Trending
-
September 19, 2022 in शिक्षा //
उत्तर प्रदेश में ‘स्कूल रेडिनेस’ कार्यक्रम के फ़ायदे क्या हैं?
-
August 14, 2022 in शिक्षा //
आज़ादी के 75 साल: ‘नामांकन की प्रगति को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के माध्यम से सफल बनाने की है जरूरत’
-
May 26, 2022 in सुर्ख़ियों में शिक्षा //
समझकर पढ़ने और मौखिक अभिव्यक्ति कौशल को बेहतर बनाता ‘पठन अभियान’
-
March 5, 2022 in सुर्ख़ियों में शिक्षा //
सर्वे पर आधारित लेख: कोविड-19 के दौर में ऑनलाइन पढ़ाई की ज़मीनी वास्तविकता क्या थी?
-
January 1, 2022 in सुर्ख़ियों में शिक्षा //
शिक्षा के क्षेत्र में नये वर्ष 2022 की चुनौतियां और संभावनाएं क्या हैं?
-
November 22, 2021 in बाल संसार //
बचपन की एक रोमांचक याद – हिमानी लोहनी
-
October 18, 2021 in भाषा शिक्षण //
रेखा चमोली: प्राथमिक स्तर पर भाषा शिक्षण में समावेशन के मसले- पार्ट-1
-
September 5, 2021 in शिक्षा //
भाषा शिक्षणः कविता के माध्यम से बच्चों को पढ़ना-लिखना कैसे सिखाएं?
-
August 11, 2021 in लायब्रेरी //
उपासना: ‘बाल साहित्यकार एनिड ब्लाइटन का सफ़रनामा’
-
August 9, 2021 in मैं शिक्षक हूं //
‘तोत्तो चान’ किताब पढ़ते हुए इस स्कूल को देखने की इच्छा प्रबल हो जाती है’
- जब हम उसे अपने पूर्व अनुभव (संदर्भ) से जोड़ते हैं। इस तरह के पढ़े गए पाठ या फिर किसी वास्तविक जीवन अनुभव से तो फिर हम अर्थ का निर्माण करते हैं।
- जब हम खुद किसी कहानी के किसी पात्र से खुद को जोड़ते हैं
- जब हम उस सामग्री को पढ़ते हैं और उसके ऊपर सोचते हैं, इसके साथ ही साथ अपने सवालों को रेखांकित करते हैं। उनपर सोचते हैं। लेखक की पृष्ठभूमि और वह किसके लिए लिख रहा है इस बारे में सोचते हैं
- जब हम पढ़ी हुई सामग्री पर रिफलेक्शन करते हैं
- किसी से पढ़ी हुई सामग्री पर बात करते हैं, जिसने वह सामग्री पहले से पढ़ रखी है तो फिर अर्थ का निर्माण होता है।
- अर्थों की कई परते होती हैं। कई बार जो बात कही जा रही है वही अर्थ होता है। कई बार बात जो कही जा रही है, वह कहीं और संकेत करती है तो अलग-अलग तरह की सामग्री जिसे हिन्दी में अविधा, लक्षणा और व्यंजना कहते हैं उससे रूबरू होते हैं तो हम अपने शब्दों का अर्थ खोज पाते हैं। अपने भावों को व्यक्त करने के लिए सटीक वाक्यांश व पैराग्राफ का सृजन कर पाते हैं
- अर्थ निर्माण की प्रक्रिया स्व के अनुभव व रिफलेक्शन पर काफी हद तक निर्भर करती है कि हम किसी सामग्री में कितनी गहराई तक उतरकर उसे समझने की कोशिश कर रहे हैं। साथ ही साथ उसे अपने जीवन के अनुभवों से कैसे जोड़ पा रहे हैं।
Like this:
Like Loading...
Related
इस लेख के बारे में अपनी टिप्पणी लिखें