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मोटीवेशन को समझने का नया नज़रिया देती है डेनियल पिंक की ‘ड्राइव’

pink-driveविभिन्न संस्थाओं के मैनेजर्स की यह समझ कि पैसा और स्टॉक के शेयर किसी इंसान को प्रेरित करते हैं, अब बीते दिनों की बात हो चुकी है। इस अवधारणा को तोड़ने में डेनियल एच. पिंक की किताब ‘ड्राइव’ ने अहम भूमिका निभाई है। उनकी किताब मैनेजर्स और टीम मेंबर्स दोनों के पक्ष को सामने लाती है और किसी परिस्थिति को दोनों नज़रिए से समझने की ज़मीन तैयार करती है।

काम में ‘स्वायत्तता’ है जरूरी

वे कहते हैं कि किसी भी संस्था में अब अच्छे प्रदर्शन की वज़ह उम्मीद से ज्यादा सेलरी देना और व्यक्ति के भीतरी वजूद को दबाकर नौकरी को पहली प्राथमिकता में रखना नहीं रह गया है। वर्तमान में यह व्यक्ति को ‘स्वायत्तता’ देने की पहले करने से भी जुड़ा है, जो किसी व्यक्ति को अपनी दिशा निर्धारित करने वाली सहज क्षमताओं के विकास में सहायक होती है।

किताब ‘ड्राइव’ प्रेरणा या मोटीवेशन को समझने के लिए एक नया एंगल देती है। इस किताब के विभिन्न उदाहरण इस बात की तरफ संकेत करते हैं कि आंतरिक रूप से प्रेरित होकर काम करना, बाहर से प्रेरित करने वाले कारकों से ज्यादा कारगार साबित होता है। इस किताब में पुरस्कार और दण्ड वाले तरीके पर भी सवाल खड़ा किया गया है। साथ ही कुछ परिस्थितियों का जिक्र भी किया गया है कि जहाँ पर काम बिल्कुल सीधा और प्रक्रिया पहले से निर्धारित हो वहां पर प्रेरित करने के परंपरागत तरीके कारगर साबित हो सकते हैं।

डेनियल एच. पिंक लिखते हैं कि केवल अपनी सफलता को लेकर सोचने वाले लोगों के देखने का दायरा बहुत सीमित होता है। ऐसे लोग नई चीज़ें करने व जानने के लिए तैयार नहीं होते। इस स्थिति को वे ‘फंक्शनल फिक्सडनेस’ की संज्ञा देते हैं।

थर्ड ड्राइव क्या है?

बर्ट्रेंड रसेल का शिक्षा दर्शन

किसी काम को करने की ख़ुशी जब खुद एक पुरस्कार का रूप ले लेती है, तो व्यक्ति का किसी भी काम में प्रदर्शन काफी अच्छा होता है। क्योंकि ऐसी स्थिति व्यक्ति बाहरी प्रोत्साहन पर निर्भर होने की बजाय, आंतरिक प्रेरणा से संचालित हो रहा होता है। (when The joy of the task becomes its own reward, that is driven by intrinsic motivation. This is called Third Drive.)

इसमें इस बात का भी जिक्र आता है कि बाहरी प्रोत्साहन का थोड़ी अवधि के लिए असर होता है। वहीं आंतरिक प्रेरणा दीर्घकाल तक किसी इंसान को बेहतर काम करने के लिए प्रतिबद्धता की तरफ मोड़ती है।

संक्षेप में कह सकते हैं कि आंतरिक रूप से नवीनता व चुनौतियों की तलाश एक इंसान को अपनी क्षमताओं को बढ़ाने और उसके अभ्यास का अवसर तलाशने के साथ-साथ सीखने के लिए प्रोत्साहित करती है। इस किताब में डेनियल एच. पिंक आगाह भी करते हैं, “थर्ड ड्राइव अन्य दो प्रेरित करने वाले कारकों (मौद्रिक प्रोत्साहन और पुरस्कार-दण्ड वाला तरीका) की तुलना में कमज़ोर होती है और इसके बने रहने के लिए सही माहौल की जरूरत होती है।”

शिक्षा के क्षेत्र में कैसे उपयोगी है ‘ड्राइव’

ख़ुद को एक रचनात्मक व्यक्ति के रूप में देखने वाला नज़रिया बेहद महत्वपूर्ण है, यह बात एक शिक्षक के संदर्भ में लागू होती है। एक रचनात्मक शिक्षक की निम्न विशेषताएं हैं –आत्म-विश्वास या खुद पर भरोसा, उत्साह और प्रतिबद्धता। ऐसे शिक्षक अपने काम की दिशा खुद निर्धारित करते हैं और ‘स्वायत्तता’ को महत्व देतेे हैं। अपने उद्देश्य की समझ उनको प्रतिबद्धता के लिए प्रेरणा देती है और वे अपने काम को उत्साह के साथ निरंतर जारी रखते हैंं। इसके साथ ही जरूरत होने पर वह अन्य शिक्षक साथियों की मदद भी लेता है ताकि वह समस्या का समाधान खोज पाए। ऐसी पहल की प्रेरणा अपने दायरे से परे जाकर योगदान देने और सामाजिक बदलाव लाने की भावना से काम करने पर आती है।

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