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उषा मुकुन्दा: ‘जीवंत पुस्तकालय के लिए बच्चों व शिक्षकों की सक्रिय भागीदारी है जरूरी’

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हमारे देश में पुस्तकालय को प्रभावशाली बनाने और इसे विद्यालय में सबसे आकर्षक बनाने का सुझाव बहुत लंबे समय से दिया जा रहा है। इस विज़न को ज़मीनी स्तर पर जीवंत करने का काम विभिन्न क्षेत्रों में शिक्षा क्षेत्र में अपनी स्वेच्छा से काम करने वाले साथी पूरी प्रतिबद्धता के साथ करते रहे हैं। ऐसा ही एक नाम है बेंगलुरू के निकट ‘सेंटर फॉर लर्निंग’ के नाम से वैकल्पिक स्कूल की स्थापना करने में अहम भूमिका निभाने वाली उषा मुकुन्दा का।

आपने अंग्रेजी साहित्य और लाइब्रेरी साइंस में अपना अध्ययन किया है। बच्चों का साथ आपको किताबें पढ़ना बेहद पसंद है और पुस्तकालय की बहुआयामी उपयोगिता को राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ाने के विभिन्न मुहिम में आपकी सक्रिय भागीदारी रही है। हाल ही में आपकी बेटी कमला वी. मुकुन्दा द्वारा लिखी एक किताब का हिन्दी अनुवाद भी प्रकाशित हुआ है, स्कूल में आज तुमने क्या पूछा’ शीर्षक से। इस किताब में आपने शिक्षा मनोविज्ञान के तमाम व्यावहारिक अनुभवों को बड़े ही सहजता के साथ प्रस्तुत किया है।

इस किताब को पढ़ते हुए आप मनोविज्ञान के तमाम मिथ और वास्तविकताओं से परिचित हो सकते हैं। आपने लाइब्रेरी या पुस्तकालय को प्रभावशाली बनाने के लिए लंबे समय तक काम किया है।

लाइब्रेरी से बच्चों व शिक्षकों को जोड़ना है जरूरी: उषा मुकुन्दा

आपने विद्यालय में पुस्तकाय की साज-सज्जा और संभालने की जिम्मेदारी बच्चों के साथ साझा करने की बात कही है। इसके लिए हर कक्षा से दो बच्चों को जिम्मेदारी प्रतिदिन देने वाले विचार को सफल होते हुए देखा।

इसके साथ ही आपने शिक्षकों के साथ कविताओं और कुछ कहानियों के माध्यम से चर्चाओं को आगे बढ़ाया।

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शिक्षक कोई भी कविता या कहानी घर ले जाकर पढ़ते और फिर स्कूल में ही अन्य शिक्षकों के सामने उसे प्रस्तुत करते। इस पर फिर सवाल-जवाब और चर्चा होती थी। इसके कारण शिक्षक साथियों का आत्मविश्वास में बढ़ोत्तरी हुई।

शिक्षकों के साथ अच्छे प्रकाशन और अनुवाद वाली किताबों के चुनाव की प्रक्रिया से भी रूबरू कराने का रोचक अनुभव आपने किया और इससे शिक्षकों को काफी मदद मिली।

लाइब्रेरी को सक्रिय बनाने के 5 उपयोगी सुझाव

1. एक शिक्षक पूरे सत्र के लिए लाइब्रेरी की जिम्मेदारी लें ताकि पूरे सत्र के दौरान एक निरन्तरता बनी रहे। यह ध्यान रखना विभिन्न कक्षा के बच्चों को विभिन्न पठन गतिविधियों (या रीडिंग एक्टिविटी) में भागीदारी का मौका सप्ताह में एख बार जरूर मिले।

2. सप्ताह में एक बार विद्यालय के सबसे छोटे बच्चों (प्री स्कूल या पहली कक्षा) लाइब्रेरी में एक कालांश के लिए ले जा सकते हैं। बच्चों को किताबों के मुख्य पृष्ठ, भीतर के चित्र दिखाए जा सकते हैं, या वे खुद लाइब्रेरी में बैठकर किताबें देख सकते हैं। बाद में उन्हें कोई चित्र बनाने के लिए कहा जा सकता है। बच्चों के इस चित्र को पुस्तकालय में डिसप्ले किया जा सकता है। एक बात ध्यान रखें कि बच्चों की संख्या 15-20 के आसपास हो तो अच्छा होगा। इससे बच्चों को संभालने और सारे बच्चों को समय देने में आपको सुविधा होगी।

3. बच्चों के साथ किताबों के लेन-देन की शुरूआत एक कक्षा से करें। फिर धीरे-धीरे अन्य कक्षाओं को भी लेन-देन का रजिस्टर बनाने व बच्चों को लेन-देन की प्रक्रिया समझाने के बाद उनके साथ भी किताबें घर ले जाने के लिए दें। बच्चों को मिलने वाली किताबों में विविधता हो, यह जरूर ध्यान रखें।

4. बच्चे लाइब्रेरी में अपनी पसंद की किताबें पढ़ते हैं। इनके ऊपर उनको असेंबली में छोटा सा रोल प्ले करने के लिए कहा जा सकता है। इसके लिए स्क्रिप्ट लिखने की जरूरत नहीं है। बच्चों की एक बार कहानी से घनिष्ट दोस्ती हो जाए तो बच्चे खुद ब खुद अपनी स्क्रिप्ट बना लेते हैं। ऐसा रोल प्ले वे लाइब्रेरी के कालांश में भी तैयारी के साथ कर सकते हैं। इससे अन्य बच्चों को उस कहानी की किताब को पढ़ने का प्रोत्साहन मिलेगा और साथ ही साथ बच्चे किताब को समझकर पढ़ने की दिशा में आगे बढ़ेंगे।

5. बच्चे एक-एक किताब घर ले जा सकते हैं और उसे विद्यालय की असेंबली में एक निर्धारित समय में सुना सकते हैं। इससे पूरे विद्यालय में लाइब्रेरी के इस्तेमाल को प्रोत्साहन मिलेगा और ज्यादा से ज्यादा बच्चों की रुचि किताब को घर ले जाकर पढ़ने व उसके बारे में सबको बताने की दिशा में अग्रसर होगी।

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