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सुर्ख़ियों में शिक्षा

शिक्षा से जुड़ा कौन सा मुद्दा है चर्चा में। कौन से मुद्दे पर लोग कर रहे हैं बातें। शिक्षा नीति में बदलाव की बात हो या फिर स्कूलों से जुड़ी कोई ऐसी खबर जो राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बनी है। सिंगल टीचर स्कूल। अंडर एज बच्चे। अनियमित बच्चे। अनियमित शिक्षक। शिक्षकों का रोज स्कूल न आना। नीतिगत बदलाव।

समझकर पढ़ने और मौखिक अभिव्यक्ति कौशल को बेहतर बनाता ‘पठन अभियान’

"पठन अभियान की शुरुआत एक समसामयिक कदम है। भारत सरकार ने सभी राज्यों से इस दिशा में काम करने की अपेक्षा भी की है। इस अभियान के अंतर्गत पढ़ने का आशय समझकर पढ़ना है।" [...]

‘कोविड-19: सीखने के अवसरों में अंतर को समझने वाले अभिभावक स्कूल खोलने के पक्ष में’

कोविड-19 के दौर में स्कूली शिक्षा की वर्तमान स्थिति पर बेहद संक्षिप्त, सटीक और संजीदा टिप्पणी शिक्षक केवल आनंद काण्डपाल जी ने लिखी है। जरूर पढ़ें, शेयर करें और टिप्पणी लिखने में संकोच न करें। [...]

मिशन प्रेरणाः वाराणसी जिले का पहला प्रेरक संकुल बना ‘लोहराडीह’

22 जनवरी 2021 को उत्तर प्रदेश में वाराणसी जिले के सेवापुरी विकास खण्ड में स्थित प्राथमिक विद्यालय नहवानीपुर में मिशन प्रेरणा के अंतर्गत 'शिक्षक संकुल' बैठक का आयोजन किया गया। [...]

पुस्तक चर्चाः एक शिक्षक के अनुभवों का जीवंत दस्तावेज़ है ‘अध्यापकीय जीवन का गुणनफल’

वर्ष 1947 में जब श्री श्याम नारायण मिश्र सातवीं कक्षा में थे, तब देश आज़ाद हुआ था और गणेश मिडिल स्कूल, पुपरी, सीतामढ़ी  के संस्थापकों ने विद्यार्थियों के बीच तब मिठाइयाँ बाँटी थीं। [...]

शिक्षक इंटरव्यू सिरीज़ः ‘दिन-प्रतिदिन बच्चों के साथ-साथ मैं भी कुछ न कुछ नया सीख रही होती हूँ’

इंटरव्यु सिरीज़ की चौथी कड़ी में पढ़िए एजुकेशन मिरर की मैनेजिंग एडिटर डॉ. नीलम वर्मा और दिल्ली की शिक्षिका स्वाति की बातचीत। [...]

शिक्षक इंटरव्यू सिरीज़ः ‘बच्चों को एक ऐसा इंसान बनता देखना चाहता हूं जो अच्छे नागरिक हों’

डॉ. कमलेश अटवाल कहते हैं, "मेरे अनुसार एक शिक्षक अपनी सीखी हुई बातें अपने छात्र-छात्राओं से साझा करते हैं और उन्हें सामाजिक और मनोवैज्ञानिक सपोर्ट देते हैं।" [...]

शिक्षक इंटरव्यू सिरीज़ः “विषय को ‘समझाने’ से पहले बच्चों को समझना है जरूरी- सविता प्रथमेश”

बच्चों के साथ जुड़ाव की जीवंत मिसाल है सविता प्रथमेश जी। उन्होंने इस जीवंतता को कैसे हासिल किया? पढ़िए इस साक्षात्कार में। [...]

‘साइंस Vs सोशल साइंसः दुनिया में ज्ञान खोजिए, ज्ञान को बाइनरी में मत झोंकिए’-जे. सुशील

जे. सुशील लिखते हैं, "असल में साइंस और सोशल साइंस अलग चीज़ें हैं ही नहीं। इसे बाइनरी में बनाकर लोगों को सोचने से रोका गया है और कुछ नहीं।" [...]

जे. सुशीलः अमेरिका की तरह भारत में शिक्षा का निजीकरण क्यों नहीं होना चाहिए?

भारत में शिक्षा के निजीकरण वाले तर्क की 4 सबसे बड़ी कमजोरियां क्या हैं? बता रहे जे. सुशील इस लेख में। पढ़िए और साझा करिए अपनी राय। [...]

भाषा शिक्षण सिरीज़ः क्लासरूम की दिनचर्या और प्रिंट समृद्ध वातावरण का निर्माण कैसे करें?

भाषा शिक्षण की दूसरी सिरीज़ में वृजेश सिंह बता रहे हैं कि पहली-दूसरी कक्षाओं में भाषा सिखाने की शुरूआत कैसे करें? [...]

भाषा शिक्षण सिरीज़ः बच्चों के साथ परिचय, बालगीत और खेलगीत से करें शुरुआत

पहली-दूसरी कक्षाओं के साथ भाषा शिक्षण को लेकर अधिकांश चुनौतियां पेश आती हैं। उन्हीं चुनौतियों के समाधान पर चर्चा कर रहे है वृजेश सिंह। [...]

मेरी पहली कहानीः मासूम अजय

इस कहानी की लेखिका दुर्गा ठाकुर मध्यप्रदेश में शिक्षिका हैं। उन्होंने इस कहानी में वात्सल्य से वंचित एक बच्चे की ज़िंदगी को दर्शाया है। [...]

शिक्षक प्रोत्साहन सिरीजः ‘लॉकडाउन में भी मिल रही है शिक्षकों की प्रेरणा, वायरस कोई बाधा नहीं’

शिक्षक प्रोत्साहन सीरीज़ के इस अंक में पढ़िए रिया चंद की लिखी स्टोरी। रिया दसवीं कक्षा की छात्रा हैं। [...]

शिक्षक प्रोत्साहन सिरीजः ‘मेरे शिक्षक बच्चों के नाम के साथ ‘जी’ शब्द लगाकर संबोधित करते थे’

डॉ.केवल आनन्द लिखते हैं, "वर्ष 1978 में माधावानन्द चौबे जी हमारी कक्षा में आए और उन्होंने बच्चों को उनके नाम के आगे जी लगाकर संबोधित किया। हम सब इस संबोधन से हैरान थे।" [...]

गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए तकनीक के इस्तेमाल को प्रोत्साहित करना है जरूरीः जिलाधिकारी बहराइच

बहराइच जिले के रिसिया मोड़ स्थित आश्रम पद्धति स्कूल में एक दिवसीय बाल मेले का आयोजन संपन्न हुआ। [...]

क्या नीति आयोग सरकारी स्कूलों का निजीकरण करना चाहता है?

नीति आयोग ने तीन साल के वर्किंग एजेंडा में पढ़ाई-लिखाई और नामांकन में पिछड़ने वाले स्कूलों को पीपीपी मोड में देने की संभावनाओं को तलाशने की बात कही है। [...]