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बच्चों की लीडरशिप से बेहतर बनेगी ‘स्कूल लायब्रेरी’

किताब पढ़ते बच्चेएक सरकारी स्कूल में काफी दिनों से लायब्रेरी की स्थिति को बेहतर बनाने और बच्चों के साथ किताबों का नियनित लेन-देन करने को लेकर बात हो रही थी। मगर हर बार पुस्तकालय की ‘बेहतरी’ वाली बात पर कोई न कोई ‘बहाना’ आकर खड़ा हो जाता था।

आज मैं यह तय करके गया था कि स्कूल को बेहतर बनाने के लिए कम्युनिकेशन का चैनल बदलने की भी जरूरत है ताकि सीधे बच्चों से भी संवाद किया जा सके। उनको बताया जा सके कि स्कूल की सारी किताबें तुम्हारे (यानि सबके) लिए हैं। स्कूल में लायब्रेरी रोज़ाना खुले इसका ध्यान तुम्हें ही रखना होगा। क्योंकि मेरा तो सप्ताह या महीने में दो-तीन बार ही आना होगा।

और चमक गई स्कूल की लायब्रेरी

इस सिलसिले में अगर कोई बात आड़े आती है या फिर कोई दिक्कत होती है तो तुम लोग मुझे बता सकते हो। सातवीं-आठवीं कक्षा के बच्चों से इस बारे में बात हुई। बच्चों से बेझिझक बात हुई। उन्होंने अपना सहयोग देने की बात कही। बस फिर क्या था? पूरी लायब्रेरी को व्यवस्थित करने का काम शुरू हो गया। स्कूल की छुट्टी से पहले पूरी लायब्रेरी चमक गई थी। लायब्रेरी में आने से पहले शिक्षकों के साथ हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद का जन्मदिन मनाया।

इसके बाद लायब्रेरी की उपयोगिता। पढ़ने की आदत और पढ़ने के कौशल के विकास में इसकी रचनात्मक भूमिका पर स्कूल के आँकड़ों का हवाला देते हुए बात हुई। ताकि शिक्षकों को लगे कि इस क्षेत्र पर काम करने की काफी जरूरत है। सिर्फ इसलिए नहीं कि मैं कह रहा हूँ। बल्कि इसलिए क्योंकि बच्चों को पढ़ना सीखने में कहानी की किताबों से मदद मिलने वाली है जो बच्चों के स्तर के अनुरूप है। उनकी रुचियों के अनुरूप हैं। ऐसी किताबें तो स्थानीय बाज़ार में भी नहीं मिलने वाली हैं। ऐसे में जरूरी है कि सारे लोग मिलकर पुस्तकालय के सफल संचालन में योगदान दें। बच्चों को उनके हिस्से की जिम्मेदारी दें, मसलन छठीं से आठवीं तक के बच्चे खुद से किताबों का लेन-देन करें। लायब्रेरी में जाएं और खुद से किताबों का चयन करके पढ़ें और बाकी बच्चों को किताबें पढ़कर सुनाएं। इससे पूरे स्कूल में किताब पढ़ने का माहौल बन सकेगा।

एकेडमिक लीडरशिप है जरूरी

इस स्कूल की प्रधानाध्यापिका ने लायब्रेरी को व्यवस्थित करने में अपने नेतृत्व का परिचय दिया और बहानों को दरकिनार करते हुए, इस काम को आसान बना दिया। किसी स्कूल में एकेडमिक लीडरशिप की भूमिका काफी अहम है। अगर लीड करने वाला व्यक्ति चीज़ों को एकेडमिक एंगल से देख रहा हो तो मुश्किल काम भी ज्यादा सुगम तरीके से आगे बढ़ने की राह खोज लेता है। इस पूरी प्रक्रिया में लायब्रेरी शिक्षक की तरफ से होने वाली पहल विशेष रूप से उल्लेखनीय है क्योंकि बहुत से स्कूलों में तो लायब्रेरी को एक प्रभार या भार की तरह देखते हैं।

स्कूल के पुस्तकाय से बच्चों के सीखने को कितनी मदद मिलेगी? किताबें पढ़ने से बच्चों को कितनी खुशी मिलेगी, ऐसी बातें उनके लिए नगण्य महत्व वाली होती हैं। तमाम आदर्शवादी बातों के बीच में एक रियल स्टोरी लिखने की कोशिश आगे बढ़ रही है। उम्मीद है कि आने वाले दिनों में तस्वीर बदलेगी। बदलाव की कहानी से ‘बहानों’ की धुंध गायब होगी और उम्मीद का उजास बच्चों के हाथों में किताबों की शक्ल में जगमगाएगा।

2 Comments on बच्चों की लीडरशिप से बेहतर बनेगी ‘स्कूल लायब्रेरी’

  1. Mirza World Book House // November 6, 2022 at 1:00 pm //
  2. Mirza World Book House // November 6, 2022 at 12:55 pm //

    बहुत खुब साहब जी

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