बाल संसार
इस कॉलम में बच्चों के लिखे अनुभव। क्लासरूम में उनके अनुभव। शिक्षकों व शिक्षा के बारे में उनकी राय। उनकी बनाई तस्वीरों और बदलते समय के बारे में बच्चों के विचारों को प्रमुखता के साथ पेश करता है।
"हिमानी हमारे साथ ही रहना चाहती है । जब तक आप लोग हाँ नहीं बोलोगे, उसका पता किसी को नहीं बताया जाएगा।" [...]
कोरोना काळातील माझे अनुभव: आरव राउत
"खेळता खेळता मी विचार करत होतो कि महाभारत संपत आलं आहे, दुसरी सिरीयल शोधावी लागणार. मग मी बाबाला विचारलं कि यानंतर कोणती सिरीयल पाहणार आहे?" [...]
नई पहलः बच्चों के लिए सीखने का जरिया बना ‘द एक्सप्लोरर’ का डिजिटल संस्करण
'द एक्सप्लोरर' की पूरी संपादकीय मंडली हमेशा पाठकों की प्रतिक्रियाओं का इंतज़ार करती है। इस वीडियो को जरूर देखें और बच्चों के प्रयासों को प्रोत्साहित करें। [...]
आरव की डायरीः शिमला का सफ़र
अप्रैल 2018 में लिखे अपने डायरी के [...]
आरव की डायरीः मेरी नज़र में दिल्ली का अक्षरधाम मंदिर
आरव की सातवीं डायरी में पढ़िए दिल्ली के अक्षरधाम मंदिर में सैर की कहानी। [...]
बच्चों की दुनियाः शहरों से अपने घरों की तरफ पैदल लौटते मजदूरों को देखकर उठते सवाल क्या हैं?
हमारा देश भारत आज़ादी के 70 सालों बाद सबसे बड़े पलायन का सामना कर रहा है। पढ़िए रिया की लिखी टिप्पणी। [...]
Bihar Board 10th Result 2020: बिहार बोर्ड ने मैट्रिक परीक्षा का परिणाम घोषित किया, ऐसे देखें 10वीं का रिजल्ट
बिहार बोर्ड की 10वीं का रिजल्ट ऐसे चेक करें। [...]
शिक्षक प्रोत्साहन सिरीजः ‘कक्षा में हिन्दी वाली शिक्षिका के आते ही बच्चे खुश हो जाते हैं’
दूसरी कक्षा की एक छात्रा ने अपनी हिन्दी की शिक्षा अभिलाषा मैम को कैसे याद कियाहै? पढ़िए। [...]
कविताः माँ होती है जीवन में तो
उत्तर प्रदेश के एक सरकारी विद्यालय में पढ़ने वाली छात्रा शिक्षा ने अपने माँ के लिए एक कविता लिखी, आप भी पढ़िए। [...]
आप सभी को हैप्पी मदर्स डे, उनको भी जो अपनी माँ से दूर घर लौटने के सफ़र में हैं!
सभी साथियों को मदर्स डे की शुभकामनाएं। [...]
शिक्षक प्रोत्साहन सिरीज़ः मला लाभलेले विविध शिक्षक
शिक्षक प्रोत्साहन सीरीज़ में फिर से पढ़िए एजुकेशन मिरर के नन्हे लेखक आरव राउत को। [...]
शिक्षक प्रोत्साहन सिरीजः ‘मुझे मेरी ऐना मैडम बहुत अच्छी लगती हैं’
शिक्षक प्रोत्साहन सीरीज़ के लिए दूसरा मैसेज प्रयाग राज से आया है। इसे नवपुण्या नवीन ने लिखा है। [...]
शिक्षक प्रोत्साहन सिरीजः ‘नीलभ कहते हैं मुझे जसलीन मैम के पढ़ाने के तरीके बहुत याद आते हैं
शिक्षकों के प्रोत्साहन सीरीज़ की पहली स्टोरी नीलभ के शब्दों में अपनी शिक्षिका जसलीन मैम के लिए। [...]
कहानीः सदमा
यह मार्मिक कहानी दसवीं कक्षा की छात्रा डौली भट्ट ने लिखी है। जरूर पढ़ें। [...]
आरव की डायरीः फिल्में जो मैंने देखी हैं
अब तक आरव ने कुल छह कविताएं लिखी है , [...]
आरव की डायरीः आनंद मेळाव्यातील माझे अविस्मरणीय अनुभव
एजुकेशन मिरर के सजग पाठकों के लिए आरव [...]
कविताः ‘जितनी जरूरत है, उतने में संतोष करो’
कोहराम मचा था गांव में, हो रहा था अजब [...]
कविताः चार दोस्त
चार दोस्त निकल पड़े चौड़ा सीना तान के, [...]
कविताः सुबह की ठंडी हवा और प्रकृति की मोहक सुंदरता में
आँखों में नींद और लेकर थोड़ा आलस शरीर [...]
आरव की डायरीः पढ़िए चोखी ढाणी सोनीपत की कहानी
आरव की दूसरी पोस्ट में पढ़िए सोनीपत के चोखी ढाणी की कहानी। हालांकि आरव इसे चौकी ढानी लिखते हैं। [...]
कविताः ‘अनाथ बचपन’
'अनाथ बचपन' कविता बच्चों को ऐसा संसार देने के लिए प्रेरित करती है ताकि भारत के बच्चों का भविष्य बेहतर हो सके। [...]
कहानीः दो तितलियाँ
ज़ैतून ज़िया की एजुकेशन मिरर के लिए यह पहली स्टोरी है। पढ़िए और दीजिए अपनी राय। [...]
‘अनारको के आठ दिन’ की कहानी क्या है?
अनारको की कहानी परीक्षा, पास-फेल और जीवन में लोग क्या चाहते हैं जैसे सवालों से रूबरू होती है। [...]
क्या आपकी कक्षा में बच्चे पढ़ते समय शब्दों के अर्थ पूछते हैं?
सार्थक शब्दों का भण्डार समझ के साथ पढ़ने को प्रोत्साहित करता है। [...]
आलेखः ‘बचपन को कूड़े की तलाश में खो जाने से बचाना होगा’
यह आलेख एजुकेशन मिरर के लिए लिखा है मोहम्मद हबीब ने। [...]
कविताः बच्चे की ख़ुशी
यह कविता बलदेव वंशी ने लिखी है [...]
मेरी पहली कविताः ‘एक था बचपन प्यारा सा’
कुलदीप की लिखी इस कविता में बचपन से बिछड़ने का दर्द महसूस होता है। [...]
कविता: हम हैं इंसान
रोहित म्हस्के अपनी कविता में इंसान के स्त्री और पुरुष के पूरक होने वाली भूमिका को रेखांकित करते हैं। [...]
नई तालीम के अस्तित्व की भूमि है ‘सेवाग्राम’
नई तालीम के विचार को गांधी ने सेवाग्राम में जमीनी सच्चाई में बदलने का कार्य किया। [...]
समीक्षाः ‘आम की टोकरी’ कविता पर बच्चों के सवाल हैरान करते हैं
स्कूली किताबों की कविता के मायने शृंखला में पढ़िए मनोहर चमोली मनु की एक समीक्षा। [...]
सीबीएसई बोर्ड: बड़े स्तर की ‘पेपर लीक’ जांच में सामने आने पर दोबारा होगी 10वीं की परीक्षा
10वीं की परीक्षा केवल दो राज्यों में दोबारा हो सकती है। [...]
सीबीएसई पेपर लीकः 20 लाख से ज्यादा छात्र-छात्राओं को दोबारा देनी होगी बोर्ड परीक्षा
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड [...]
सरकारी स्कूल में क्यों कराएं बच्चों का प्रवेश?
एक शिक्षक साथी कविता के माध्यम से बता रहे हैं। [...]
शिक्षा की बातः ‘शिक्षा के क्षेत्र में बदलाव व्यक्तिगत स्तर पर होने वाले प्रयासों से ही आयेगा’
शिक्षा क्षेत्र में बदलाव के लिए स्कूल स्तर पर प्रयास हैं जरूरी। [...]
दुनियाभर में ‘स्कूल से बाहर’ बच्चों की कुल संख्या, किस देश की आबादी से भी ज्यादा है ? पढ़िए इस पोस्ट में।
ऐसे बच्चों की कुल संख्या आबादी के हिसाब से 'चौथे देश' वाले स्थान पर है। [...]
चंदौलीः ‘लेखन प्रतिस्पर्धा’ के जरिये बच्चों को सुलेख और रचनात्मक लेखन के लिए प्रेरित करने की पहल
शिक्षकों के व्यक्तिगत प्रयास भी मायने रखते हैं। यह पोस्ट इसी बात को रेखांकित करती है। [...]
‘कबूतर’ वाली कविता पढ़ते बच्चे
यह उत्तर प्रदेश के एक सरकारी स्कूल की कहानी है। [...]
भूख से मरते बच्चों की तड़प हमें बेचैन क्यों नहीं करती?
भारत में 93 लाख बच्चे गंभीर कुपोषण के शिकार हैं। [...]
किताब के ‘घोंसले’ से बाहर झांकती बच्ची क्या कहती है?
एक घोंसले की कहानी, जो बच्चे ने किसी बड़े को समझायी। [...]
कृष्ण कुमार की कहानी
कृष्ण कुमार इस साल तीसरी क्लास में पहुंच रहे हैं। [...]
आठवीं की बोर्ड परीक्षा में अधिक अंक पाने के लिए क्या करें?
नियमित अध्ययन और लिखने की तैयारी आठवीं में बोर्ड परीक्षा की तैयारी में अच्छे प्रदर्शन का आधार है। [...]
कविता: स्कूल जाने वाले बच्चे
यह कविता बच्चों को समझने और उनको प्यार से पढ़ाने की गुजारिश करती है। [...]
डायरीः बच्चे की पसंद और माँ के तर्क के बीच रेफरी की भूमिका में एक लड़की
बच्चों की पसंद-नापसंद तय करने का अधिकार किसे हैं? पढ़िए इस पोस्ट में। [...]
बोर्ड परीक्षा में ‘कम नंबर’ पर ताने क्यों?
ज्यादा नंबर मिले तो वाह-वाह भी नहीं। कम नंबर मिले तो ताने। ये कैसा समाज है? [...]
उत्तर प्रदेश के सरकारी स्कूलों में लागू होगी नई ड्रेस
इस महीने शिक्षा के क्षेत्र में बदलाव [...]
जरूरी सवालः बच्चे ‘इंसान’ हैं या ‘शैतान’?
यह पोस्ट बच्चों के स्वभाव को समझने पर जोर देती है। [...]
प्रासंगिक सवालः बदलते दौर में कैसे करें पैरेंटिंग?
लेखक और पत्रकार दयाशंकर मिश्र लिखते हैं, "बच्चों को प्रोडक्ट मत बनाइए। बच्चे आपसे हैं। आपके लिए नहीं हैं।" [...]
अनुभव की अभिव्यक्ति है लेखन – यशस्वी
कौन सी बात है जो हमें लिखने को प्रेरित करती है? पढ़िए इस पोस्ट में। [...]
‘रफ कॉपी’ की कहानी
उस रफ़ कॉपी में बहुत सी यादें होती थीं, जैसे अनजानी दोस्ती अनजाना सा गुस्सा, कुछ उदासी, कुछ दर्द। [...]