नई शिक्षा नीति ड्राफ्ट: शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया में इंटरव्यु का विरोध क्यों हो रहा है?
नई शिक्षा नीति-2019 के ड्राफ्ट में शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया में भारी बदलाव के संकेत दिए गये हैं। इनमें से एक प्रावधान शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया में साक्षात्कार को शामिल करना भी है। इसका विरोध वर्तमान स्टूडेंट्स व भावी शिक्षकों की तरफ से हो रहा है। उनका कहना है कि नियुक्ति प्रक्रिया में साक्षात्कार को शामिल किए जाने से भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलेगा। एक आँकड़ा जो इस ड्राफ्ट पॉलिसी में है, उसके अनुसार पूरे देश में शिक्षकों के तकरीबन 10 लाख पद खाली हैं।
नई शिक्षा नीति के ड्राफ्ट में शिक्षक भर्ती को लेकर कहा गया है, “आजकल शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में कोई भी साक्षात्कार नहीं होता और न ही कक्षा में शिक्षण कार्यों का प्रदर्शन जांचा जाता है जिससे उनके उत्साह और रुचि का पता नहीं चलता। अक्सर टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट (TET) जैसी लिखित परीक्षा का शिक्षण योग्यता से कोई ख़ास सह-संबंध नहीं होता।”
नई शिक्षा नीति में भर्ती प्रक्रिया में सुधार का प्रस्ताव इस प्रकार है, “शिक्षण के पेशे में उत्कृष्ठ लोगों के प्रवेश को सुनिश्चित करने के लिए टीईटी को मजबूत किया जायेगा और इसके लिए परीक्षा की सामग्री को पाठ्यक्रम, विषयवस्तु और अध्यापन आधारित बनाया जायेगा। विषय शिक्षकों की नियुक्ति के लिए संबंधित विषय में NTA परीक्षा प्राप्तांक को भी ध्यान में रखा जाएगा। शिक्षकों की रूचि और प्रोत्साहन को मापने के लिए कक्षा में शिक्षण का प्रदर्शन और साक्षात्कार एक अभिन्न प्रक्रिया होगी। इन साक्षात्कारों का उपयोग स्थानीय भाषा में शिक्षण में सहजता और दक्षता का आकलन करने के लिए भी किया जायेगा। ताकि हस स्कूल काम्पलेक्स में कम से कम कुछ शिक्षक ऐसे हों जो विद्यार्थियों से उनकी स्थानीय भाषा में बातचीत कर सकें।” इस ड्राफ्ट में कहा गया है कि लंबे समय में स्थायी शिक्षक बनने के लिए चार वर्षीय एकीकृत बीएड डिग्री एक न्यून्तम आवश्यकता होगी।
यानि भावी शिक्षकों को टीईटी के साथ-साथ एनटीए की परीक्षा भी पास करनी होगी, जो भावी शिक्षकों की विषयवार दक्षता को आधार बनाकर ली जाएगी।
नई शिक्षा नीति के ड्राफ्ट में पूर्व की शिक्षक भर्तियों पर उठे सवाल
ऊपर लिखी बात का अगर विश्लेषण किया जाए तो कहा जा सकता है कि अबतक की शिक्षक भर्तियों की प्रक्रिया पर यह बड़े सवाल खड़ी करती है। इस संबंध में साक्षात्कार और शिक्षण कार्य के डेमो न होने को आधार बनाया गया है। इसके साथ ही टीईटी जैसी परीक्षा जिसे लेकर काफी गंभीरता शिक्षक बनने की अभिलाषा रखने वाले प्रतिभागियों व भावी शिक्षकों में होती है, उसको भी लेकर एक नकारात्मक टिप्पणी है कि इसका शिक्षण योग्यता से कोई सीधा-सीधा रिश्ता नहीं है।
परीक्षाओं के पेपर लीक होने की घटनाएं आए दिन आती रहती हैं और शिक्षक भर्तियों के सवालों को बनाने में इस हद दर्जे की लापरवाही होती है कि कई बार मामला कोर्ट में चला जाता है। परीक्षा में सफल होने के बावजूद अभ्यर्थियों को नियुक्ति के लिए सड़कों पर प्रदर्शन करना होता है। परीक्षा होने के बाद कट ऑफ में बदलाव किया जाता है, जिसके कारण परीक्षा देने के बाद भी परिणामों को लेकर अनिश्चितता की स्थिति लंबे समय तक बनी रहती है।
नियुक्ति के बाद भी भरोसा नहीं, नौकरी रहेगी या जायेगी
जो लोग सरकारी विद्यालयों शिक्षक पद पर स्थायी रूप से नियुक्त हो गए हैं, उनको भी पूरा भरोसा नहीं होता कि जिस भर्ती प्रक्रिया से होकर वे आए हैं, वह रद्द होगी या फिर उसको कोर्ट में कोई चुनौती नहीं दी जा सकती है। नई शिक्षा नीति का निर्धारण करते समय इन बातों पर जरूर ध्यान देने की जरूरत है ताकि ज़मीनी स्तर पर स्थितियों को संभाला जा सके।
लेकिन इनका कोई समाधान नई शिक्षा नीति के मसौदे में नहीं है। ऊपर से भर्ती प्रक्रिया को कई चरणों में पूरा करने का प्रस्ताव किया जा रहा है। शायद इसी कारण से भावी शिक्षकों व बीएड व बीटीसी की पढ़ाई करने वाले स्टूडेंट्स की तरफ से इसका मुखर विरोध किया जा रहा है कि इंटरव्यु और जिला स्तर पर चीज़ों को छोड़ने से पारदर्शिता में कमी आ सकती है व भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिल सकता है। बोर्ड परीक्षाओं व यूनिवर्सिटी की परीक्षाओं में साक्षात्कार के नाम पर स्टूडेंट्स को दबाने और सवाल पूछने वाले स्टूडेंट्स के अंक काटने की धमकी देने व परीक्षा परिणाम बिगाड़ने के नाम पर परेशान करने की खबरें आए दिन आती रहती हैं, इन बातों का संज्ञान ऐसे प्रस्ताव बनाते समय नहीं रखा गया होगा, ऐसा कहा जा सकता है।
एक सवालः शिक्षकों की रूचि और उत्साह की वजहें क्या प्रतिभागी के भीतर ही होती हैं। या फिर उसका बाहरी परिवेश और माहौल से भी कोई रिश्ता है? यह सवाल भी ड्राफ्ट पॉलिसी के इस हिस्से को पढ़ते हुए मन में आता है।
अब शिक्षकों के उत्साह और रुचि की बात करते हैं। क्या यह कोई ऐसी चीज़ है जो आजीवन बनी रहती है। या जिसका दस मिनट या पंद्रह मिनट के साक्षात्कार में पता लगाया जा सकता है। इसके साथ ही साथ इस बात की गारंटी ली जा सकती है कि अगले 30-35 सालों तक इस उत्साह और रुचि में कोई कमी नहीं आएगी। अगर शिक्षकों के उत्साह और रुचि में नियुक्ति के बाद कोई कमी आती है तो शिक्षा विभाग को उसके लिए जिम्मेदार माना जाएगा कि शिक्षण का माहौल और स्कूली व्यवस्था शिक्षकों की रूचि और उत्साह को बनाए रखने में विफल रही है।
क्या कहते हैं भावी शिक्षक?
इस बारे में ट्विटर यूजर शिप्रा कौशिक लिखती हैं, “शिक्षकों की गुणवत्ता की परख के लिए आपने साक्षात्कार का तरीका गलत अपनाया है। इससे योग्यता की परख नहीं हो पाएगी। बहुत सी बाधाओं का सामना करने अगर परीक्षा पास भी कर लेंगे तो फिर इंटरव्यु से बिना वजह बाहर निकाले जाएंगे। सोचिए जरा।”
अक्षय पांडेय लिखते हैं, “नई शिक्षा नीति में साक्षात्कार और डेमो का विरोध होना चाहिए वर्ना पदों की बिक्री बहुत ऊंचे दामों पर होगी। वैसे भी कोई भर्ती बिना धांधली व घोटाले के नहीं होती।”
मोहम्मद महरूफ़ ने कहा, “शिक्षक भर्तियों में साक्षात्कार का समायोजन भ्रष्टाचार में इजाफा कर सकता है। जबकि प्रशिक्षण में दो वर्ष के समय में सभी मापन एवं मूल्यांकन किये जा चुके हैं जिसमें चार महीनों का अध्यापन कार्य भी शामिल है। ऐसी स्थिति में 5-7 मिनट के स्क्रीनिंग की क्या आवश्यकता है?”
दशरथ कुर्दिया लिखते हैं, “नई शिक्षा नीति के ड्राफ्ट 2019 में साक्षात्कार और डेमो क्लास से भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद और पैसावाद को बढ़ावा मिलेगा। इससे गरीब, बेरोजगार के साथ धोखा होगा फिर उसकी कौन सुनेगा। इसलिए साक्षात्कार और डेमो क्लास के बाद चयन का विरोध करता हूँ।”
इस बारे में अनिल खेतलान ने कहा, “इंटरव्यू पूरी तरह से पहले ही खत्म किया जा चुका है तो इंटरव्यू पूरी तरह से खत्म होना चाहिए क्योंकि यह भ्रष्टाचार को चरम सीमा तक बढ़ाने का कार्य करेगा। बीआरसी पर होने वाला डेमो अधिकारियों के लिए सिर्फ भ्रष्टाचार का एक जरिया बन जाएगा। तीन साल का प्रोवेशन का टाइम नहीं होना चाहिए उसको एक साल का ही रहना चाहिए।”
TET ishi liye hota iska virodh hoga anyatha teacher pado ko bencha jayaga.
TET ishi liye hota hai iska virodh kare anyatha Teacher pado ko achhe damo me becha jayega.
शिक्षक भर्तियों में साक्षात्कार का समायोजन भ्रष्टाचार में इजाफा कर सकता है। जबकि प्रशिक्षण में दो वर्ष के समय में सभी मापन एवं मूल्यांकन किये जा चुके हैं जिसमें चार महीनों का अध्यापन कार्य भी शामिल है। ऐसी स्थिति में 5-7 मिनट के स्क्रीनिंग की क्या आवश्यकता है?”
Nmste . I’m kiran sharma
Mere liy teacher bnana ak gorvpurn bat hogi but sir aapse ak hi anurodh h ki 5steap nhi dekar aap 2 steap hi rkh le aap chaho to en 2step ko bhi hard se hard bna do TET or third gread option thik tha but interview to belkul bhi mat rkho sir kyoki ak teacher vecancy ko etna hard bna doge to students teacher bnene ke bjay ptavar garmsevk police etc. Bnana jayda like krenge but teacing ko koi bhi NHI chunega .. .or teacher to ak desh ka nirman karta h har bcche ka future ak teacher ke hatho m hi so plz. . I’m request u teacher vacancy ke5step nhi dekar 2step hi dejiy.. .. .. .. .. Ak request or h meri ki graduation ke marks count na krke only teacher vacancy ki merrit ke aadhar pr hi students ki niukti kre .. .. .. …bs ak hi apil h aap se