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क्या आप भी बच्चों की सक्रिय भागीदारी को अनदेखा करते हैं?

20180409_1707331968328550.jpgआप कैसा महसूस करते हैं, “जब आपके सहकर्मी किसी काम के सिलसिले में आपकी राय को कोई महत्व नहीं देते। आपको महत्वपूर्ण फैसलों की प्रक्रिया का हिस्सा नहीं बनाते। आपकी मौजूदगी को लेकर बहुत ज्यादा उत्साहित नहीं महसूस करते। आपके हेलो का जवाब नहीं देते।” इन सवालों के बारे में अधिकांश लोगों की प्रतिक्रिया होगी कि वे अच्छा नहीं महसूस करते हैं या फिर उन्हें बुरा लगता है।

ठीक यही बात बच्चों के बारे में भी लागू होती है। बच्चे चाहते हैं कि उनको शिक्षक की तरफ से जिम्मेदारी मिले। उनकी तरफ शिक्षक का ध्यान आकर्षित हो। शिक्षक उनके सवालों को गंभीरता से सुनें, उसका जवाब दें। शिक्षक अगर कुछ कर रहे हैं तो उसमें उकी मदद लें,ताकि वे भी अपनी सक्रिय उपस्थिति दर्ज़ करा सकें।

बच्चे सक्रिय भागीदारी चाहते हैं

यह बात ग़ौर करने वाली है, “शिक्षा के क्षेत्र में बदलाव की उम्मीदें तब दम तोड़ने लगती हैं, जब बच्चों की भागीदारी को अनदेखा किया जाता है। शिक्षक अपनी जिम्मेदारी को शिक्षण तक सीमित कर लेते हैं। ऐसे माहौल में एक कुशल नेतृत्व की जरूरत महसूस होती है जो यथास्थिति को गति देने के लिए खुद पहल करें व सबकी भागीदारी लें।”

हमारे चिंतन के केंद्र में जब बच्चे होते हैं तो हमारे फ़ैसले उनकी भागीदारी और उनकी मौजूदगी को अनदेखा करने वाले नहीं हो सकते हैं। हम सही सवालों तक पहुंचते हैं और सही सवाल हमें जवाब खोजने की एक सटीक दिशा देते हैं। उदाहरण के तौर पर क्लासरूम किसका है? जाहिर सी बात है कि बच्चों का। तो क्या ऐसे में बच्चे को हमेशा क्लास में आने से पहले शिक्षक से पूछना चाहिए, या फिर बग़ैर अनुमति के सीधे अपनी सीट पर आकर बैठ जाना चाहिएं? जाहिर सी बात है  कि बच्चों के स्वतंत्र व्यक्तित्व के पक्षधर उनके बार-बार पूछने वाली बात को खारिज करके, बच्चों की स्वायत्तता को ज्यादा महत्व देंगे।

बच्चों के भीतर नेतृत्व कौशल का विकास करने के लिए जरूरी है कि हम उनको जिम्मेदारी नागरिक के रूप में देखें। उनके विचारों को महत्व दें। उनके विचारों पर चिंतन करने का अवसर दें। उनके विचारों पर सवाल खड़ा करें और खुद से जवाब खोजने के लिए प्रोत्साहित करें, जाहिर सी बात है कि ऐसे माहौल की तैयारी बड़ों से भी अलग तरह के व्यवहार, जवाब और प्रतिक्रिया की उम्मीद करेगी। इसकी तैयारी हम बड़ों को करनी होगी,ताकि हम बच्चों को 21वीं सदी की चुनौतियों का सामना करने और समाधान करने के लिए तैयार कर सकें।

(एजुकेशन मिरर की यह पोस्ट से पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया। बतौर शिक्षक बच्चों की भागीदारी बढ़ाने के लिए आप क्या करते हैं? इस टॉपिक पर आप और क्या सोचते हैं, लिखिए अपनी टिप्पणी कमेंट बॉक्स में, अपने नाम के साथ।)

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