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कैसे बढ़ाएं बच्चों के सीखने की रफ्तार?

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एजुकेशन मिरर के लिए यह तस्वीर सांजुली ने भेजी।

हर शिक्षक का सपना होता है कि उनकी कक्षा में पढ़ने वाले सभी बच्चे सीखें। बच्चे सीखते कैसे हैं? इस सवाल को अपना मूलमंत्र बनाकर कक्षा में काम करना काफी मदद करता है। हर बच्चे के सीखने का तरीका अलग होता है। कुछ सामान्य तरीके सभी बच्चों के लिए कारगर होते हैं।

शिक्षण का तरीका हो प्रभावशाली

पूरी कक्षा को एक साथ पढ़ाते हुए सामान्य तरीकों को ज्यादा से ज्यादा प्रभावशाली बनाने की कोशिश एक शिक्षक की तरफ से होती है ताकि शिक्षण प्रक्रिया में ज्यादा बच्चों की भागीदारी सुनिश्चित की जा सके। बच्चों की भागीदारी और सीखने के बीच एक सकारात्मक संबंध है। आमतौर पर जिस कक्षा में बच्चों की भागादारी का स्तर बेहतर होता है और बच्चों को एक-दूसरे से सीखने (पियर लर्निंग) का अवसर मिलता है, वहाँ बच्चों का अधिगम स्तर भी बेहतर होता है।

शिक्षण के लिए अभ्यास की जरूरत क्यों?

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शिक्षण के नवाचारों की प्रदर्शनी में उन्नाव जिले की शिक्षिकाएं।

एक शिक्षक के रूप में आपके पढ़ाने का तरीका बहुत मायने रखता है। ऐसे प्रभावशाली शिक्षण का अभिन्न हिस्सा होता है बच्चों की परवाह, उनके प्रगति की चिंता, अपने काम से लगाव और उसकी तैयारी।

पीएचडी करने के बाद भी प्रोफ़ेसर प्रतिदिन 3-4 घंटे क्यों पढ़ते हैं? सेना का प्रशिक्षण पूरा करने के बाद सैनिक नियमित अंतराल पर अभ्यास क्यों करते हैं? बीएड पास करने के बाद भी शिक्षकों के सेवाकालीन प्रशिक्षण क्यों होते हैं? ताकि ये सभी अपने-अपने क्षेत्र में महारत हासिल कर सकें।

अपने काम के प्रति लगाव को एक उच्चतम स्तर पर ले जा सकें। इस काम के लिए जरूरी है कि शिक्षकों को काम करने की स्वायत्ता और आज़ादी मिले। इसके साथ ही शिक्षा के सर्वोपरि उद्देश्य विद्यार्थियों के अधिगम स्तर को बेहतर बनाना और उनको अपने विकास के ज्यादा से ज्यादा अवसर देने का ध्यान रखना है।

शिक्षण को रोचक बनाने के फायदे

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एजुकेशन मिरर के लिए यह तस्वीर महाराष्ट्र से स्वामीनाथ घोरपड़े ने भेजी।

अगर कोई शिक्षक लगातार अपनी कक्षा में शिक्षण को रोचक बनाने के नये-नये तरीकों को लागू करते हैं तो बच्चों की रुचि बनी रहती है। इसके साथ ही शिक्षक को भी अपने काम में नवीनता का अहसास होता है। उनको लगता है कि वे कुछ सार्थक कर रहे हैं और बच्चों की ज़िंदगी में सकारात्मक योगदान देने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसे प्रयासों का मूल है कि बतौर शिक्षक अपनी क्षमता पर और बच्चों की क्षमता पर पूरा भरोसा करें।

मुझे शिक्षकों की क्षमता पर, उनकी प्रतिभा पर और सीखने की लगन पर पूरा विश्वास है। यह भरोसा जब वे किसी बच्चे में जगाते हैं तो उस बच्चे के सीखने की रफ्तार में तेज़ी आती है। वह अपने प्रयासों को लेकर प्रोत्साहित महसूस करता है। शिक्षकों के प्रयास से बच्चों के शैक्षिक उन्नयन और विकास की दास्तां लिखी जाती है। शिक्षक की हर कोशिश बच्चों को आगे बढ़ने में मदद करती है। इसलिए उनको तात्कालिक परिणामों की परवाह किये बग़ैर पूरे मन से बच्चों को पढ़ना-लिखना सिखाने का काम जारी रखना चाहिए। कभी-कभी परिणाम आने में समय लगता है। इसका अर्थ यह नहीं है कि हमारी कोशिशों की कोई उपयोगिता नहीं है।”

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