किसी व्यक्ति की पढ़ने की आदत कैसे बनती है?
किसी भी व्यक्ति की पढ़ने की आदत अपनी पसंद व रूचि की किताबें पढ़ने से बनती है। उदाहरण के तौर पर हिन्दी भाषा में गुनाहों का देवता बड़ी लोकप्रिय किताब है। नये पाठकों को यह किताब दी जाती है और साथ ही हिदायद भी इस किताब को पढ़ते समय दो-तीन रुमाल अपने पास जरूर रखें। यह किताब कमाल का असर करती है।
इसी तरह की एक अन्य किताब मनोहर श्याम जोशी की कसप है। इसके अलावा अन्य किताबों में सूरज का सातवां घोड़ा है, जो धर्मवीर भारती ने लिखी है। इसे पढ़ने के बाद इसी नाम से बनी फिल्म दिखाना भी एक अच्छा अनुभव होता है नये पाठकों के लिए। दोस्तों की संगत और पढ़ने को महत्व देने वाले माहौल का भी इसके ऊपर एक सकारात्मक असर पड़ता है। क्योंकि हमारी संस्कृति में पढ़ने को हतोत्साहित करने वाला माहौल ज्यादा है।
इस आदत के बनने में भूमिका निभाने वाले कारक
- मित्र मंडली
- परिवार का माहौल
- पढ़ने को मिलने वाला सामाजिक महत्व
- सार्वजनिक प्रोत्साहन
- पढ़ने की जरूरत को व्यक्तिगत स्तर पर महसूस करने और इस दिशा में सत प्रयास करने की स्वाभाविक इच्छा।
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