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जश्न ए बचपनः ऑनलाइन लर्निंग को रचनात्मक बनाने की दिशा में सकारात्मक पहल



एक ओर ऑनलाइन क्लासेज के नाम पर जहाँ बच्चों को केवल प्रश्नोत्तर की घुट्टी पिलाई जा रही है, वहीं दूसरी ओर, कुछ लोग शिक्षार्थियों के लिए इस लॉकडाउन को सीखने का एक जरिया व दिलचस्प अवसर बना रहे है। जहाँ माता-पिता अपने बच्चों को सोशल मीडिया से दूर रखने की जद्दोजहद में हैं, ऐसे में ‘रचनात्मक शिक्षक मंडल’ ने एक ऐसा कदम लिया जो अभिभावकों की चिंता को तो विराम दे ही रहा है, साथ ही शिक्षार्थियों के लिए जिस प्रकार इस लॉकडाउन को दिलचस्प बना रहा है वह भी काबिले तारीफ़ है।

आमतौर पर चैटिंग व समय बिताने के लिए प्रयोग किए जाने वाले सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को कुछ शिक्षकों ने बच्चो के लिए सीखने-सिखाने का एक माध्यम बना दिया है। व्हाट्सएप पर तकरीबन एक महीने पहले बनाए गए ग्रुप “जश्न ए बचपन” की कोशिश है कि बच्चों की रचनात्मकता व सृजनशीलता को एक अवसर मिले।

जश्न ए बचपन ह्वाट्सऐप ग्रुप बनाने वाले नवेंदु मठपाल का कहना है, “ग्रुप का निर्माण 10 अप्रैल 2020 को किया गया था। इस उद्देश्य के साथ कि यह ग्रुप बच्चो को और रचनात्मक बनाए और बच्चो की रचनात्मकता को निखारने में कारगर हो।”

ग्रुप का हिस्सा होने के नाते या कहूं ग्रुप में हो रही गतिविधियों को देखकर में बेशक यह कह सकती हूं कि ग्रुप अपने उद्देश्य को बखूबी सिद्ध के रहा है। जिस प्रकार सभी एक्सपर्ट्स बच्चो के साथ निस्वार्थ भाव से जुटे हुए है व अपने अनुभव से उन्हें एक बेहतर नजरिया दे रहे है वाकई में बेहद ही प्रभावशाली है। हम सभी शिक्षार्थियों को भी और बेहतर करने के प्रेरणा मिल रही है।

समूह में कैसे हो रही है बच्चों की भागीदारी

ग्रुप में साहित्य का क्षेत्र संभाल रहे महेश पुनेठा जी, सिनेमा संजय जोशी जी, ओरागमी सुदर्शन जुयाल जी, चित्रकला सुरेश लाल जी और कल्लोल जी, रंगमंच जहूर आलम जी, थिएटर कपिल जी, संगीत अमितांशु जी, कत्थक आस्था जी, परिंदो की सैर के लिए भास्कर सती जी और नवेंदु मठपाल जी शामिल हैं।प्रत्येक दिन कोई न कोई एक्सपर्ट बच्चों का मार्गदर्शन करते है और बच्चे एक्सपर्ट्स द्वारा दी गई गतिविधि से संबंधित सवाल पूछते है व दी गई गतिविधि पर अपनी राय देते है। पूरे दिन ग्रुप में उसी गतिविधि से संबंधित बात रखी जाती है। बड़ी ही बारीकी से सभी बच्चो द्वारा दी गई प्रतिक्रिया व सवालों पर एक्सपर्ट्स अपनी प्रतिक्रिया देते है। बच्चो की रुचियों को ध्यान में रख हर दिन किसी नए विषय पर बात रखी जाती है।

यह ग्रुप बच्चो के लिए सीखने का एक वातावरण बना रहा है। इसके साथ ही हर एक एक्सपर्ट बच्चो के साथ सीखने-सिखाने की इस प्रक्रिया में इस प्रकार जुड़ रहे है कि बच्चे ना तो दबाव महसूस करे और ना ही बिना किसी रुचि इस मंच से जुड़े रहे, बल्कि यहां तो हर किसी की दिलचस्पी का ध्यान रखा गया है। ग्रुप से जुड़े बच्चे जिनमें रिया, दीपिका, राधा, शीतल, डोली, दीक्षा, संदीप, करन, अमृतपाल, आंचल आदि शामिल है सभी का कहना है कि वह इस ग्रुप से प्रतिदिन कुछ नया सीख रहे है व इस प्लेटफॉर्म पर खुद को सुविधाजनक महसूस कर रहे है।

रटंत प्रणाली से इतर रचनात्मकता को मिल रहा प्रोत्साहन

आजकल जहां विद्यालयों की रटंतू प्रणाली में बच्चों की रचनात्मकता के लिए कोई जगह नहीं रह गई है या कहां जाए उन्हें इस प्रकार इस प्रणाली में ढाल दिया जाता कि बच्चे सीमित दायरे से बाहर सोच ही नहीं पाते, ऐसे में जश्न ए बचपन वाकई कारगर है। विद्यालय के अनुशासन प्रिय ढाचे में अक्सर बच्चे खुद को सुविधाजनक नहीं पाते है पर यह ग्रुप हर किसी को सीमित दायरे से बाहर सोचने व बेफिक्र हो कर अपनी प्रक्रिया देने के लिए प्रेरित करता है। गलती करने से डरने की तो कोई गुंजाइश ही नहीं है, आखिर सीखने सीखाने की प्रक्रिया में गलती कैसी, क्योंकि गलतियां तो केवल अपने आप को निखारने का एक जरिया है।

अभिभावक भी बच्चों को इस प्रकार व्यस्त देख खुश है और साथ ही खुद को भी इस प्रक्रिया से जोड़ पा रहे है। ग्रुप बनाने के पीछे जो उद्देश्य है उसे साकार होता देख ग्रुप से जुड़े एक्सपर्ट्स भी प्रेरित हो रहे है। बच्चों की रचनाओं को एजुकेशन मिरर वेबसाइट पर भी जगह दी जा रही है। जो अन्य ग्रुप मेंबर्स को भी प्रेरित कर रहा है। ग्रुप की निरंतरता व सीखने-सिखाने का कल्चर ही इसकी सफलता है। उम्मीद है कि आने वाले समय में यह ग्रुप और भी एक्सपर्ट को इस मुहिम से जोड़ेगा और ऐसे कई अन्य लोग जो सीखने की ललक रखते है इस ग्रुप से जुड़ पाएंगे।

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