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ऑन लाइन लर्निंगः दूरदर्शन, ऑल इंडिया रेडियो, यू-ट्यूूब और ह्वाट्सऐप का इस्तेमाल कैसे हो रहा है?

गूगल ने भारत में शिक्षकों और विद्यार्थियों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए ‘यू-ट्यूब लर्निंग डेस्टिनेशन’ की लांचिंग की है। इस प्लेटफॉर्म पर विभिन्न विषयों से जुड़ी शैक्षिक सामग्री उपलब्ध हैं। इसे देखने के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं

यहां पर कई विषयों जैसे फिजिक्स, कमेस्ट्री, बॉयोलॉजी के साथ-साथ इंग्लिश लर्निंग और पढ़ने की आदतों में सुधार से संबंधित वीडियोज़ उपलब्ध हैं जिनको एक साथ पर अलग-अलग कैटेगरी में डिसप्ले किया गया है।

ह्वाट्सऐप और ज़ूम मीटिंग ऐप

पूरे देश में ह्वाट्सऐप और ज़ूम मीटिंग ऐप व कॉन्फ्रेंस कॉल का इस्तेमाल शिक्षा क्षेत्र से जुड़े लोगों द्वारा शिक्षा से संबंधित मुद्दों पर चर्चा व क्षमतावर्धन कार्यशाला के लिए किया जा रहा है। नीचे की एक तस्वीर दिल्ली के मेंटर टीचर्स की ज़ूम परिचर्चा का है, इसमें शिक्षा में बहुसांस्कृतिक परिदृश्य पर प्रजेंटेशन के बाद विस्तृत चर्चा हुई।

इसी सिलसिले में दूरदर्शन, ऑल इंडिया रेडियो और एनसीईआरटी द्वारा टेलीविज़न, रेडियो व यू-टयूब चैनल के माध्यम से शैक्षिक सामग्री व चर्चाओं का आयोजन किया जा रहा है। ताकि विद्यार्थियों को लॉक डाउन के दौरान उनको मदद मिल सके।

दूरदर्शन और ऑल इंडिया रेडियो द्वारा प्राथमिक, उच्च-प्राथमिक और हाईस्कूल के विद्यार्थियों के लिएम सामग्री उपलब्ध करायी जा रही है।

राज्यों द्वारा होने वाले नवाचारी प्रयास

इसी तरीके से विभिन्न राज्यों में अलग-अलग तरह के नवाचारी प्रयास रहे हैं ताकि लर्निंग गैप के भरने और शिक्षा की निरंतरता को जारी रखने के लिए प्रयास किये जा सकें। जैसे मणिपुर में 3 से 5 तक के बच्चों के लिए अंग्रेजी भाषा, गणित और पर्यावरण अध्ययन के लिए कॉमिक टेक्सटबुक का इस्तेमाल किया जा रहा है।

वहीं महाराष्ट्र के राज्य शिक्षा विभाग ने पहली ने नौवीं कक्षा तक सरकारी व वित्तीय सहायता प्राप्त विद्यालयों में पढ़ने वाले सभी बच्चों के लिए डिजिटल लर्निंग कंटेंट की उपलब्धता सुनिश्चित करने के प्रयास शुरू कर दिये हैं।

इसके लिए दीक्षा ऐप की सहायता ली जा रही है। इस ऐप के माध्यम से विडियो, रिकॉर्डेड पाठ और पाठों पर आधारित अभ्यास को उपलब्ध कराया जा रहा है। जिन विद्यार्थियों की पहुंच स्मार्टफोन तक नहीं है, ऐसे विद्यार्थियों तक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए टेलीविज़न और रेडियो के माध्यम से शैक्षिक सामग्री उपलब्ध कराने के प्रयास किये जा रहे हैं।

उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड के विद्यार्थियों के लिए दूरदर्शन की सहायता से शैक्षिक कार्यक्रमों का संचालन किया जा रहा है। इसका लाइव यू-ट्यूब के माध्यम से भी किया जायेगा ताकि ज्यादा से ज्यादा संख्या में विद्यार्थियों व शिक्षकों तक इसकी पहुंच सुनिश्चित की जा सके।

कोविड-19 के कारण उपजे हालात में टेक्नोलॉजी के महत्व की तरफ लोगों का ध्यान अचानक से लौटा है। इसी के साथ-साथ विभिन्न शैक्षिक संस्थाओं द्वारा फैसबुक लाइव के माध्यम से भी अपने विद्यार्थियों से संपर्क स्थापित किया जा रहा है।

अगली कक्षाओं में क्रमोन्नत होंगे विद्यार्थी

उत्तर प्रदेश के माध्यमिक शिक्षा विभाग ने भी 6,7,8, 9 और 11वीं के सभी विद्यार्थियों को 2019-20 के शैक्षिक सत्र में अगली कक्षाओं में क्रमोन्नत करने का निर्णय लिया है। इससे पहले मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने भी सीबीएसई को कक्षा पहली से आठवीं तक के विद्यार्थियों को बग़ैर कोई परीक्षा लिये अगली कक्षाओं में क्रमोन्नत करने का एक निर्देश जारी किया था।

बिहार के राज्य शिक्षा विभाग ने भी निजी स्कूलों से मार्च और अप्रैल के लॉक डाउन अवधि के दौरान किसी भी तरह की फीस न लेने का निर्देश जारी किया है। इस आशय का निर्देश निजी स्कूलों के बारे में मिलने वाली शिकायतों के बाद जारी किया गया जिसमें कहा गया था कि स्कूल नये शैक्षिक सत्र के लिए फीस देने का दबाव अभिभावकों पर बना रहे थे।

इसी बीच त्रिपुरा सरकार ने लॉकडाउन की अवधि के दौरान इलेक्ट्रॉनिक व सोशल मीडिया का इस्तेमाल कक्षाओं के संचालन के लिए करने का फैसला किया है। यह फैसला स्कूलों के बंद होने के नाते और बच्चों के सीखने के अवसरों की निरंतरता में आने वाली रुकावट के मद्देनज़र लिया गया है। उत्तर प्रदेश में भी लॉक डाउन की अवधि बढ़ने के बाद ऑनलाइन क्लासेज़ के लिए ह्लाट्सऐप व अन्य माध्यमों का सक्रियता से इस्तेमाल करने के प्रति प्रतिबद्धता जताई है।

मानसिक स्वास्थ्य के लिए NCERT की काउंसिलिंग सर्विस

दिल्ली सरकार ने निजी स्कूलों को फीस नहीं बढ़ाने का आदेश दिया और इसका उल्लंघन करने पर कठोर कार्रवाई करने की बात कही है। कोविड-19 के दौरान लॉकडाउन की स्थिति समाप्त होने तक वे केवल अभिभावकों से ट्युशन फीस ले सकते हैं, केवल इसकी अनुमति दी गई है। इसके साथ ही साथ स्कूलों को फीस बढ़ाने, वार्षिक फीस और ट्रांसपोर्टेशन की फीस लेने की भी अनुमति नहीं होगी।

लॉकडाउन की अवधि में छात्र-छात्राओं के मानसिक स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए NCERT ने काउंसिलिंग सर्विस की शुरूआत की है। इस आशय की जानकारी ट्विटर के माध्यम से भी साझा की गई है। इस प्रयास की लोगों द्वारा सराहना की जा रही है कि यह एक अच्छा क़दम है। परामर्श की यह सेवा लॉकडाउन की अवधि और इसके बाद भी जारी रहेगी।

एजुकेशन मिरर की पहल को मिल रहा उत्साहवर्धक समर्थन

लॉकडाउन की अवधि में जब हमारे शिक्षक साथी बच्चों व अभिभावकों के ह्वाट्सऐप ग्रुप बना रहे हैं। उसमें विभिन्न शिक्षण सामग्री शेयर कर रहे हैं। यू-ट्यूब पर वीडियोज़ बना रहे हैं ताकि ऑनलाइन लर्निंग के माध्यमों का इस्तेमाल किया जा सके। फोन पर कॉनफ्रेंस कॉल के माध्यम से बच्चों से जुड़ रहे हैं। एजुकेशन मिरर ने भी शिक्षक साथियों के साथ बाल साहित्य व अन्य उपयोगी सामग्री को शेयर करने की पहल की है ताकि शिक्षक साथियों के साथ संवाद करके उनको अपेक्षित सहयोग दिया जा सके।

जश्न ए बचपन व्हाट्सऐप ग्रुप उत्तराखंड

वर्तमान में जबकि देखा जा रहा है बच्चों को पढ़ाई के नाम पर फिर एक बार ऑनलाइन के बहाने व्यस्त रखने की कोशिशें हो रही है। तब जश्न-ए-बचपन व्हाट्सएप्प ग्रुप का निर्माण इस आशा के साथ किये गए है कि बच्चा दिन में थोड़े ही समय सही संगीत, सिनेमा, पेंटिंग, साहित्य और रंगमंच से जुड़ अपनी भीतर मौजूद रचनात्मकता को प्रकट करें।

ताकि मजे-मजे में अपनी रुचि के अनुरूप कुछ मस्ती करते हुए सीख भी ले। इसमें साहित्य का पन्ना महेश पुनेठा, सिनेमा संजय जोशी, ओरेगामी सुदर्शन जुयाल, पेंटिंग सुरेश लाल और कल्लोल चक्रवर्ती, रंगमंच जहूर आलम और कपिल शर्मा मुख्य रूप से इससे जुड़े हुए हैं। इस व्हाट्सऐप द्वारा होने वाले रचनात्मक लेखन जैसे कविताओं और यात्रा वृत्तांत को आप एजुकेशन मिरर पर पढ़ सकते हैं।

(आप एजुकेशन मिरर डॉट ओआरजी से जुड़े रहने के लिए इसे फ़ेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर फ़ॉलो कर सकते हैं। वीडियो कंटेंट व स्टोरी के लिए एजुकेशन मिरर के यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें।)

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