एजुकेशन मिररः 2020 के सबक जिनको 2021 में भी याद रखना जरूरी है!
एजुकेशन मिरर के सभी पाठकों और लेखक साथियों को नव वर्ष की बहुत-बहुत शुभकामनाएं। वर्ष 2020 में पूरी दुनिया के सामने कोविड-19 के रूप में एक ऐसी वैश्विक महामारी आई,जिसके कारण पूरी दुनिया की गति एक समय ठहरी सी लग रही थी। हमारा सामना नये-नये शब्दों और डब्लूएचओ की विरोधाभाषी गाइडलाइन्स से हो रहा था। हमने लॉकडाउन की निराशाजनक स्थिति का सामना किया। बहुत से साथियों को अपने करीबी स्व-जनों की बीमारी, मृत्यु समेत अनेक अनकही तकलीफों का सामना करना पड़ा।
जब जीवन का हर क्षेत्र इससे प्रभावित हो रहा था तो शिक्षा का क्षेत्र भला इससे कैसे अछूता रहता। शिक्षक साथियों ने भी अपने यू-ट्यूब चैनल को सक्रिय बनाया, ऑनलाइन वेबिनार के माध्यम से शिक्षा विमर्श को आगे बढ़ाया। ऑनलाइन माध्यमों के कारण बड़े स्तर पर शिक्षकों का आपस में संवाद करना और एक-दूसरे को सहयोग करना संभव हो सका। ह्वाट्सऐप भी एक सक्रिय माध्यम बना शिक्षकों के लिए बच्चों तक पहुंच सुनिश्चित करने में। शिक्षक ज़मीनी स्थितियों से निराश थे कि मात्र 15-20 प्रतिशत बच्चों तक ही पहुंच पा रहे हैं। लेकिन उन्होंने अपने प्रयास जारी रखे। वर्ष 2020 को राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के आने और इस पर विमर्श के लिए भी याद किया जायेगा।
2020 की उपलब्धियों पर भी ध्यान दें
शिक्षकों के क्षमतावर्धन और डिजिटल माध्यम से परिचित होने के दौर के रूप में 2020 की उपलब्धियों को सदैव याद किया जायेगा। यह साल ऑनलाइन माध्यम की उपलब्धियों के साथ-साथ सीमाओं को रेखांकित करने वाला साल भी बना। कई बच्चों के डिजिटल माध्यमों तक पहुंच न बना पाने में असमर्थता के कारण आत्महत्या जैसी हृदय को झकझोर देने वाली निर्मम घटनाओं के भी हम गवाह बने। शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल विभाजन की खाई भी स्पष्ट रूप में दिखाई दे रही थी। ऑनलाइन कंटेट की कमी को महसूस करने और उसकी भरपाई की जरूरत की तरफ भी शिक्षा के क्षेत्र में काम करने वाले लोगों के साथ-साथ विभिन्न राज्यों के शिक्षा विभाग का ध्यान गया।
ऑनलाइन सिक्योरिटी जैसे मुद्दे भी हमारे सामने आये और तकनीक के क्षेत्र में एकाधिकार वाली स्थितियों के टूटने के हालात बने। जूम के अलावा गूगल मीट, माइक्रोसॉफ्ट टीम व अन्य माध्यमों का लोगों ने बड़े अच्छे से इस्तेमाल किया। ऑनलाइन टीचिंग के प्रति भी लोगों का नजरिया बदला। शिक्षकों के लिए ख़ासी चुनौती वाले दिन थे, ऑफलाइन क्लास में होने से ज्यादा मुश्किल ऑनलाइन क्लास में होना होता है इस बात को समझने-समझाने में भी समय लगा। ऑनलाइन ट्रेनिंग में भी शामिल होने में थकान होती है, इसकी तरफ भी लोगों का ध्यान दिलाने वाली ख़बरों ने संवेदनशील बनाने का काम किया। हालांकि ऑफलाइन क्लासेज़ की तरह ऑनलाइन क्लास में भी ब्रेक की जरूरत होती है। इस बात को सभी ने महसूस किया।
शिक्षा के जीवंत मुद्दों पर चर्चा जारी रहेगी
आप सभी को लग रहा होगा कि नये साल में जब वैक्सीन के आने की खुशखबरी आ चुकी है। बीते दिनों की बातों का फिर से जिक्र करने की क्या जरूरत है। लेकिन बीते दिनों को उनके सबक के लिए याद करने की जरूरत है। ताकि ऐसे दौर में जब कोरोना के म्युटेट होने की खबर भी समानांतर चल रही है। किसान दिल्ली के बॉर्डर पर अपनी माँग के साथ डटे हुए हैं। कॉलेज और 12वीं तक के कॉलेजों के खुलने की उम्मीद बंध रही है। प्राथमिक स्कूलों के खुलने में अभी देर है। 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं को मई के लिए टाला जा रहा है। मोहल्ला क्लास, हैपिनेस क्लासेज़, मोबाइल लाइब्रेरी, सामुदायिक पुस्तकालय, ऑनलाइन क्लासेज़ लगातार जारी हैं।
एजुकेशन मिरर ने भी बच्चों द्वारा लिखी सामग्री को प्रकाशित करने के साथ-साथ, शिक्षक प्रोत्साहन सीरीज़, भाषा शिक्षण सीरीज़ और लाइब्रेरी मुहिम को तेज़ करने के लिए डिजिटल बुक्स और कंटेंट की शेयरिंग को प्रोत्साहित किया। कुछ शिक्षक साथियों ने सतत संवाद के कारण पढ़ने की आदत के फिर से सक्रिय होने और बतौर पाठक नई किताबों तक पहुंचने की बात को रेखांकित किया तो खुशी हुई कि ऐसे प्रयास भी छोटी-छोटी उपलब्धियों की वजह बन रहे हैं। एजुकेशन मिरर की टीम की तरफ से कोशिश होगी कि आपको पढ़ने के लिए, सोचने के लिए और विमर्श करने के लिए रोचक सामग्री निरंतर मिलती रहे। लेखन के क्षेत्र में नये लेखकों से आपके परिचय का भी साल होगा 2021। आप सभी को नव वर्ष की बहुत-बहुत शुभकामनाएं।
बहुत -बहुत बधाई सर 💐💐💐💐
छात्रों और शिक्षकों के लिए आपका मंच प्रेरणा स्रोत है ।
एजुकेशन मिरर के प्रयास बहुत ही सराहनीय है.
अध्यापकों के लिए अपनापन लिए हुए ऐसा मंच है जो उनके प्रोत्साहन में महत्वपूर्ण योगदान देता है और सतत प्रयासरत है.
ऐसे निस्वार्थ मंच को मेरी अपार शुभकामनाएं.
आशा है इस वर्ष आपके प्रयासों से बहुत से बच्चों और शिक्षकों को अच्छे से अच्छा करने की प्रेरणा मिलेगी.
Well written sir