बाल संसार
इस कॉलम में बच्चों के लिखे अनुभव। क्लासरूम में उनके अनुभव। शिक्षकों व शिक्षा के बारे में उनकी राय। उनकी बनाई तस्वीरों और बदलते समय के बारे में बच्चों के विचारों को प्रमुखता के साथ पेश करता है।
उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में बच्चे की पिटाई वाली घटना अत्यंत दुःखद है। यह मानसिकता और सोच में बदलाव की आवश्यकता को रेखांकित करता है।
[...]
This experience is written by Sakshi Bhandari, a student of class 12th at Nanakmatta Public School of Uttarakhand.
[...]
"हिमानी हमारे साथ ही रहना चाहती है । जब तक आप लोग हाँ नहीं बोलोगे, उसका पता किसी को नहीं बताया जाएगा।"
[...]
"खेळता खेळता मी विचार करत होतो कि महाभारत संपत आलं आहे, दुसरी सिरीयल शोधावी लागणार. मग मी बाबाला विचारलं कि यानंतर कोणती सिरीयल पाहणार आहे?"
[...]
'द एक्सप्लोरर' की पूरी संपादकीय मंडली हमेशा पाठकों की प्रतिक्रियाओं का इंतज़ार करती है। इस वीडियो को जरूर देखें और बच्चों के प्रयासों को प्रोत्साहित करें।
[...]
अप्रैल 2018 में लिखे अपने डायरी के
[...]
आरव की सातवीं डायरी में पढ़िए दिल्ली के अक्षरधाम मंदिर में सैर की कहानी।
[...]
हमारा देश भारत आज़ादी के 70 सालों बाद सबसे बड़े पलायन का सामना कर रहा है। पढ़िए रिया की लिखी टिप्पणी।
[...]
बिहार बोर्ड की 10वीं का रिजल्ट ऐसे चेक करें।
[...]
दूसरी कक्षा की एक छात्रा ने अपनी हिन्दी की शिक्षा अभिलाषा मैम को कैसे याद कियाहै? पढ़िए।
[...]
उत्तर प्रदेश के एक सरकारी विद्यालय में पढ़ने वाली छात्रा शिक्षा ने अपने माँ के लिए एक कविता लिखी, आप भी पढ़िए।
[...]
सभी साथियों को मदर्स डे की शुभकामनाएं।
[...]
शिक्षक प्रोत्साहन सीरीज़ में फिर से पढ़िए एजुकेशन मिरर के नन्हे लेखक आरव राउत को।
[...]
शिक्षक प्रोत्साहन सीरीज़ के लिए दूसरा मैसेज प्रयाग राज से आया है। इसे नवपुण्या नवीन ने लिखा है।
[...]
शिक्षकों के प्रोत्साहन सीरीज़ की पहली स्टोरी नीलभ के शब्दों में अपनी शिक्षिका जसलीन मैम के लिए।
[...]
यह मार्मिक कहानी दसवीं कक्षा की छात्रा डौली भट्ट ने लिखी है। जरूर पढ़ें।
[...]
अब तक आरव ने कुल छह कविताएं लिखी है ,
[...]
एजुकेशन मिरर के सजग पाठकों के लिए आरव
[...]
कोहराम मचा था गांव में, हो रहा था अजब
[...]
चार दोस्त निकल पड़े चौड़ा सीना तान के,
[...]
आँखों में नींद और लेकर थोड़ा आलस शरीर
[...]
आरव की दूसरी पोस्ट में पढ़िए सोनीपत के चोखी ढाणी की कहानी। हालांकि आरव इसे चौकी ढानी लिखते हैं।
[...]
'अनाथ बचपन' कविता बच्चों को ऐसा संसार देने के लिए प्रेरित करती है ताकि भारत के बच्चों का भविष्य बेहतर हो सके।
[...]
ज़ैतून ज़िया की एजुकेशन मिरर के लिए यह पहली स्टोरी है। पढ़िए और दीजिए अपनी राय।
[...]
अनारको की कहानी परीक्षा, पास-फेल और जीवन में लोग क्या चाहते हैं जैसे सवालों से रूबरू होती है।
[...]
सार्थक शब्दों का भण्डार समझ के साथ पढ़ने को प्रोत्साहित करता है।
[...]
यह आलेख एजुकेशन मिरर के लिए लिखा है मोहम्मद हबीब ने।
[...]
यह कविता बलदेव वंशी ने लिखी है
[...]
कुलदीप की लिखी इस कविता में बचपन से बिछड़ने का दर्द महसूस होता है।
[...]
रोहित म्हस्के अपनी कविता में इंसान के स्त्री और पुरुष के पूरक होने वाली भूमिका को रेखांकित करते हैं।
[...]
नई तालीम के विचार को गांधी ने सेवाग्राम में जमीनी सच्चाई में बदलने का कार्य किया।
[...]
स्कूली किताबों की कविता के मायने शृंखला में पढ़िए मनोहर चमोली मनु की एक समीक्षा।
[...]
10वीं की परीक्षा केवल दो राज्यों में दोबारा हो सकती है।
[...]
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड
[...]
एक शिक्षक साथी कविता के माध्यम से बता रहे हैं।
[...]
शिक्षा क्षेत्र में बदलाव के लिए स्कूल स्तर पर प्रयास हैं जरूरी।
[...]
ऐसे बच्चों की कुल संख्या आबादी के हिसाब से 'चौथे देश' वाले स्थान पर है।
[...]
शिक्षकों के व्यक्तिगत प्रयास भी मायने रखते हैं। यह पोस्ट इसी बात को रेखांकित करती है।
[...]
यह उत्तर प्रदेश के एक सरकारी स्कूल की कहानी है।
[...]
भारत में 93 लाख बच्चे गंभीर कुपोषण के शिकार हैं।
[...]
एक घोंसले की कहानी, जो बच्चे ने किसी बड़े को समझायी।
[...]
कृष्ण कुमार इस साल तीसरी क्लास में पहुंच रहे हैं।
[...]
नियमित अध्ययन और लिखने की तैयारी आठवीं में बोर्ड परीक्षा की तैयारी में अच्छे प्रदर्शन का आधार है।
[...]
यह कविता बच्चों को समझने और उनको प्यार से पढ़ाने की गुजारिश करती है।
[...]
बच्चों की पसंद-नापसंद तय करने का अधिकार किसे हैं? पढ़िए इस पोस्ट में।
[...]
ज्यादा नंबर मिले तो वाह-वाह भी नहीं। कम नंबर मिले तो ताने। ये कैसा समाज है?
[...]
इस महीने शिक्षा के क्षेत्र में बदलाव
[...]
यह पोस्ट बच्चों के स्वभाव को समझने पर जोर देती है।
[...]
लेखक और पत्रकार दयाशंकर मिश्र लिखते हैं, "बच्चों को प्रोडक्ट मत बनाइए। बच्चे आपसे हैं। आपके लिए नहीं हैं।"
[...]