बच्चे ‘पढ़ने की एक्टिंग’ क्यों करते हैं?
एक स्कूल की पहली क्लास में 20 बच्चे मौजूद थे। हर बच्चा अपने काम में लगा हुआ था। कुछबच्चे खेल रहे थे। कुछ बच्चे लिख रहे थे। तो कुछ बच्चे किताब पढ़ रहे थे।
एक छोटी बच्ची भी अपना पसंदीदा काम कर रही थी। वह किताब के पन्नों को पलट रही थी। अपने मन में आने वाली बातों को जोर-जोर से बोल रही थी। उसे देखते ही लगा, “अरे! यह तो पढ़ने की एक्टिंग कर रही है।”
पढ़ने का अभिनय भी हो सकता है, इसके बारे में पहले कभी नहीं सोचा था। यह दृश्य सामने देखकर लगा कि ‘पढ़ने का अभिनय’ भी रीडिंग रिसर्च का एक टॉपिक है। इसके ऊपर भी विचार करने की जरूरत है ताकि पढ़ने की एक्टिंग करने वाले बच्चों की मनोस्थिति को समझा जा सके।
इस सवाल का जवाब खोजा जा सके कि कौन सी पढ़ने की एक्टिंग के लिए प्रेरित करती हैं। इस सवाल का जवाब अभी भी मिलना बाकी है कि पढ़ने की एक्टिंग के मायने क्या हैं?
बहुत-बहुत शुक्रिया अमृता जी। एक-दूसरे को देखकर भी बच्चे बहुत कुछ सीखते हैं। पढ़ने की एक्टिंग पढ़ने की दिशा में किसी बच्चे का पहला क़दम होती है। जब पहली-दूसरी क्लास के बच्चे लायब्रेरी में होते हैं तो ऐसी स्थिति नजर आती है। इसमें बच्चे किताबें पकड़ना, चित्रों को पढ़ना, उसके बारे में अनुमान लगाना, चीज़ों को अपने अनुभवों से जोड़ते हैं। यह आने वाले दिनों में किताबों के साथ उनके रिश्ते को मजबूती देता है। इस नजरिये से बच्चों के रीडिंग की एक्टिंग भी बड़े काम की चीज़ है।
मैंने भी कुछ बच्चों को ऐसा करते देखा है . शायद ऐसे बच्चे नक़ल करके ही बहुत कुछ सीखते हैं.