शिक्षा से जुड़े मुद्दों पर लेखन कैसे करें?
शिक्षा से जुड़े मुद्दे क्या हैं? सबसे पहला सवाल तो यही होगा। किसी विद्यालय में बच्चों का नामांकन कम होना, शिक्षकों का छात्र संख्या के अनुपात में कम होना, किसी छात्र/छात्रा के लिए पढ़ाई जारी रखने में पेश आने वाली मुश्किलें।
किसी शिक्षक का अभिनव प्रयास, किसी ख़ास तरह की सोच के कारण बच्चों के प्रति नकारात्मक व्यवहार, पढ़ाने के तरीके में बदलाव के अभाव में शिक्षा की गुणवत्ता में गिरावट का आना, शिक्षा से जुड़ी नीतियां, शिक्षा का वैश्विक परिदृश्य (जी-20 का सम्मेलन) जो भारत में शिक्षा के क्षेत्र को व्यापक ढंग से प्रभावित कर सकता है, शिक्षा के क्षेत्र में होने वाले शोध इत्यादि।
कैसे चुनें लेखन की थीम
इसके अलावा के क्षेत्र में काम करने वाली संस्थाओं की थीम भी एक मुद्दा होती है जैसे अर्ली लिट्रेसी, प्रौढ़ शिक्षा, बालिका शिक्षा, नवाचार, शिक्षक शिक्षा, पुस्तकालय, प्रधानाध्यापक नेतृत्व विकास या लीडरशिप, पेशेवर मानसिकता व व्यवहार, शिक्षक प्रेरणा इत्यादि जैसे मुद्दे किसी लेखन की थीम का हिस्सा हो सकते हैं।
इसके अलावा शिक्षा के क्षेत्र से जुड़ी विभिन्न रिपोर्ट्स और सर्वेक्षण जो विभिन्न संस्थाओं द्वारा समय-समय पर प्रकाशित किये जाते हैं उनकी भी चर्चा समय-समय पर होती है। जैसे असर रिपोर्ट, सिंगल टीचर स्कूल वाले विद्यालयों की संख्या, शिक्षकों के रिक्त पद, मिड डे मील का बजट, शिक्षा का सालाना बजट, उच्च शिक्षा का बजट, विभिन्न विद्यालयों में शोध के लिए आवंटित सीटों की संख्या।
उभरते हुए मुद्दे और परीक्षा प्रणाली
शिक्षा से जुड़ी नीतियां जिनको लेकर केंद्र और राज्य में मतभेद है। पाठ्यक्रम। परीक्षा प्रणाली, सामूहिक नकल जैसे मुद्दों पर भी लेखन किया जा रहा है। इसके अलावा छात्रों में परीक्षा को लेकर तनाव, पढ़ाई के दौरान ध्यान रखने वाली बातें, शिक्षा परामर्श (एजुकेशन काउंसिलिंग) जैसे विषय भी उभर रहे हैं। इसके साथ ही बोर्ड परीक्षाओं की ख़ासी चर्चा होती है। बोर्ड परीक्षाओं के परीक्षा परिणाम के प्रतिशत और लड़के-लड़कियों के पास होने वाले अनुपात पर भी बात होती है। इस दौरान विपरीत परिस्थिति में परीक्षा पास करके मेरिट में आने वाले छात्रों की चर्चा होती है, उनके साक्षात्कार भी प्रकाशित होते हैं।
विशेषांक के लिए लेखन
इसके साथ ही विभिन्न पत्रिकाओं में शिक्षा से जुड़े मुद्दों पर विशेषांक और लेख प्रकाशित होते हैं। जैसे कभी ‘उच्च शिक्षा’ या ‘दीवार पत्रिका’ की थीम पर लेख आमंत्रित किये जाते हैं। तो कभी शिक्षक शिक्षा के ऊपर। तो कभी ‘पढ़ने की आदत’ वाली थीम पर लेख लिखने के अवसर होते हैं। इसके अलावा भी विभिन्न विषयों के शिक्षण और नवीन शोध से जुड़ी विश्लेषणात्मक सामग्री का प्रकाशन भी अखबार और विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में होता है। यानि शिक्षा के क्षेत्र में लेखन की अपार संभावना है।
शिक्षा के क्षेत्र में समय-समय पर सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट के महत्वपूर्ण फ़ैसलों पर भी रिपोर्ट्स लिखी जाती हैं। इसलिए ऐसे मुद्दों पर नज़र रखनी चाहिए। भाषा से जुड़े सवालों पर संसद में होने वाली बहस या किसी लिखित सवाल का जवाब भी सुर्ख़ियों में आता है। जिसके ऊपर संपादकीय प्रकाशित होते हैं। ऐसी चीज़ों का नियमित अध्ययन काफी मदद कर सकता है।
प्रोफ़ेसर कृष्ण कुमार की ‘टिप्स’
शिक्षा के क्षेत्र में नियमित लेखन से पहले प्रोफ़ेसर कृष्ण कुमार से विभिन्न मौकों पर मिलना और बात करना होता रहा है। उन्होंने एक बार कहा, “जिन मुद्दों पर लिखा जा रहा है, उसको पढ़ते रहो। जिन मुद्दों पर नहीं लिखा जा रहा है, उस पर लिखते चलो।” उनकी इस बात में किसी मुद्दे के जिन पहलुओं पर नहीं लिखा जा रहा है, उनको भी प्रकाश में लाने वाली बात शामिल है।
शिक्षा से जुड़े मुद्दों पर ऐसे लेखन को पढ़ना भी, लेखन की तैयारी की दृष्टि से काफी अहम है। पहले प्रयास में ही बहुत अच्छा लेखन होने लगेगा, ऐसा अक्सर नहीं होता है। पर पहला प्रयास बहुत मायने रखता है। इसलिए छोटी शुरूआत करिए, निरंतरता जारी रखिए, फेसबुक पोस्ट लिखने से शुरू हुई कहानी भी धीरे-धीरे लेखन को धार देने में मदद कर सकतती है, इसलिए ऐसे छोटे-छोटे प्रयासों के महत्व को समझें। अपना प्रयास जारी रखें ताकि शिक्षा से जुड़े मुद्दों पर लेखन के क्षेत्र में आप भी अपना योगदान दे सकें।
आँकड़ों पर नज़र रखें, सामान्यीकरण से बचें

शिक्षा से जुड़े मुद्दों पर आँकड़ों व तथ्यों को सामने रखते हुए कम शब्दों में प्रभावशाली लेखन किया जा सकता है।
लेखन के दौरान एक ध्यान रखने वाली बात है कि आँकड़ों के इस्तेमाल में सावधानी बरतें और उन्हीं आँकड़ों का इस्तेमाल करें जो विश्वसनीय रिपोर्ट और सरकारी संस्थाओं द्वारा प्रकाशित किये गये हों। डायरी और अनुभव आधारित लेखन के लिए ऐसे आँकड़ों की जरूरत तो नहीं पड़ती है। लेकिन जरूरी तथ्यों से रिपोर्ट या डायरी की विश्वसनीयता बढ़ जाती है।
शिक्षा के क्षेत्र में होने वाला लेखन इस बात को ध्यान में रखते हुए होना चाहिए कि रिपोर्ट या आलेख से किस मुद्दे की तरफ आप लोगों का ध्यान खींचना चाहते हैं, वह उभरकर आये। उस मुद्दे के बारे में लोगों की समझ बने और उस मुद्दे को अपने निजी अनुभवों से लोग जोड़कर देख पाएं। किसी स्कूल के अनुभवों को लिखते हुए आप यह निष्कर्ष नहीं निकाल सकते कि सारे शिक्षक वैसे ही हैं, जैसे शिक्षक का आप अनुभव सुना रहे हैं। इसलिए चीज़ों को विशिष्ट संदर्भ में, सही तथ्यों का हवाला देते हुए लिखना पाठक को अपनी सही राय कायम करने में मदद करता है।
उम्मीद है कि यह पोस्ट आपको शिक्षा या किसी अन्य मुद्दे से जुड़े लेखन में मदद करेगी। भविष्य में ऐसे मुद्दों पर संवाद का सिलसिला जारी रहेगा। आप कमेंट बॉक्स में इस शिक्षा से जुड़े मुद्दों पर लेखन से जुड़े सवाल पूछ सकते हैं।
शिक्षा का महत्वपूर्ण पहलू है सभ्यता।
हम जब ग्रामीण क्षेत्रों में कार्य कर रहे होते हैं, तो अक्षर ज्ञान या पठन कौशल विकसित करना ही अध्यापन नही रह जाता, वरन व्यक्तित्व का उन्नयन भी एक आवश्यक पहलू होता है।
पढ़ लिख कर भी यदि बच्चे संवेदनशील नही होते, असभ्य बने रह कर गाली गलौज करते हैं तो वास्तव में यह शिक्षण कुछ और मांग रहा है।
खास बात है कि सभ्यता की यह शिक्षा किसी पाठ्यक्रम से नही वरन अध्यापक के आचरण से ही दी जा सकती है।
महत्वपूर्ण जानकारी सर द्वारा
Lekhan gatividhi ko lekar bahut hi acche tareeke se bacchon ko karwa sakte hai jaisa ki is lekh me bataya gaya hai