वाराणसी के एक ब्लॉक में ‘शैक्षिक नेतृत्व’ ने लिखी बदलाव की कहानी

बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारी अगर शिक्षकों के काम में रुचि लें और खुद से प्रेरित होकर स्वतः प्रयास करने वाले शिक्षकों को प्रोत्साहित करें, तो बदलाव का जो सिलसिला शुरू होता है दूर तक जाता है। इसी की मिशाल हैं वाराणसी ज़िले के चिरईगाँव ब्लॉक के खण्ड शिक्षा अधिकारी रवि शंकर यादव। उन्होंने चिरई गाँव के विभिन्न स्कूलों के शिक्षकों को अपने काम को साझा करने और उसके बारे में बताने का अवसर दिया ताकि शिक्षक सीधे उनतक अपनी बात पहुंचा सकें।

‘शैक्षिक मेले’ में सफलता की रणनीति

जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट), वाराणसी की तरफ से आयोजित ‘शैक्षिक मेले’ में चिरई गाँव ब्लॉक को प्रथम स्थान मिला। इसके बारे में बताते हुए खण्ड शिक्षा अधिकारी रवि शंकर यादव कहते हैं, “इस मेले की रूपरेखा स्पष्ट होने के बाद हमने तय किया कि हमारी टीम इस मेले में हिस्सा लेगी और मुझे अपनी टीम को प्रोत्साहित करने के लिए जाना है। इसके लिए हमने उन शिक्षकों को जोड़ा जो अच्छा काम कर रहे हैं, संकुल प्रभारी व अन्य शिक्षकों के सहयोग से 20 लोगों की टीम बनाई, जिसने ‘शैक्षिक मेले’ में चिरई गाँव ब्लॉक के काम को प्रदर्शित करने की जिम्मेदारी ली।”

उन्होंने आगे कहा, “इस आयोजन के पहले लग रहा था कि मेरे ब्लॉक में बहुत ज्यादा काम नहीं हो रहा है, लेकिन दूसरे दिन जब मेरे ब्लॉक के अन्य शिक्षक इस मेले को देखने के लिए पहुंचे और ब्लॉक को प्रथम स्थान मिला तो लगा कि अपने ब्लॉक में बहुत सारी चीज़ें हो रही हैं, जिनको प्रोत्साहित करने और सामने लाने की जरूरत है। शिक्षकों से सीधे जुड़ने की रणनीति और शिक्षकों के अच्छे प्रयासों इस उपलब्धि का श्रेय जाता है।”

शिक्षकों की ‘प्रतिभा खोज’ का अभियान

हम ब्लॉक स्तर पर उन शिक्षकों को खोजने का अभियान चला रहे हैं जो वास्तव में अच्छा काम कर रहे हैं। पहला चरण अच्छे शिक्षकों को खोजने और उनको एक समूह के माध्यम से आपस में जोड़ने का है। यह समूह पढ़ाई, शैक्षिक नवाचार, टीएलएम निर्माण जैसी चीज़ों के बारे में सक्रियता से अपने विचार साझा कर रहा है। इससे खुद से प्रयास करने वाले अन्य शिक्षकों के सामने काम के माध्यम से जुड़ने का विकल्प मिला है। जब सभी संकुल में 15-20 ऐसे शिक्षकों की टीम बन जायेगी तो हम संकुल स्तर पर ऐसी बैठक करेंगे, जहाँ शिक्षकों से बच्चों के शैक्षिक स्तर को बेहतर बनाने के लिए मिलकर प्रयास करेंगे।

उन्होंने बताया, ” मेरे 10 साल का अनुभव कहता है कि शिक्षा क्षेत्र में केवल दबाव व भय से चीज़ें नहीं बदलतीं। एससीईआरटी-स्टर के शिक्षकों को प्रेरित करने वाले कांसेप्ट को ग़ौर से देखने व समझने से काफी मदद मिली। इससे मैंने ऐसे शिक्षकों की तलाश शुरू की जो अपने-अपने स्तर पर काम कर रहे हैं, पर कई कारणों से आगे नहीं आ पा रहे हैं तो उनको आगे लाने का प्रयास शुरू किया गया। ऐसे शिक्षकों के प्रोत्साहन से उनको काम करने दोगुनी ऊर्जा मिली। इसका असर अन्य शिक्षकों पर भी पड़ रहा है।”

2 Comments

  1. Virjesh Singh March 7, 2018 at 3:34 pm

    Thank you so much. Such positive efforts and innovative ideas needs our due attention and encouragement.

  2. Very well coptured. Really appreciated!

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