एक नया स्पेस मिला।

जाने माने व्यक्तित्व को विद्यालय में बुला कर विद्यार्थियों को प्रेरित भी करते रहते है हमारे शिक्षक। गणित में विद्यार्थियों का रुझान पैदा करने के लिए मैथ्सप्ले के भारत श्रेष्ठ जी, विज्ञान में रुचि बढ़ाने के लिए विज्ञान के क्षेत्र में काम कर रहे और “बाल विज्ञान खोजशाला” के संस्थापक आशुतोष जी और कहानियों को अलग तरह से सुनाने के लिए ओमजा यादव जी को विद्यार्थियों के साथ स्पेशल सेशन के लिए आमंत्रित किया और बेहतरीन तरीके से इस क्षेत्र में हमारा रुझान पैदा किया।

लॉकडाउन में भी जारी है सीखने-सिखाने का सिलसिला

लॉकडाउन में भी हमारे शिक्षक सीखने-सिखाने की इस प्रक्रिया में कोई बाधा ना आए की पूरी कोशिश में है। प्रत्येक कक्षा के व्हाट्सएप ग्रुप् बनाए गए है और वीडियो और ऑडियो के माध्यम से हमारी क्लास ली जा रही है। समय समय पर रोचक पुस्तक, दिलचसप कहानियां हमारे साथ साझा की जा रही है और हमें दिलचस्प कार्य दे कर हमारे समय का सदुपयोग किया जा रहा है।

आखिर में उन सभी शिक्षकों को मेरा दिल से शुक्रिया जिन्होंने मेरा मार्गदर्शन किया है। इन सभी शिक्षकों के लिए शुक्रिया शब्द बहुत ही छोटा है। मै बहुत ही भाग्यशाली हूं जो ऐसे शिक्षकों से मिलने का मौका मिला। इन सभी शिक्षकों से ही मै अपने भविष्य के लिए उचित मूल्य पा रही हूं। इन शिक्षकों की निस्वार्थ मेहनत के लिए शुक्रिया शब्द कुछ छोटा है। अवश्य ही मै कोशिश करूंगी कि इन सभी शिक्षक को गौरवान्वित महसूस करा पाऊं और सभी के सिद्धांतो व मूल्यों का अपने जीवन में सदैव ही अनुसरण कर पाऊं।

(लेखक परिचयः कृति अटवाल  उत्तराखंड के नानकमत्ता पब्लिक स्कूल मे अध्ययनरत हैं। अपनी स्कूल की दीवार पत्रिका के सम्पादक मंडल से भी जुड़ी हैं। अपने विद्यालय के अन्य विद्यार्थियों के साथ मिलकर एक मासिक अखबार भी निकालती हैं। जश्न-ए-बचपन की कोशिश है बच्चों की सृजनात्मकता को अभिव्यक्ति होने का अवसर मिले।)

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3 Comments on शिक्षक प्रोत्साहन सिरीजः ‘बच्चों को पढ़ाने के जुनून और अच्छे व्यवहार के कारण याद आते हैं शिक्षक’

  1. Anonymous // May 13, 2020 at 4:16 pm //

    🧚‍♀️🧚‍♀️ बहुत खूब👌👌

  2. Anonymous // May 13, 2020 at 3:53 pm //

    Hello Kriti. .
    Ummid karti hu ki aap acche v surakshit hongi.
    Aapka yah lekh waqkayi kamal ka hain, is lekh ke sath sath mujhe mere aur bhi bahut sare teachers ki yaad aa gayi jinse maine bahut kuch sikha hain. Maine 4 school badle aur school main aese, prerit karne wale shikshak mile. .Jinhone mere jivan ko badal diya. Bahut sari subhkamnaye… Aese hi aur bhi likhte rahiye aur share karte rahe. Aapki yaj post aapke shikshon tak bhi pahucha ho aese meri kaamna hain. .. Unhe bahut accha lagega. ☺

    All the best.
    Yashaswi

  3. Anonymous // May 13, 2020 at 3:22 pm //

    Very Nice thought

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