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समुदाय की सहभागिता से प्राथमिक शाला को बनाया ‘ग्रीन स्कूल’

school-of-chhatishgarhसामुदायिक सहभागिता से शासकीय प्राथमिक शाला मदनपुर ने बहुत ही कम समय मे जिला मुंगेली, छत्तीसगढ़ में अपना एक अलग पहचान बनाई है। इस संदर्भ में शाला के शिक्षक ब्रजेश दीक्षित कहते हैं कि हमने समुदाय के सहयोग से शाला के लिए संसाधन उपलब्ध कराया। इसी क्रम में विकासखंड स्रोत समन्वयक डी.सी.डाहिरे, शैक्षिक समन्वयक रामेश्वर साहू के मार्गदर्शन में ग्रीन स्कूल निर्माण के लिए प्रयास किया।

‘ग्रीन स्कूल’ के रूप में मिली पहचान

जन सहयोग से स्कूल प्रांगड़ में शानदार बागवानी का निर्माण किया। बागवानी के रख-रखाव तथा पानी सिंचाई के लिए सरपंच महोदय के सहयोग से नलकूप (सबमर्सिबल मोटर सहित) पाईप लाइन की व्यवस्था की गई! जिससे कि विद्यालय को ग्रीन स्कूल के रूप में पहचान मिल सके। गांव के जागरूक व्यक्ति शिवराज सिंग के द्वारा 500 लीटर वॉटर टैंक प्रदान किया गया, जिससे कि हमारे बच्चों के उपयोग के लिए हर वक़्त पानी का इंतजाम हो जाता है।

school-3इसी क्रम में हमने शाला स्वच्छता तथा सजावट के लिए शाला प्रबंध समिति तथा शिक्षकों के सहयोग से स्कूल के सभी कमरों तथा गार्डन में आकर्षक टाईल्स लगवाया। अगर हमारी इच्छा शक्ति मजबूत हो तो किसी भी अच्छे विचार की कल्पना को साकार किया जा सकता है। आज प्राइवेट स्कूल के समकक्ष एक सरकारी स्कूल में सम्पूर्ण व्यवस्था जन सहयोग से होना अपने आप मे अनूठा उदाहरण है। इसके लिए शाला प्रबंध समिति के सदस्य,पंचायत प्रतिनिधि, शाला के शिक्षक देवेन्द्र सिंग,सफाई कर्मचारी विक्रम सिंग का विशेष योगदान है!

शैक्षिक नवाचार से बदलाव का प्रयास

school-4शिक्षण के तरीके में रोचक बनाने के लिए शिक्षकों द्वारा नवाचार के विभिन्न तरीकों का उपयोग किया जा रहा है। इसके द्वारा विभिन्न ग़ैर-सरकारी संस्थाओं द्वारा मिलने वाले सहयोग को भी वे प्रोत्साहन देते हैं। मुंगेली जिले से चयनित नवाचारी शिक्षक के रूप में श्री अरविंदो सोसाइटी द्वारा रायपुर में आयोजित नवाचार कार्यशाला में अपने नवाचार प्रस्तुत करने का मौका मिला! जहाँ पूरे छत्तीसगढ़ राज्य से उपस्थित शिक्षको द्वारा हमारे नावचार को सराहा गया।

प्राथमिक शिक्षा के सर्वव्यापीकरण के लिए जनभागीदारी

प्राथमिक शिक्षा का सर्वव्यापीकरण एक व्यापक लक्ष्य है। इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिये भागीदारी एवं लोक सशक्तीकरण आवश्यक है। हमारे प्राथमिक विद्यालय में जनभागीदारीएवं लोक सशक्तीकरण के लक्ष्य को पूरा करने के लिए सतत प्रयास किये जा रहे हैं।

1-समुदाय को शिक्षा के मुख्य धारा से जोड़ना।
2-शाला के मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति करना।
3-प्रभावशाली शैक्षणिक वातावरण का निर्माण करना।

शिक्षण विधियों को रोचक और सरल बनाने पर जोर

1-बच्चों मे तकनीकी दक्षता पर फोकस
2- व्यवहार सुधार के लिए दैनिक जीवन की आदतों पर चर्चा के लिए समय समय पर शाला स्तर में कार्यशाला का आयोजन।
3-खेल खेल में अध्यापन विधियों का सरलीकरण

गाँव के बच्चों को भी अच्छे माहौल में पढ़ाई का अवसर मिले

एजुकेशन मिरर के लिए यह पोस्ट ब्रजेश दीक्षित, सहायक शिक्षक पंचायत,  शासकीय प्राथमिक शाला मदनपुर जिला मुंगेली, छत्तीसगढ़ से भेजी है। वे अपने बारे में बताते हैं, “विगत 12 वर्षों(2006) से शिक्षा विभाग में सेवा दे रहा हूं। स्कूल तथा बच्चो के सर्वांगीण विकास के लिए कार्य करना हमेशा से सुकून देता है। आज के दौर में बढ़ते डिजिटल इंडिया के प्रभाव में मेरी कोशिश है कि नित नए डिजिटल तकनीक को स्कूल में प्रयोग कर बच्चो को तकनीकी दुनियां से परिचित कराया जाए। ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों के लिए कम संसाधन में भी अच्छे शैक्षणिक वातावरण का निर्माण कर उन्हें गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा प्रदान करना ही मेरा मुख्य उद्देश्य है।इसके लिए मैं सतत प्रयासरत हूँ कि और किस तरह से स्कूल में जीरो बेस पर संसाधन जुटा कर बच्चों को शैक्षणिक लाभ दिया जा सके।

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