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उत्तर प्रदेशः कक्षा-कक्ष में शिक्षण को रोचक बनाने के लिए हो रहा है ‘आईसीटी’ का उपयोग



स्कूल स्तर पर में होने वाले प्रयासों पर शिक्षकों से संवाद करते हुए एससीईआरटी के निदेशक  डॉ. सर्वेन्द्र विक्रम बहादुर सिंह।

उत्तर प्रदेश में राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद, लखनऊ की तरफ से शिक्षकों द्वारा कक्षा-कक्ष में शिक्षण को रोचक बनाने के लिए तकनीकी के इस्तेमाल को बढ़ावा करने के लिए होने वाले प्रयास अब रंग लाने लगे हैं। इसी सिलसिले में लखनऊ में एससीईआरटी-स्टर द्वारा आयोजित टीचर चेंजमेकर समिट में एससीईआरटी व बेसिक शिक्षा के निदेशक डॉ. सर्वेन्द्र विक्रम बहादुर सिंह ने शिक्षकों को संबोधित करते हुए कहा था, “शिक्षकों को अपने हर एक प्रयास और मेहनत को करते समय बच्चों के सीखने की प्राथमिकता का ध्यान रखना चाहिए। कक्षा में पढ़ाते समय तकनीकी से जुड़े हुए नवाचारों को भी बढ़ावा दें।”

कक्षा-कक्ष में शिक्षण को रोचक बनाना है जरूरी

 इस आयोजन में शामिल होने वाली एक शिक्षिका क्षमा गौड़ ने कठपुतलियों के माध्यम से कक्षा-कक्ष को शिक्षण को रोचक बनाने वाले प्रयोग के बारे में बताने के लिए शामिल हुई थीं। उनके विचारों को एससीईआरटी, लखनऊ द्वारा प्रकाशित पुस्तिका ‘नवोन्मेष’ में भी शामिल किया गया था। इस पत्रिका में प्रदेश के विभिन्न ज़िलों से 46 शिक्षकों के नव-प्रयोगों को प्रकाशित किया गया था।

इस सम्मेलन में शामिल होने के दौरान मिले प्रोत्साहन ने शिक्षकों को अपने प्रयासों को बच्चों के सीखने की तरफ और ज्यादा ध्यान देने के लिए प्रेरित किया। इसी की एक मिशाल है क्षमा गौड़ द्वारा चंदौली जिले के नियमताबाद ब्लॉक के प्राथमिक विद्यालय में कक्षा-कक्ष में शिक्षण को रोचक बनाने के लिए मोबाइल का इस्तेमाल किया गया, आवाज़ की गुुणवत्ता के लिए उन्होंने ब्लूटूथ स्पीकर का उयोग किया। इसके माध्यम से उन्होंने बच्चों को ग्रहों द्वारा सूर्य की परिक्रमा करने का वीडियो दिखाया।

शिक्षण के दौरान कैसे करें आईसीटी का उपयोग

अपने इस प्रयोग व अनुभव के बारे में बताते हुए क्षमा गौड़ कहती हैं, “हमें कक्षा-कक्ष में शिक्षण के लिए आईसीटी के उपयोग के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। बच्चों को व्याख्या या लेक्चर मोड में पढ़ाने से बेहतर है कि उनको कोई पाठ पढ़ा दिया जाये। उसके बाद उस पाठ से संबंधित वीडियो या अन्य विजुअल शिक्षण सामग्री का उयोग उनकी समझ को बेहतर करने के लिए किया जाये।”

सौरमण्डल के पाठ को समझना हुआ आसान

कक्षा-कक्ष में शिक्षण को रोचक बनाने के लिए स्मार्टफोन का इस्तेमाल एक सुविधाजनक विकल्प है।

शिक्षण में आईसीटी के प्रयोग वाले अनुभव के बारे में बताते हुए क्षमा गौड़ कहती हैं, “मैंने चौथी कक्षा के बच्चों को ‘हमारा सौरमण्डल’ पाठ किताब से पढ़ाने के बाद आईसीटी का उयोग करते हुए, मोबाइल से उनको वीडियोज़ दिखाये। अलग-अलग ग्रहों की तस्वीरें दिखाईं। इससे उनको पता चला कि कौन सा ग्रह किस रंग का है? ग्रह सूर्य के चारो तरफ कैसे चक्कर लगाते हैं या परिक्रमा करते हैं।”

‘लोग सोचते हैं कि छोटे से मोबाइल से क्या होगा?’

मोबाइल पर सौर मण्डल के बारे में जानते हुए बच्चे। ऐसे प्रयासों से पढ़ाई में उनका मन लगता है।

कक्षा-कक्ष में आईसीटी के उपयोग को आसान बनाने के लिए कौन-कौन से प्रयास करने की जरूरत है? इस सवाल का जवाब देते हुए शिक्षिका क्षमा गौड़ ने कहा, “लोगों को इस विचार के बारे में तो पता है। लेकिन इसे कक्षा में कैसे लागू करें, इसे लेकर थोड़ा संकोच है। लोग ऐसा भी सोचते हैं कि छोटे से मोबाइल से क्या होगा? ऐसी सोच में बदलाव जरूरी है, तभी कक्षा-कक्ष में आईसीटी के इस्तेमाल को लेकर झिझक टूटेगी। इसके लिए शिक्षकों को स्मार्ट फोन का अच्छा इस्तेमाल करने के लिए बुनियादी प्रशिक्षण देने की भी जरूरत है ताकि वे पाठ के अनुरूप शिक्षण सामग्री यू-ट्यूब व अन्य माध्यमों पर खोज पाएं। जिन विद्यालयों में कंप्यूटर हैं, वहां इसका रोज़ाना शिक्षकों द्वारा उपयोग होना चाहिए ताकि ऐसे संसाधनों का ज्यादा से ज्यादा लाभ बच्चों को मिल सके।”

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शिक्षिका क्षमा गौड़ कठपुतलियों के माध्यम से कक्षा-कक्ष में शिक्षण कराते हुए। इस नवाचार को काफी सराहना मिली है।

 

एजुकेशन मिरर की टीम के साथ अपनी कहानी साझा करने और अपने अनुभवों के बारे में बताने के लिए शिक्षिका क्षमा गौड़ का बहुत-बहुत शुक्रिया। आप भी शिक्षा के क्षेत्र में होने वाले ऐसे अभिनव प्रयासों के बारे में साझा करिए एजुकेशन मिरर के साथ। आपको यह कहानी कैसी लगी, पोस्ट के नीचे कमेंट बॉक्स में लिखकर हमें जरूर बताएं। इस कहानी को अपने अन्य शिक्षक साथियों के साथ ह्वाट्सऐप और फेसबुक पर शेयर करिए।

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