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राजस्थानः नए सत्र में 234 दिन चलेगी स्कूल, शिक्षकों को मिलेंगी 131 छुट्टियां

पठन कौशल का विकास, पढ़ने की आदत, भारत में प्राथमिक शिक्षा की स्थिति, अर्ली लिट्रेसीराजस्थान में नए शैक्षणिक सत्र में 234 दिन स्कूल खुलेगी। यह आदेश सरकारी और निजी दोनों विद्यालयों के लिए है। अध्यापकों को 75 दिन के राजकीय अवकाश और 56 रविवार मिलाकर कुल 131 दिन की छुट्टियां मिलेंगी।

यह आदेश सरकारी और निजी दोनों तरह के स्कूलों के लिए है। राज्य सरकार द्वारा जारी शिविरा पंचांग पर विभिन्न संस्थाओं, शिक्षकों, शिक्षाविदों व बच्चों से 15 मई तक सुझाव आमंत्रित किये गये हैं। इसके बाद हो सकता है कि इसमें थोड़ा-बहुत संसोधन हो सकता है।

समय में कोई बदलाव नहीं

स्कूलों का समय गर्मियों में सुबह आठ बजे से दोपहर 2.10 तक रहेगा। सर्दियों में स्कूलें सुबह 9.30 से 3.40 तक चलेंगी। शिक्षकों द्वारा गर्मियों में स्कूलों के समय को लेकर बार-बार विरोध किया जा रहा है कि इस समय को थोड़ा पहले किया जाए और बच्चों की पहले छुट्टी की जाये ताकि वे अपनी दिनचर्या को व्यवस्थिति ढंग से संचालित कर सकें। मगर इससे जुड़े किसी भी सुझाव को स्वीकार नहीं किया गया है।

सुबह वाले समय के कारण महिला शिक्षिकाओं को ज्यादा परेशानी होती है। उनको सुबह परिवार के लिए खाना बनाने के बाद स्कूल जाना होता है। स्कूल से आने के थोड़ी देर बाद फिर शाम के खाने की तैयारी में लगना होता है।

वहीं अन्य शिक्षकों का कहना है कि इससे हमारे खाने की रूटीन बिगड़ जाती है। दोपहर का भोजन देर से होने के कारण शाम को जल्दी भोजन करना मुश्किल होता है। ऐसी व्यावहारिक समस्याओं का समाधान सरकार को करना चाहिए, मगर ऐसी बातें शायद सुझाव के रूप में पेश नहीं की जातीं। इसीलिए इनका समाधान भी नहीं होता है।

साल भर चलेगी प्रवेश प्रक्रिया

कक्षा एक से आठवीं तक शिक्षा के अधिकार कानून के तहत किसी भी समय प्रवेश ले सकेंगे। वहीं 9वीं से 12वीं तक के लिए प्रवेश परीक्षा की आखिरी तिथि 15 जुलाई 2016 रखी गई है। प्राथमिक कक्षाओं में प्रवेश की इस प्रक्रिया का असर बच्चों के सीखने पर पड़ता है। उदाहरण के तौर पर अगर किसी बच्चे का पहली कक्षा में एडमीशन नवंबर या दिसंबर में होता है तो उसके सीखने की रफ्तार बाकी बच्चों से कम होती है। ऐसी स्थिति में वह अगर उसके ऊपर विशेष ध्यान न दिया जाये तो वह बाकी बच्चों की तुलना में पीछे रह जाता है।

बीच में प्रवेश देने से फायदा या नुकसान?

जुलाई के समय पहली कक्षा के ज्यादातर बच्चे एक स्तर पर होते हैं। वे स्कूल में आना, बैठना, छुट्टी मांगकर बाहर जाना, पढ़ना, लिखना, सवालों का जवाब देना, सवाल पूछना, किताबें पकड़ना, किताबों को उल्टा-सीधा रखना सीख समझ रहे होते हैं। पेन पकड़ना और लिखने की पहली कोशिश भी बहुत से बच्चे पहली कक्षा में ही शुरु करते हैं। ऐसे में देर से प्रवेश होने वाले छात्रों का नुकसान होता है। ऐसे बच्चों का प्रवेश अगर पहली कक्षा में होता है तो भी अगले साल उनको पहली कक्षा में पढ़ने की अनुमति देनी चाहिए ताकि वह बच्चा उस कक्षा के अनुरूप अपनी दक्षताओं का विकास कर सके।

कम उम्र के बच्चों को क्रमोन्नत करने का फैसला भी स्कूल के स्तर पर प्रधानाध्यापक व कक्षाध्यापक द्वारा किया जाना चाहिए ताकि बच्चा आगे भी पढ़ाई जारी रख सके। अगर वह किताबें नहीं पढ़ पाएगा, क्लासरूम में क्या पढ़ाया जा रहा है? यह नहीं समझ पायेगा तो उसके लिए पहली कक्षा या किसी भी क्लास में बैठना मुश्किल होता है। हमें इस मनोवैज्ञानिक पहलू पर भी ग़ौर करना चाहिए।

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