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पहली कक्षा के बच्चों को पढ़ना कैसे सिखाएं?

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स्कूल में परीक्षा देने के लिए जाते बच्चे।

एक स्कूल का दृश्य, “‘शिक्षक बच्चों को वापस लाइन में लगा रहे थे। यहां परीक्षा में टाइम पास वाला माहौल था। बच्चे इधर-उधर भाग रहे थे। ठंड से ठिठुरते बच्चे धूप की ओर सरक रहे थे। ठंड से एक बच्ची के हाथ में कॉपी कांप रही थी। शिक्षक कह रहे थे, “लिखो-लिखो, प्रश्न लिखो।” बच्चों को संस्कृत के सवालों का कोई जवाब नहीं सूझ रहा था। तीसरी कक्षा के बच्चों को लिखना नहीं आ रहा था।”

इसका एक कारण हो सकता है कि पहले की कक्षाओं में बच्चों को पढ़ना-लिखना सीखने का पर्याप्त अवसर नहीं मिला। यह एक स्कूल की स्थिति है। ऐसे बहुत से स्कूल आपने भी देखे होंगे। किसी स्कूल की स्थिति ऐसी क्यों हो जाती है? ऐसा एक दिन में तो नहीं होता होगा। ऐसा होने में वक़्त लगा होगा।

पहली कक्षा से बने मजबूत नींव

पहली कक्षा में आने वाला बच्चा अगर वर्णों, मात्राओं को पहचान पाता है। वर्ण-मात्राओं को आपस में मिलाने के कारण वर्ण की ध्वनि में होने वाली परिवर्तन को समझ पाते हैं, तो उसके लिए पढ़ना आसान हो जाता है।अगर यह काम पहली कक्षा मे नहीं हो पाता तो दूसरी कक्षा में शिक्षक को बच्चों के ऊपर ज्यादा ध्यान देना पड़ता है।

दोष देने का सिलसिला

ध्यान देने वाली बात है कि दूसरी क्लास में बच्चों से हमारी अपेक्षाएं बढ़ जाती हैं और हम कहना शुरू कर देते हैं कि दूसरी में पहुंचने के बाद भी इसे वर्णों की पहचान नहीं है। शायद यहीं से पिछली कक्षाओं को दोष देने का सिलसिला शुरू होता होगा। धीरे-धीरे यह बात तीसरी-चौथी-पांचवी से होते-होते कभी तो आठवीं कक्षा तक जा पहुंचती है और शिक्षक कहते हैं, “हम सातवीं-आठवीं के बच्चों को भी पढ़ना सिखा रहे हैं।”

अगर एक शिक्षक को अपनी जिम्मेदारी का एहसास हो तो वह ऐसे तरीके खोज सकता है ताकि बच्चों को आसानी से पढ़ना सिखाया जा सके। इसके लिए बच्चों की पुस्तकों का रचनात्मक इस्तेमाल हो सकता है।

बच्चों को पहली कक्षा से ही पठन कौशल के विकास का पर्याप्त अवसर देना चाहिए।

बच्चों को कहानी सुनने का मौका देकर सुनकर समझने वाली क्षमता का विकास किया जा सकता है। वर्णों को पहचानने का खेल बनाया जा सकता है।

मात्राओं की आवाज़ और उसके किसी वर्ण में लगने के बाद होने वाले बदलाव को बारहखड़ी के माध्यम से बताने की बजाय टुकड़ों में बता सकते हैं।

इससे बच्चा बारहखड़ी रटने के दबाव से मुक्त हो जाएगा और उसके पढ़ने का सफ़र ज्यादा अर्थपूर्ण और रोचक बन सकेगा।

1 Comment on पहली कक्षा के बच्चों को पढ़ना कैसे सिखाएं?

  1. Gautam Kumar // April 8, 2018 at 3:33 pm //

    अच्छा

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