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जश्न ए बचपनः पढ़ने की आदत, सृजनात्मकता और रचनात्मक लेखन को मिल रहा प्रोत्साहन

WhatsApp Image 2020-04-15 at 1.22.24 PMबच्चों में पढ़ने की रुचि उत्पन्न करनी हो, और उनकी दोस्ती किताबो से करानी हो, जहां वह बिना कुछ दबाव या भयमुक्त वातावरण के बीच सीख सके। जिसे वे बोझ नहीं समझे और जहां वह दबाव से नहीं बल्कि अपनी इच्छाशक्ति से सीखने को स्वयं ही प्रेरित हो। ऐसी ही एक पहल शुरू की है उत्तराखंड ‘रचनात्मक शिक्षक मंडल’ ने। सोशलमीडिया की मदद से बनाया जश्न ए बचपन व्हाट्सएप ग्रुप, जिसका उद्देश्य बच्चों में पढ़ने की आदत, रचनात्मकता और सृजनशीलता को बढ़ाना है।

यह पहले से चली आ रही लोकोक्ति ‘भय बिन होत न प्रीत’ का खंडन करते हुए, बच्चो को भयमुक्त होकर सीखाने में जुटा है। बच्चो के मज़े के लिए दिन निश्चित किए गए है। जिसमे सोमवार को 6 साल से कत्थक सीख रही आस्था मठपाल जी कत्थक में हाथ पैर चलाना बता रही है।अमितांशु जी संगीत के क्षेत्र में वाद्ययंत्रों से मधुर धुन बजाने के गुर बताते है। मंगलवार परिंदो की दुनिया की सैर में भास्कर सती के साथ मिलकर बच्चे परिंदो से परिचय लेते है।

साहित्य व अन्य रचनात्मक विधाओं से जुड़ाव का अवसर

बुधवार को शिक्षा के क्षेत्र में अपने प्रयोगों के लिए जाने जाने वाले महेश चन्द्र पुनेठा जी के साथ बच्च्चे कहानी, कविता, पहेली ,यात्रावृत्तांत समाचार ,समीक्षा लिखना जान रहे है। जिससे उनमें लेखन क्षमता का विकास हो रहा है । बृहस्पतिवार सिनेमा में संजय जोशी जी फिल्मों की बारीकियों को समझाते है। शुक्रवार को थियेटर में कपिल शर्मा जी बच्चो को अलग- अलग इमोशन बताते है।

शनिवार के दिन सुदर्शन जुयाल जी कागज से कमाल दिखा रहे है। रविवार को पेंटिंग में सुरेश लाल जी के साथ बच्चे रंग ,संयोजन आकर प्रकार की कला सीखते है। बच्चों की भागीदारी से आप ग्रुप में बच्चों की खुशी का पता लगा सकते है। जिसमे कृति , राधा, रिया , संदीप, दीपिका, भारती अटवाल, डोली, शीतल पहले से ही ग्रुप की गतिविधि में शामिल है। इसके अतिरिक्त अभी बहुत से बच्चे ग्रुप में सक्रिय है।

बच्चों के साथ-साथ शिक्षक भी सीख रहे हैं – नवेंदु मठपाल

सभी क्षेत्रों के जानकारों का बच्चो से दोस्ताना जुड़ाव दिन भर एक- दूसरे को जोड़ने में मददगार है। इस मंच ने बच्चो को बेझिझक सीखने का मौका दिया है। जो आने वाली पीढ़ी के लिए संबल का काम करेगा। मेरा मानना है कि हमें एक्सपर्ट से बहुत कुछ जानने का मौका मिला है, इतने क्षेत्रों के विद्वानों से हम कभी भी एक साथ नहीं मिल सकते थे। सच में ग्रुप ने हमें यह प्लेटफॉर्म देकर अपने आस -पास को समझने मौका दिया है। नवेंदु मठपाल जी इसके ग्रुप एडमिन हैं, जिनकी ग्रुप संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका है। वह कहते है :”यहां बच्चो के साथ मुझ जैसे शिक्षक को भी बहुत कुछ सीखने को मिलता है”।

सामाजिक विज्ञान के शिक्षक महेश चंद्र पुनेठा जी कहते है “इससे बच्चे पाठयपुस्तक से बाहर अन्य चीजों के बारे में जान पाएंगे। इसे वह संवाद का बहाना बताते है। वहीं शिक्षाविद् कमलेश अटवाल जी “इसे सभी का सामूहिक प्रयास बताते है । जो सभी को सीखने के लिए स्वयं ही प्रेरित कर रहा है।”

ग्रुप का यह प्रयास बच्चो के अंदर विविधता को समेटना है। जो नित धूमिल होती जा रही है। इस ग्रुप से जुड़ी कृति कहती है कि यह ग्रुप बच्चो के लिए सीखने का वातावरण बना रहा है।

रचनात्मक पहल से जुड़ रहे हैं विद्यार्थी

इस समूह की प्रतिभागी रिया अपने व्यक्तिगत अनुभव बताते हुए कहती हैं, “महेश पुनेठा सर की क्लास में भागीदार बनने के बाद, मेरी लेखन शैली में भी बहुत बदलाव आया है। प्रतिभागियों की इस भागीदारी से आप ग्रुप की जीवंतता से बखूबी परिचित हो जाएंगे। ग्रुप में मेरी भागीदारी को देख मेरे घर वाले खुश है। वह कहते है: इस मंच ने तो हमारी शीतल को गांव में रहकर भी सीखने का मौका दे दिया है।”

वर्तमान में बच्चो में बढ़ता पढ़ाई का बोझ उन्हें मानसिक रूप से कमजोर कर रहा है,जिसका नतीजा हम सभी के सामने है। जिससे बच्चो की सोचने समझने की क्षमता का ह्रास हो रहा है। जहां वह बिना किसी बात का सच जाने ही उसे मान लेते है। जो समाज को ऐसी तरफ मोड़ेगा , जहां से लौटना मुश्किल है। इसी को देखते हुए विद्वान चिंतकों का यह प्रयास बच्चो के मनोभावो को समझकर रचनात्मकता का विकास करना है। जहां वह एक संवेदनशील नागरिक बनकर समाज को नई पहचान दे सके।ग्रुप की सदस् यसंख्या 142 हो चुकी है, जो आगे भी निरंतर बढ़ती रहेगी। यह कार्य इसी तरह आगे बढ़ता रहे यही कोशिश जारी है।

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