Trending

शिक्षक प्रोत्साहन सिरीजः ‘बिना शिक्षक के जिंदगी, मानो बिन पंखों वाली चिड़िया’

दीपिका एजुकेशन मिरर की नियमित पाठक और लेखक हैं। वे जश्न ए बचपन के रचनात्मक समूह से भी जुड़ी हुई हैं। उत्तराखंड के नानकमत्ता पब्लिक स्कूल में 10वीं कक्षा में पढ़ने वाली दीपिका को जब शिक्षक प्रोत्साहन सीरीज़ के बारे में पता चला तो उन्होंने बग़ैर देर किये अपनी शिक्षिका ‘शिप्रा मैम’ से जुड़ी यादों को लिखकर शेयर किया। आगे की कहानी दिपिका के शब्दों में पढ़िए।

img_20200509_1519302865045390977453900.jpg

दीपिका उत्तराखंड में पढ़ती हैं और यह तस्वीर दिल्ली के एक सरकारी स्कूल की है। साभारः मुरारी झा।

बिना शिक्षक के जिंदगी ऐसी लगती है मानो बिना पंखों की चिड़िया। किसी भी व्यक्ति के सफल होने में बहुत बड़ा योगदान शिक्षक का होता है। हमारी जीवन रूपी गाड़ी को सही रास्ता शिक्षक दिखाते है। जरूरी नहीं कि शिक्षक सिर्फ वही है, जो हमें किताबी ज्ञान देते हैं। बल्कि हर वो व्यक्ति , जिससे हम छोटी से छोटी चीज़ भी सीखेते हैं, वह हमारे शिक्षक ही होते हैं। विद्यालय के शिक्षकों की बात करें तो,हर शिक्षक की एक मानव संसाधन बनाने में पूर्ण भागीदारी होती है । लेकिन कुछ शिक्षक ऐसे होते हैं जो हमारे हृदय में अपनी गहरी छाप छोड़ जाते हैं।

मेरे जीवन में अभी एक ऐसी शिक्षिका हैं “शिप्रा मैम”। उनका पूरा नाम शिप्रा मित्तल है। मुझे याद है तब मैं छठीं कक्षा में थी, जब वह पहली बार स्कूल में आई थी। बेहद धैर्यवान , सौम्य, और बहुत बुद्धिमान प्रतीत हो रही थी। हमारे विद्यालय में कोई भी नया शिक्षक आता है तो पहले उसे डेमो क्लास देनी होती है। तो शिप्रा मैम भी हमारी कक्षा में डेमो देने आईं । कुछ देर बाद जब वह कक्षा के बाहर गई, तो प्रिन्सिपल सर आए। उन्होंने सबकी सहमति के लिए पूछा और पूरी क्लास राजी थी मैम से पढ़ने के लिए। धीरे धीरे हम मैम से बहुत घुल-मिल गए। वह हमें साइंस पढ़ाती थी। उनका पढ़ाने का तरीका भी बहुत अच्छा था। वह हर चीज को गहराई से समझाती थी और वो भी बहुत हंसी मजाक के साथ।

उन्होंने मुश्किल से ही कभी कक्षा में किसी बच्चे के ऊपर हाथ उठाया था। हम कभी भी कोई भी गलती करते थे तो हमें बेहद प्यार से समझाती थी। उनकी कक्षा में कोई नहीं ऊबता था। फिर कुछ समय बाद उन्हें हमारी कक्षा की कक्षाध्यापिका बना दिया गया। वह हमारी अब तक की सबसे अच्छी कक्षा अध्यापिका थीं और हैं। जब से वह हमारी कक्षा अध्यापिका बनी तब से हमारी कक्षा में बहुत बदलाव आया। सभी बच्चे बहुत सभ्य और सुशील हो गए।

सब कुछ बहुत अच्छा चल रहा था लेकिन एक दिन मैम ने हमें बताया कि वह स्कूल छोड़ कर जा रही है!!! हम सभी बहुत निराश हो गए और उनसे न जाने को कहने लगे। लेकिन उन्हें अपनी आगे की पढ़ाई भी करनी थी। इसलिए हम इससे ज्यादा कुछ ना कह सके। पूरी क्लास बहुत उदास थी। कुछ की तो आंखें भी नम हो गई थी। ख़ैर वह कभी-कभी हमसे मिलने तो आती हैं। पर बहुत इंतजार करना पड़ता है। सब यही कहते हैं कि काश वह वापस आ जाए।

(एजुकेशन मिरर के फ़ेसबुक पेज़ और ट्विटर हैंडल  से जुड़ सकते हैं। इसके साथ ही साथ वीडियो कंटेंट व स्टोरी के लिए एजुकेशन मिरर के यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें। आप भी एजुकेशन मिरर के लिए अपने लेख educationmirrors@gmail.com पर भेज सकते हैं। )

1 Comment on शिक्षक प्रोत्साहन सिरीजः ‘बिना शिक्षक के जिंदगी, मानो बिन पंखों वाली चिड़िया’

  1. Reeta Gupta // May 10, 2020 at 3:42 am //

    वाह बीटा, बहुत सुंदर यादें👌👌👌
    जो अपने शिक्षकों का सम्मान करता है, वह निश्चित ही जीवन में ऊंचाइयों को छूता है।
    जीती रहो बिटिया रानी💐💐

इस लेख के बारे में अपनी टिप्पणी लिखें

Discover more from एजुकेशन मिरर

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading