मनोविज्ञानः अभिप्रेरण (Motivation) क्या है?
रोज़मर्रा की जिंदगी में हम अनेकों काम करते हैं। हम इन कार्यों को क्यों करते हैं? शायद इसके पीछे कोई न कोई कारण या प्रेरणा अवश्य होती है। उदाहरण के तौर पर इंग्लिश स्पोकन क्लास में जाने वाले विद्यार्थी समय से पहले ही तैयार होकर कक्षा में भागीदारी के लिए प्रयासरत होता है।
इसी भांति लेखक का उदाहरण दिया जाता है कि कई बार अनुकूल परिस्थितियों में भी लेखक के लिए लिखना संभव नहीं होता है। इसके लिए कहा जाता है कि लेखक के भीतर लेखन की प्रेरणा का अभाव है। हमारे भीतर प्रेरणा का स्त्रोत कहीं से भी हो सकता है कर्तव्य की भावना से, स्त्री-बच्चों के प्रति प्रेम से, प्रेमिका की आँखों में छा जाने की आकांक्षा से या फिर समाज में अपनी अलग पहचान बनाने की अभिलाषा से। इस तरह की प्रेरणा की आवश्यकता प्रत्येक ऐसे कार्य में होती है जिसमें प्रतिबद्धता की आवश्यकता होती है।
अभिप्रेरण क्या है?
मार्गन और किंग के अनुसार, “अभिप्रेरण अवस्थाओं का एक ऐसा समुच्चय है जो व्यवहार को सक्रिय करता है, निर्देशित करता है तथा किसी ख़ास लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में सतत बनाये रखता है।” अभिप्रेरण का तात्यपर्य एक प्रेरक तथा आकर्षित करने वाले बल से होता है जो व्यक्ति के व्यवहार को एक ख़ास लक्ष्य की ओर निर्देशित करता है। उदाहरण के तौर पर अच्छे नंबर पाने या संप्रत्ययों को समझने की प्रेरणा विद्यार्थियों को नोट्स बनाने और ओरिजनल पाठ्यपुस्तकों से पढ़ने के लिए अभिप्रेरित करती है।
अभिप्रेरण का स्वरूप इस प्रकार हैः
- अभिप्रेरण व्यक्ति की आंतरिक अवस्था है जो काल्पनिक होती है, जिसे देखा नहीं जा सकता है।
- अभिप्रेरण की आंतरिक अवस्था व्यक्ति को क्रियाशील बनाती है और ख़ास दिशा में प्रयासरत बनाये रखती है
- अभिप्रेरण के प्रभाव के कारण व्यक्ति किसी एक की बजाय अन्य विकल्पों व क्रियाओं का चुनाव करता है।
- एक निश्चित लक्ष्य के प्रति क्रियाओं के संगठित रूप का बना रहना
- अभिप्रेरित व्यवहार उत्पन्न होने के बाद लक्ष्य की प्राप्ति तक बने रहना।
अभिप्रेरण की अवधारणाः (Need – Drive – Goal directed Behaviour – Goal Achievements)
अभिप्रेरण के प्रकारः आमतौर पर अभिप्रेरण के 2 प्रकार माने जाते हैं
- जन्मजात अभिप्रेरणः ऐसे अभिप्रेरण व्यक्ति में जन्म से ही पायी जाती हैं। जैसे भूख, प्यास, काम, नींद
- अर्जित अभिप्रेरणः यह सामाजिक परिस्थितियों में अपने सार्वजनिक जीवन में अस्तित्व बनाये रखने के लिए प्रेरित करता है। जैसे उपलब्धि, शक्ति या सत्ता, आक्रामकता और अनुमोदन इत्यादि।
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Educational Philosophy दर्शन
ज्ञान के विज्ञान को दर्शन कहा जाता है। दर्शन विभिन्न विचारों की सामूहिक रचना को कहते हैं। दर्शन के अंतर्गत गहरा ज्ञान समाहित होता है। दर्शन सत्य की खोज में एक आयोजित प्रयत्न है।