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लेखः शिक्षा के क्षेत्र में कहानियों का महत्व और शैक्षिक उपयोगिता

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कहानी सुनाना सीखने-सिखाने की सबसे पुरानी और शक्तिशाली विधि है। दुनिया भर की संस्कृतियों ने हमेशा से ही विश्वास, परंपराओं और इतिहास को भविष्य की पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए कथाओं / कहानियों का उपयोग किया है। कहानियां कल्पनाशीलता को बढ़ाती हैं , कहानी कहने और सुनने वाले के बीच समझ स्थापित करने के लिए सेतु का काम करती है और बहुसांस्कृतिक समाज में श्रोताओं के लिए समान आधार तैयार करती है।

कहानी सुनाने का उद्देश्य मनोरंजन के साथ साथ समसामयिक जीवन को समझने, उसमें अपनी भूमिका को देखने, पात्रों के बारे में चर्चा के माध्यम से विभिन्न परिस्थितियों को समझने व उसके अनुसार व्यवहार करने की समझ दीर्घकाल में विकसित करना होता है। कहानी सुनने का आनंद सर्वोच्च है और बाकी सारी चीज़ें अनायास ही एक सार्थक प्रयास से पूरी होती जाती है। मनुष्य में मौखिक भाषा के उपयोग से सिखाने , समझाने और मनोरंजन करने की स्वाभाविक क्षमता होती है , इसी कारण से कहानी का उपयोग रोजमर्रा की जिंदगी में बेहद प्रचलित है।

भारत में कहानी सुनाने की परंपरा

कहानी-कथन को “ भाषा , स्वर के उतारचढ़ाव , शारीरिकगति , हावभाव आदि के उपयोग से श्रोताओं के लिए किसी कहानी की घटनाओं और चित्रों को सजीव बनाने की कला के रूप ” में परिभाषित किया जा सकता है। कहानी-कथन का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि कहानी को पूरा करने और उसे फिर से बनाने के लिए श्रोता किस प्रकार से कहानी के दृश्य और विवरण अपने मस्तिष्क में विकसित करते हैं।

भारत के संदर्भों में ,जहाँ बहुसांस्कृतिक समाज है , कहानी स्कूलों में शिक्षण शास्त्र का एक सशक्त माध्यम हो सकती हैं । राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा इस बात की अनुशंसा करता है कि स्कूली ज्ञान को समुदाय के ज्ञान से जोड़ा जाए। विभिन्न समुदायों में ज्ञान के संसाधन के रूप में प्रचलित कहानियां , स्कूल को समुदाय से जोड़ने का एक अच्छा साधन है। कहानियाँ बच्चों को समूह में चुप्पी तोड़ने , समुदाय से सीखने , कहानी लिखने , कहानी की घटनाओं पर आधारित रचनात्मक चित्र बनाने और अर्थपूर्ण सीखने के अनुभव बनाने के लिए प्रेरित करती हैं। स्कूलों में यह महत्वपूर्ण विधा बच्चों के लिए उपयोगी शिक्षण उपकरण है। कहानी के उपयोग से विषयों में भी रोचकता आ जाती है। भाषा का कहानी कहने की कला से स्वाभाविक जुड़ाव होता है । दूसरे विषयों में भी कहानी के उपयोग से जांच पड़ताल / खोजबीन का काम किया जा सकता है।

कहानी क्या है ?

कहानी को परिभाषित करने से पहले एक बात स्पष्ट करना जरूरी है कि जिस प्रकार गीली मिट्टी को अलग अलग रूपों में ढ़ाला जा सकता है , उसी प्रकार हमारी कहानियां भी अपनी प्रकृति , सुनने / पढ़ने वालों और परिस्थिति के अनुसार अपने आप को अलग-अलग रूपों में ढ़ाल सकती हैं।कहानी के कुछ संभावित रूप इस प्रकार हैं : उपन्यास ,कविता,नाटक ,चलचित्र ,संस्मरण , ऑडियो,दृश्य (चित्र) आदि ।

चलिए अपने पहले प्रश्न , ‘कहानी क्या है ?’ पर वापस चलते हैं ।

शुरू करने के लिए हम कह सकते हैं , कहानी किसी यात्रा का वर्णन है। किसी कहानी में हम एक या अधिक पात्रों की यात्रा का अनुसरण करते हैं। ये पात्र किन्हीं बाधाओं को पार करते हुए किसी लक्ष्य को प्राप्त करने में लगे होते हैं। शब्दकोश क्या कहते हैं ?

  1. एक वास्तविक या काल्पनिक कथा
  2. किसी गद्य का छोटा काल्पनिक टुकड़ा
  3. किसी कल्पना या उपन्यास की योजना
  4. तथ्यों का लेखा जोखा
  5. एक समाचार
  6. एक पौराणिक कथा…. आदि आदि

कहानी किसी सच्ची या काल्पनिक घटना का इस प्रकार का वर्णन है जिसमें कहानी सुनने वाला सुनकर कुछ अनुभव करता है या कुछ सीखता है। कहानी जानकारी , अनुभव , दृष्टिकोण या रुख को समझाने का एक माध्यम भी है। हर कहानी के लिए एक कहानीकार और एक सुनने वाला होता है। माध्यम चाहे कोई भी हो , यह जरूरी है कि एक कहानी कहने वाला और एक कहानी को ग्रहण करने वाला होना ही चाहिए।

कहानियां आती कहां से हैं ?

हम सब रोज कहानियां कहते हैं – ज्यादातर अपने आप से। किसी विषय पर अपने विचार बनाने , भविष्य के बारे में कल्पना करने , अपने आप को कुछ याद दिलाने , समझाने आदि के लिए हम अपने आपको कहानी सुनाते हैं। हम सभी के अंदर कहानी सुनाने का एक तंत्र होता है और सामग्री से भरपूर होता है । यही वो जगह है जहां कहानियों का जन्म होता है। इस प्रकार पहले कहानीकार और कहानी के पहले श्रोता हम स्वयं ही हैं।

कहानियों के साथ मेरा अनुभव

अगस्त-2012 से जुलाई-2018 तक छत्तीसगढ़ के चार जिलों बस्तर , सरगुजा , कबीरधाम और महासमुंद के 100 शासकीय प्राथमिक शालाओं के साथ काम करने का मौका मिला। दौरान सत्र 2014-15 और 2015-16 में इस स्कूलों में कहानी-उत्सव मनाया गया। इस उत्सव में गांव के बुजुर्ग / समुदाय के अन्य सदस्यों को कहानी सुनाने के लिए स्कूल में एक निश्चित तिथी पर आमंत्रित किया जाता है । एक सदस्य 8-10 बच्चों के एक समूह को गांव की संस्कृति से संबंधित कहानी सुनाते हैं। बच्चे कहानी सुनकर अपने-अपने समूह में कहानी लिखते हैं और घटनाओं तथा पात्रों की कल्पना कर कहानी का चित्र बनाते हैं।

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इस प्रकार बच्चे समुदाय के मौखिक ज्ञान को लिखित रूप देते हैं और अपने रचनात्मक-संज्ञानात्मक कौशलों के उपयोग से उनका चित्रण करते हैं। ये कहानियां किसी किताब से न होकर सीधे समुदाय से आती हैं जिनमें संस्कृति , समुदाय , पर्यावरण , इतिहास , भूगोल इत्यादि का समृद्ध ज्ञान शामिल होता है और जो बच्चों के जाने-पहचाने संदर्भों / प्रसंगो से जुड़ा होता है। इस गतिविधि में एक तरफ जहां बच्चों ने कहानी के लेखक और चित्रकार के रूप में कहानी-उत्सव का आनंद लिया , वहीं समुदाय के सदस्यों को स्कूल में बच्चों की अकादमिक गतिविधि में शामिल होने की पहचान मिली और उन्होंने बच्चों की भाषायी कौशलों के विकास में मदद की।

कहानी ‘एक उत्सव’ भी है

इस आयोजन से जहां स्कूल और समुदाय की दूरी घटी , वहीं शिक्षक समुदाय में एक नयी चर्चा शुरु हुई कि सामुदायिक-ज्ञान स्कूली-ज्ञान का आधार है और समुदाय के सांस्कृतिक प्रसंगो की मदद से भाषा , विज्ञान , सामाजिक जीवन आदि का ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है।

कहानी-उत्सव के आयोजन के पश्चात स्कूलों में बहुत सी सामुदायिक कहानियां और उनसे संबंधित चित्र उपलब्ध हुए जो दीवार-पुस्तिका , बड़ी और छोटी किताब , आदि बनाने के लिए उपयोगी साबित हुए। साथ ही बच्चों की रचनात्मक प्रतिभा उनके स्कूल की गतिविधियों का हिस्सा बनीं।

दो वर्षों तक कहानी-उत्सव का आयोजन 100 स्कूलों में किया गया जिसमें करीब 20000 बच्चों ने भाग लिया और समुदाय के करीब 500 सदस्यों ने बच्चों को कहानियाँ सुनायी। लगभग 5000 कहानियों का दस्तावेजीकरण बच्चों द्वारा किया गया । सरगुजा जिले के अंबिकापुर ब्लॉक के प्राथमिक शाला बढ़नीझरिया की कुन्ती द्वारा लिखी गयी कहानी और उसके चित्र का एक उदाहरण नीचे दिया गया है।

(संजय गुलाटी शिक्षा के क्षेत्र में पिछले 21 सालों से काम कर रहे हैं। आपके पास 15 सालों का शिक्षण अनुभव है। अभी आप शिक्षकों के प्रोफेशनल डेवेलपमेंट को लेकर काम कर रहे हैं। आप एजुकेशन मिरर के नियमित लेखक हैं।)

1 Comment on लेखः शिक्षा के क्षेत्र में कहानियों का महत्व और शैक्षिक उपयोगिता

  1. Kahaniya Humari Bhartiya Sankriti hai. Hum bachpan se kahaniya sunte aye hai

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