बच्चे की उम्र 6 साल हो, तभी दें पहली कक्षा में प्रवेश
सरकारी स्कूल में पढ़ाने वाले शिक्षकों को हर साल बच्चों के नामांकन का लक्ष्य दिया जाता है। राजस्थान में इस साल एक शिक्षक को 20 बच्चों को स्कूल से जोड़ने का लक्ष्य दिया गया है।
यानि अगर किसी स्कूल में आठ शिक्षक हैं तो उस स्कूल में 160 बच्चों का नामांकन करना चाहिए। हर साल ऐसा न करने की स्थिति में कार्रवाई करने की बात कही जाती है, मगर वास्तव में कुछ नहीं होता। क्योंकि पूरे राज्य में सैकड़ों ऐसी स्कूलें हैं जहाँ पूरे स्कूल में 30 बच्चे भी नहीं हैं।
मगर इसी डर के चलते बहुत से स्कूलों में कम उम्र के बच्चों का नामांकन हो जाता है। ऐसे में शिक्षकों को ध्यान रखना चाहिए कि पहली कक्षा में प्रवेश लेने वाले बच्चे की उम्र छह साल से कम न हो। दूसरी बात; अभिभावकों द्वारा बच्चे के प्रवेश के लिए ग़लत उम्र तो नहीं बताई जा रही है, इस पर भी ग़ौर करें। तीसरी बात; अगर अभिभावक किसी कम उम्र के बच्चों का प्रवेश करने के लिए दबाव डालते हैं तो उनको समझाएं कि पहली क्लास में किसी छोटे बच्चा को प्रवेश देने के क्या-क्या नुकसान होते हैं।
पहली कक्षा के अनुभवों पर बात करें
इसके लिए अपनी पिछली क्लास के अनुभव उनसे साझा कर सकते हैं। मसलन पूरे सत्र के बाद भी बच्चे का अधिगम स्तर अपेक्षा के अनुरूप नहीं बढ़ा। छोटे बच्चों को पहली क्लास में पढ़ने वाले अन्य बड़े बच्चों के साथ समायोजन में परेशानी होती है। स्कूल में लंबे समय तक उनके लिए बैठना मुश्किल होता है।
सरकारी स्कूल में पहली क्लास के बच्चों की भी छुट्टी बाकी बच्चों के साथ ही होती है। स्कूल का समय काफी बढ़ गया है, ऐसे में आपका बच्चा परेशान हो जायेगा। अगर आपने छोटे बच्चे का पहली क्लास में प्रवेश करवा दिया तो वह साल-दर-साल आगे बढ़ता चला जायेगा। ऐसे में आपका बच्चा कक्षा के अनुसार दक्षताओं का विकास न करने के कारण वह बाकी बच्चों से पीछे बना रहेगा।
ऐसे में बेहतर होगा कि आप अपने बच्चे को कुछ घंटे के लिए आँगनबाड़ी में भेजें, इस तरह की बात उन अभिभावकों के साथ की जा सकती है जो कम उम्र के बच्चों को स्कूल में प्रवेश देने के लिए दवाब डालते हैं।
नियमित स्कूल आने का महत्व बताएं
इसके साथ ही अन्य अभिभावकों से बच्चों को नियमित स्कूल भेजने के बारे में बात करें। उनको बतायें कि रोज़ स्कूल आने और सीखने के बीच क्या रिश्ता है? अगर संभव हो तो पिछले साल की कुछ कॉपियों का उदाहरण लें। इससे अभिभावकों के बीच एक संदेश जायेगा कि बतौर शिक्षक आप अपनी भूमिका की परवाह करते हैं।
सबसे आखिर में एक और जरूरी बात कि किसी भी तरह के दबाव में छोटी उम्र वाले बच्चे को प्रवेश न दें। अगर कोई ऐसा दबाव डालता है तो बतायें कि आरटीई या शिक्षा के अधिकार कानून के मुताबिक हम छह साल से कम उम्र वाले किसी बच्चे को स्कूल में प्रवेश नहीं दे सकते हैं।
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