भाषा शिक्षण सिरीज़ः बच्चों के साथ परिचय, बालगीत और खेलगीत से करें शुरुआत
भाषा शिक्षण की शुरूआत कैसे करें? बहुत से शिक्षक साथियों के सामने यह सवाल आता होगा? अगर आपके मन में ऐसे सवाल आते हैं तो यह लेख आपके लिए है। विद्यालय में बच्चे अपनी भाषा की एक समझ और व्याकरण के साथ आते हैं। वे सुनकर समझना और सुने हुए समझकर बोलना या अपनी बात कहना। चीज़ों को देखकर उनका नाम बताना और बहुत सारे खेलों को सीखकर विद्यालय में आते हैं।
बच्चों के इस पूर्व ज्ञान को जो उनकी स्थानीय या घर की भाषा में होता है। आपको एक संसाधन के रूप में देखना चाहिए। पहले दिन से ही बच्चे आत्मविश्वास के साथ कक्षा में होने वाली गतिविधियों में शामिल हो सकें, इसके लिए जरूरी है कि हम बच्चों के साथ बालगीत करें और उनको अपने साथ सहज होने का मौका दें।
बच्चों के साथ बालगीत से शुरूआत करें
मौखिक भाषा के विकास में बालगीतों से बड़ी मदद मिलती है। बच्चों की मौखिक भाषा का विकास जितना बेहतर होता है, बच्चों के लिए पढ़ना सीखने की प्रक्रिया उतनी ही सुमग होती है और ध्यान देने वाली बात है कि बच्चे इस तरह की प्रक्रियाओं में शामिल होने से समझ व आनंद के साथ पढ़ने के लिए अच्छी तैयारी करने का अवसर प्राप्त करते हैं। एकलव्य और एनसीईआरटी ने बालगीतों के अच्छे संग्रह प्रकाशित किये हैं। उनका इस्तेमाल इस गतिविधि को सुगम और बच्चों के लिए आनंददायी बनाने के लिए किया जा सकता है।
कविताः चार बंदर
चार बंदर आएंगे
जोर-जोर से नाचेंगे
जमकर पूंछ हिलाएंगे
सबका मन बहलाएंगे।
मिट्ठू के घर जाएंगे
खूब रोटियां खाएंगे
रोटी खा वे उछल-उछल कर
जमकर उधम मचाएंगे।
मिट्ठू जी के पापा बोले
इतने बंदर कहां से आएं
मिट्ठू जी की मम्मी बोली
हम नहीं लाए, हम नहीं लाए।
मिट्ठू जी की चाची बोलीं
इतने बंदर कहां से आए
मिट्ठू जी के चाचा बोले
हम नहीं लाए, हम नहीं लाए।
मिट्ठू जी के दादा बोले
इतने बंदर कहां से आए
मिट्ठू जी की दादी बोली
मिट्ठू लाया, मिट्ठू लाया।
स्थानीय भाषा/बोली के खेल गीतों का करें इस्तेमाल
इसके साथ ही साथ खेल गीतों का इस्तेमाल भी किया जा सकता है। ताकि बच्चों को हाव-भाव के साथ खेल गीत करने का भी अवसर मिल सके।
जैसे राजस्थान में खेला जाने वाल लोकप्रिय खेल बकरी-बकरी शेर आया, उत्तर प्रदेश में लोकप्रियखेल नेता-नेता चाल बदल, इसके अलावा एक अन्य खेल याद आ रहा है नमस्ते जी।
ऐसे खेलों का इस्तेमाल भी बच्चों को कक्षा-कक्ष में सहज बनाने के लिए किया जा सकता है।
न्यौता
चूहे के घर न्यौता है
देखो क्या-क्या होता है
चिड़ियाचाल लाएगी
बिल्ली खीर पकाएगी
बंदर पान बनाएगा
शेर मामा खाएगा
मुन्ना तू क्यों रोता है
तेरा भी तो न्यौता है।
(यह कविता पराग के वित्तीय सहयोग के एकलव्य संस्था द्वारा प्रकाशित खेल गीतों के संग्रह ‘एक दो दस’ से ली गई है)
पहले दिन के लिए बाल गीत और खेल गतिविधियों का इस्तेमाल करके इसे अगले दिन जारी रखा जा सकता है और नये-नये खेल गीतों का इस्तेमाल किया जा सकता है। अगर आप बच्चों के लिए कविताओं की किताब का पीडिएफ डाउनलोड करना चाहते हैं तो आप एकलव्य संस्था की वेबसाइट के इस लिंक पर क्लिक कर सकते हैं। इस लिंक पर क्लिक करने के बाद आपको कई सारे विकल्प दिखाई देंगे जहाँ से आपको Poems/ कविताएँ का विकल्प दिखाई देगा, आपको यहाँ से आपको कविताओं पर काम करने के लिए पर्याप्त संसाधन मिल जाएंगे।
लॉकडाउन के दौरान आप भी आप इन कविताओं का इस्तेमाल बच्चों के साथ प्रभावशाली ढंग कर लिख सकते हैं।यहाँ पर अभी चार किताबों के पीडिएफ उपलब्ध हैं। बच्चों के साथ शुरूआत करने के लिए सबसे मजेदार किताबों में से एक हैं।
- दूध-जलेबी जग्गग्गा
- फर फर फर उड़ी पतंग
- ऋतुओं का स्कूल
- नई सवारी
बच्चों के साथ बालगीतों और खेल गीतों के सिलसिले को पहले दो-तीन महीने जारी रखें। भाषा कालांश में पढ़ना-लिखना सिखाने वाला काम शुरू करने से पहले इस तरह की गतिविधियों से बड़ी मदद मिलती है। इस प्रक्रिया में बच्चों को बहुत सी कविताएं याद हो जाती हैं जो उनको पढ़ना-लिखना सीखने के दौरान काफी मदद करती हैं।
(लेखक परिचयः वृजेश सिंह पिछले 8-9 सालों से शिक्षा के क्षेत्र में काम कर रहे हैं। आपके पास गाँधी फेलोशिप, बीबीसी हिन्दी, रूम टू रीड इंडिया, स्टर एजुकेशन और टाटा ट्रस्ट्स जैसी संस्थाओं में खबरों की दुनिया के साथ-साथ लिट्रेसी और लाइब्रेरी, शिक्षक अभिप्रेरण (टीचर मोटीवेशन) और लाइब्रेरी कार्यक्रम को लीड करने और उसके क्रियान्वयन को उत्तर प्रदेश में ज़मीनी स्तर पर मजबूत करने का अनुभव है। शिक्षा के क्षेत्र में लगातार चिंतन और लेखन आपकी रोज़ाना की दिनचर्या का अभिन्न हिस्सा है।)
यह सही है कि बाल मन तक पहुँचने के लिए बालगीत और खेल सबसे उत्तम साधन है। आप के इस लेख द्वारा ऐसे ही रोचक बालखेल तथा कविताओं की जानकारी प्राप्त हुई इसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद।