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बाल दिवस और बंटी

 कविता पुनेठा उत्तराखंड के आरम्भ स्टडी सर्किल की सदस्य हैं। लाइब्रेरी से नियमित किताबें पढ़ना और समाज के विभिन्न मुद्दों पर चिंतन करना उनरी रोज़मर्रा की ज़िंदगी का हिस्सा है। क्या बाल दिवस सिर्फ़ स्कूल जाने वाले बच्चों के लिए होता है, इसी सवाल पर सोचते हुए उन्होंने एक छोटा सी टिप्पणी एजुकेशन मिरर के लिए लिखी है।

आज मेरा मन बहुत खुश है, जल्दी स्कूल पंहुचना चाहता है। वहाँ होने वाले कार्यक्रमों और शिक्षकों द्वारा दिए जाने वाले उपहारों और चॉकलेटों का मज़ा भी लेना चाहता है। ऐसा हो भी क्यों न आज बाल दिवस जो है। यह एक पूरा दिन हमारा है। किसी भी बच्चे के लिए यह दिन कोई उत्सव से कम नहीं। यही सब सोच के खुशी से स्कूल जाते समय बंटी दिख गया।

बंटी अपनी पड़ोस वाली गली में रहता शाम को अक्सर हमारे साथ खेलने भी आ जाता। मुझे देखकर अचानक बोल पड़ा, अरे तुम आज स्कूल का बैग क्यों नहीं ले जा रहे? तो मैंने उसकी खिल्ली उड़ाते हुए कहा पागल है क्या, आज तो बाल दिवस है। आज बैग का क्या काम। आज तो टीचर हमें उपहार और खूब सारी मिठाईयां देंगे। आज तो पूरा दिन स्कूल में मौज ही मौज है।

मुझे इतना खुश देख वो भी उत्साहित होने लगा ओर बोला अच्छा बाल दिवस ऐसा होता है और क्या- क्या होता है इस दिन? उसके यह प्रश्न सुन मैं सोच में पड़ गया कि इसे तो बाल दिवस के बारे में कुछ नहीं पता तभी बंटी बोला कि बाल दिवस क्या सिर्फ स्कूल में ही होता है? अगर बाल दिवस है तो यह हर बच्चे के लिए क्यों नहीं होता? मुझे तो बाल दिवस में किसी ने कोई उपहार नहीं दिया। न किसी ने मुझे आज मौज मस्ती करने की इजाज़त दी। मैं जहां काम करता हूँ वहां और भी बच्चे काम करते हैं, क्या यह दिन हमारे लिये नहीं बना? उसके इन प्रश्नों का मेरे पास कोई जवाब नहीं रहा।

(एजुकेशन मिरर अब टेलीग्राम पर भी उपलब्ध है। यहां क्लिक करके आप सब्सक्राइब कर सकते हैं। एजुकेशन मिरर के लिए अपनी स्टोरी/लेख भेजें Whatsapp: 9076578600 पर, Email: educationmirrors@gmail.com पर।)

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