मनोविज्ञान: किशोरावस्था की विशेषताएं क्या हैं?

किशोरावस्था में लड़के-लड़कियों का शारीरिक विकास काफी तेज़ी से होता है।
किशोरावस्था को अंग्रेजी में adolescence कहते हैं। यह शब्द लैटिन भाषा के शब्द adolescer से बना है, जिसका अर्थ है ‘परिपक्व होना’। यह बाल्यावस्था और प्रौढ़ावस्था के बीच विस्तृत जीवन का संक्रमण काल है।
किशारावस्था को जीवन का वह चरण माना जाता है जो तारुण्य या वयःसंधि (Puberty) के समय से शुरू होता है जब यौन परिपक्वता की क्षमता प्राप्त हो जाती है। शारीरिक और मानसिक दृष्टि से यह काफी तीव्र परिवर्तन का समय होता है। किशोरावस्था की दो प्रमुख चुनौतियां होती हैं कामुकता (sexuality) और अस्मिता का निर्माण (identity formation)।
किशोरावस्था को समझने की जरूरत
इस दौर में लड़कों की आवाज़ में बदलाव होते हैं और मुख के ऊपर बालों का आना शुरू हो जाता है। वहीं लड़कियों में ऊंचाई में तीव्र वृद्धि होती है और मासिक धर्म की शुरूआत भी इसी अवस्था में होती है। शारीरिक विकास की तीव्रता लड़कों में 12-13 साल की उम्र में और लड़कियों में 10-11 वर्ष की आयु में घटित होती है। इसमें व्यक्तियों और संस्कृति के अनुसार अंतर होते हैं।
शारिरिक विकास को लेकर स्वीकार्यता का विकास इसी अवस्था में होता है, बहुत सी शारीरिक बदलावों को लेकर किशोरों में हीन-भावना का भी विकास होता है। जो विभिन्न स्त्रोतों से मिलने वाली सूचनाओं और दोस्तों के बीच होने वाली चर्चाओं से सुलझता और उलझता है। इस क्षेत्र में परामर्श और सही गाइडेंस से ऐसी स्थिति से किशोरों को उबरने में मदद मिलती है।
आत्मकेंद्रित होना एक प्रमुख विशेषता है
इस दौर में किशोर दूसरों का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित करने की कोशिश करते हैं और उनके सोचने का तरीका आत्म-केंद्रित होता है। उनको इस बात की परवाह होती है कि लोग उनको कैसे देख रहे हैं, उनके बारे में क्या बोल रहे हैं, उन्हीं के समान आयु वर्ग के अन्य किशोरों के किस व्यवहार को सराहा जा रहा है या उसकी आलोचना की जा रही है। ऐसी बातों का असर भी किशोरावस्था के लड़के-लड़कियों पर पड़ता है।
किशोरावस्था में शारीरिक परिवर्तन के कारण
किशोरावस्था में कई कारणों से शारीरिक परिवर्तन होते हैं। सेक्स हार्मोन के श्राव को निर्धारित करने वाली अंतःश्रावी ग्रंथि पिट्यूटरी है। एंड्रोजेन (पुरूष हार्मोन) तथा एस्ट्रोजेन (स्त्री हार्मोन) विकसित हो रहे बच्चे की सेक्स ग्रंथि से निःसृत होते हैं। इसके अतिरिक्त लड़कियों में प्रोजेस्टोरोन नामक हार्मोन निःसृत होता है, जो प्रजनन क्षमता से जुड़ा होता है। इन हार्मोन की प्रबलता के कारण पुरुष और स्त्री की बनावट में अंतर होता है, परंतु पुरुष या स्त्री किसी भी सेक्स का सामान्य विकास होने में एंड्रोजेन और एस्ट्रोजेन दोनों की जरूरत होती है। अगली पोस्ट में किशोरावस्था के अन्य पहलुओं के बारे में विस्तार से पढ़ेंगे
Psychology is the science of human behaviour.
What is psychology