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राजस्थान के संदर्भ में क्या कहती है ‘असर’ रिपोर्ट?

cropped-how-children-learnदेश में प्राथमिक शिक्षा की दशा-दिशा का जायज़ा लेने वाली प्रतिष्ठित वार्षिक सर्वेक्षण रिपोर्ट – असर 2018, 15 जनवरी, 2019 को  जारी हो गई| असर 2017 में ‘बियॉन्ड बेसिक्स’ के तहत 14 से 18 वर्ष के किशोर-किशोरियों की उन तैयारियों का जायज़ा लिया गया था जो उन्हें एक उपयोगी और उत्पादक वयस्क के रूप में तैयार करती हैं| असर 2018 एक बार फिर ग्रामीण भारत में 3 से 16 वर्ष के बच्चों के स्कूल में नामांकन और 5 से 16 वर्ष के बच्चों की पढ़ने व गणित करने की बुनियादी क्षमताओं पर केन्द्रित है |

शिक्षा क्षेत्र की शीर्षस्थ गैर-व्यावसायिक संस्था ‘प्रथम’ द्वारा कराए जाने वाले असर सर्वे को प्रत्येक ग्रामीण जिलों में स्थानीय सहयोगी संस्थाओं के स्वयंसेवी अंजाम देते हैं | हर वर्ष असर में यह जांच की जाती है कि ग्रामीण भारत के कितने बच्चे स्कूल जा रहे हैं और आसान पाठ पढ़ पाने व बुनियादी गणित करने में कितने सक्षम हैं | 2005, 2007 और 2009 से निरंतर चयनित गांव के एक सरकारी स्कूल का अवलोकन भी असर सर्वे में शामिल किया गया| शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE एक्ट) 2010 के बाद असर सर्वे में उन मापन योग्य मानकों की पड़ताल को शामिल किया गया जो इस क़ानून के तहत हर विद्यालय के लिए बाध्यकारी हैं | 2018 में असर सर्वे के तहत ग्रामीण 15,998 सरकारी स्कूलों का अवलोकन किया गया और राजस्थान में 837 सरकारी विद्यालयों का अवलोकन किया गया |

असर 2018 रिपोर्ट राजस्थान (ग्रामीण) आंकड़े

असर 2018 के दौरान राजस्थान में सभी 33 जिलों में 989 गाँवों के 19,713 घरों में 3 से 16 आयु वर्ग के 34,952 बच्चों का सर्वेक्षण किया गया है|

विद्यालयों की स्थिति: नामांकन और उपस्थिति

  • नामांकन (आयु 6-14): राजस्थान में पिछलें 10 वर्षों से इस आयु वर्ग के लगभग 96% बच्चे विद्यालय में नामांकित है |
  • लड़कियों के नामांकन की स्थिति: 2010 में राजस्थान में 11 से 14 आयु की 12.1% लडकियाँ विद्यालय में नामांकित नही थी, वही इस वर्ष यह आंकड़ा 7.4% रह गए है | इसमें सुधार आया है लेकिन अभी भी भारत की तुलना में राजस्थान व् उत्तर प्रदेश में यह आंकड़े अन्य राज्यों की तुलना में सबसे ज्यादा है |
  • निजी व सरकारी विद्यालयों में नामांकन: 2010 से 2014 तक राजस्थान के निजी विद्यालयों में नामांकन लगातार बढ़ रहा था लेकिन 2016 से राजस्थान के निजी विद्यालयों में नामांकन कम हुआ है, वही सरकारी विद्यालयों के नामांकन में वृद्धि हुई है | 2014 में निजी विद्यालयों में 42.1% बच्चे नामांकन थे, जो 2018 में घटकर 35.8% रह गए | वही सरकारी विद्यालयों में 2014 में 52.2% बच्चें नामांकित थे जिनकी संख्या 2018 में बढकर 60% हो गयी है|

सम्पूर्ण भारत की बात की जाये तो 2018 में 6 से 14 आयु वर्ग के 30.9% बच्चे निजी विद्यालय में नामांकित है |

 पढ़ने की स्थिति: बुनियादी भाषा व गणित

भाषा में पढ़ने की स्थिति: असर में देखा जाता है की 5 से 16 वर्ष के बच्चें अक्षर, शब्द, कक्षा 1 के स्तर के साधारण पैराग्राफ व कक्षा 2 के स्तर की कहानी को पढ़ पा रहे है या वह किस स्तर पर है | बच्चों की जाँच घरों में जाकर एक-एक करके की जाती है |  बच्चे जिस स्तर पर पाए जाते है  उनको उनके उच्चतम स्तर पर मार्क किया जाता है |

  • कक्षा III: पिछले कुछ वर्षों से कक्षा III के बहुत कम बच्चे कक्षा II के स्तर का पाठ पढ़ पा रहे है | हालाँकि 2010 में कक्षा III के ऐसे बच्चे जो कक्षा II के स्तर का पाठ पढ़ पा रहे थे वो 15.7% थे जो 2014 में 21.2% हो गये थे, लेकिन 2014 के बाद इसमें कोई सुधार नही दिख रहा है और 2018 में भी 20.4% बच्चे ही कक्षा II के स्तर का पाठ पढ़ पा रहे है | अभी भी देखा जाये तो कक्षा III के 80% बच्चे अपने स्तर का पाठ नही पढ़ पा रहे है |
  • कक्षा V: कक्षा V में नामांकित लगभग आधे बच्चे अभी भी कक्षा II के स्तर का पाठ पढ़ पा रहे है | ऐसे बच्चों की संख्या 2016 में 54.1%थी, जो 2018 में 49.1% है | 2016 की तुलना में इस वर्ष इसमें गिरावट आई है |

पढ़ने के संदर्भ में अन्य राज्यों की स्थिति क्या है?

2018 में मध्यप्रदेश में ऐसे बच्चों की संख्या 41.6%, उत्तरप्रदेश में 52% और सम्पूर्ण भारत के लिए 50.3% है|सरकारी व निजी विद्यालयों की स्थिति को देखा जाये तो 2018 में राजस्थान के सरकारी स्कुलों के कक्षा V के 39.1% व निजी विद्यालयों के  65.8% बच्चे कक्षा II के स्तर का पाठ पढ़ पा रहे है | 2016 में सरकारी विद्यालयों के लिए यह आंकड़ा 42.5% व निजी विद्यालयों के लिए 69.8% था | 2016 से तुलना की जाये तो सरकारी विद्यालयों की तुलना में निजी विद्यालयों के बच्चों में ज्यादा गिरावट देखने को मिल रहा है |

  • कक्षा VIII: हमारे देश में कक्षा VIII आखिरी वर्ष होता है, बच्चों की प्रारम्भिक शिक्षा पूरी करने के लिए | इस कक्षा के बच्चों से अपेक्षा की जाती है की वो ना केवल बुनियादी क्षमता सीखें बल्कि इस कक्षा में आते आते बुनियादी क्षमताओं के साथ ही उनको अपनी कक्षा के स्तर की क्षमताआ को भी सीखें | असर 2018 के आंकड़ों के अनुसार राजस्थान में जो बच्चे कक्षा VIII में नामांकित है उनमे से 78.3% बच्चे कक्षा II के स्तर का पाठ पढ़ पा रहे है, 2016 में यह आंकड़ा 80.9% था | सम्पूर्ण भारत में 2018 के लिए यह आंकड़ा 72.8 % है |
  • गणित: असर में 5 से 16 आयु के सभी बच्चों की बुनियादी गणित की एक-एक करके जाँच की जाती है और देखा जाता है की क्या बच्चे नंबर पहचान(1-9), संख्या पहचान(10-99), घटाव(2 डिजिट borrowing) व भाग(3 डिजिट में 1 डिजिट का) में कहा तक कर सकते है |
  • कक्षा III: असर 2018 के अनुसार राजस्थान में कक्षा III के 17.3% बच्चे घटाव के सवाल हल कर पा रहे है वही 2016 में यह आंकड़ा 21.5% था | उत्तरप्रदेश के लिए यह आंकड़ा 2018 में 26.6% व मध्यप्रदेश के लिए 13.9% है | सम्पूर्ण भारत के लिए 2018 में यह आंकड़ा 28.1 % है |
  • कक्षा V: असर 2018 के अनुसार राजस्थान में कक्षा V के 46.7% बच्चे घटाव और 23.3% बच्चे भाग कर पा रहे है | 2016 में यह आंकड़ा घटाव के लिए 52.3% और भाग के लिए 28.2% था | 2018 में ऐसे बच्चों की संख्या जो भाग कर सकते है, उत्तरप्रदेश के लिए 29.7%, मध्यप्रदेश के लिए 19.8% और सम्पूर्ण भारत के लिए 27.8% है |
  • कक्षा VIII: राजस्थान में असर 2018 के अनुसार कक्षा VIII के 41.6% बच्चे भाग कर पा रहे है, वही 2016 में यह आंकड़ा 46.8% था | 2016 की तुलना में इसमें गिरावट दिख रही है | वही निजी और सरकारी विद्यालयों के बच्चों की तुलना की जाये तो 2016 में सरकारी विद्यालयों के 39.3% और निजी विद्यालयों के 61.2% बच्चे भाग कर पा रहे थे लेकिन 2018 में सरकारी विद्यालयों के लिए यह आंकड़ा 34.3% और निजी विद्यालयों के 57.8% है|

शिक्षण स्तर: ‘बियॉन्ड बेसिक्स’

असर 2018 में 14 से 16 आयु वर्ग के बच्चों की बोनस टूल द्वारा बुनियादी गणित को दैनिक जीवन में उपयोग करने की क्षमता का पता लगाने के लिए कुछ अन्य सवाल कार्य (सवाल) करवाए गये है| बच्चों से समय गणना, ऐकिक विधि का उपयोग, खरीददारी से संबंधित निर्णय और छूट की गणना पर सवाल पूछे गये है| यह सवाल बच्चों से एक-एक करके पूछे गये है इसके साथ ही जो बच्चे घटाव व भाग कर सकते है उनमें से कितने बच्चे इन सवालों के उत्तर दे पाए उसके आंकड़े दिए गये है|

  • घटाव स्तर वाले बच्चों का प्रतिशत जो यह सवाल कर पाए: असर 2018 के दौरान 14 से 16 आयु के ऐसे बच्चे जो इन सवालों के सही जवाब दे पाए उनका प्रतिशत इस प्रकार है-
ASER 2018 में 14-16 आयु वर्ग के वह सभी बच्चे जो घटाव व भाग स्तर पर है उनमे से जो इन सवालों का सही जवाब दे पायें |
सवाल घटाव स्तर वाले % बच्चे जो सही जवाब दे पायें भाग स्तर वाले % बच्चे जो सही जवाब दे पायें
राजस्थान सम्पूर्ण भारत राजस्थान सम्पूर्ण भारत
समय बताना 34.7 33.7 49.2 47.0
ऐकिक विधि का उपयोग 37.4 36.3 57.7 52.3
खरीददारी से संबंधित निर्णय 26.9 25.6 43.5 37.1
छूट की गणना करना 14.4 14.6 29.1 29.6

 विद्यालय अवलोकन

असर सर्वे के हिस्से के तौर पर, प्रत्येक चयनित गांव में प्राथमिक कक्षाओं वाले एक सरकारी स्कूल का अवलोकन किया जाता है | इस मामले में सरकारी प्राथमिक विद्यालय (कक्षा Iसे VII/VIIIतक) को प्राथमिकता दी जाती है |असर सर्वेक्षण 2018 के दौरान, ग्रामीण राजस्थान के 837 ऐसे सरकारी विद्यालयों में जाकर अवलोकन किया गया है जिनमें प्राथमिक कक्षाएं थी| यह सभी आंकड़े विद्यालय अवलोकन के दिन पाई गयी स्थिति पर आधारित है|

  • 60 से कम बच्चों के नामांकन वाले सरकारी प्राथमिक विद्यालयों (कक्षा I-IV/V)की संख्या में कोई बदलाव नही:ऐसे प्राथमिक विद्यालय (कक्षा I-IV/V) जहाँ बच्चों का नामांकन 60 या 60 से कम है, की संख्या 2016 में 5% थी जो 2018 मे भी 61.4% ही है| इस प्रकार राजस्थान में 61% विद्यालय ऐसे हैं जहाँ बच्चों का नामांकन 60 या 60 से कम है जबकि 2018 में भारत में यह आंकड़ा 43.3% है| 

शिक्षक उपस्थिति और छात्र उपस्थिति की स्थिति 

  • प्राथमिक विद्यालयों (कक्षा I-IV/V)में अध्यापक उपस्थिति 2016 में 85.9% थी जो इस वर्ष घटकर 83.7% हो गई है एवं छात्र उपस्थिति 2016 में 69.7% थी जो 2018 में बढकर 74.1% हो गई है|
  • उच्च प्राथमिक विद्यालयों (कक्षा I-VII/VIII)में अध्यापक उपस्थिति 2016 में 87.1% थी जो इस वर्ष 86.5% पाई गयी है एवं छात्र उपस्थिति2016 में 71.8% थी जो 2018 में बढकर 75.4% हो गई है|

विद्यालय सुविधाओं में लगातार वृद्धि

  • पेयजल: 2018 में राजस्थान के 82.5% विद्यालयों में पीने के पानी की सुविधा उपलब्ध है जबकि2010 में79% विद्यालयों में पीने के पानी की सुविधा उपलब्ध थी| 2018 में सर्वेक्षण के दिन 72.8% विद्यालयों में पीने योग्य पानी उपलब्ध था|
  • शौचालय: असर सर्वे के अनुसार 2018 में राजस्थान के 98.7% सरकारी विद्यालयों में शौचालय की व्यवस्था है परन्तु 13.8% विद्यालयों में शौचालय उपयोग करने योग्य नहीं हैं| अभी भी 2018 मे 4% विद्यालयों में लड़कियों के लिए अलग से शौचालय की व्यवस्था नहीं है|

लड़कियों के लिए उपयोग करने योग्य शौचालय वाले विद्यालयों की संख्या 2010 में 50.3% थी जबकि 2018 में यह आंकड़ा बढ़कर 80.9% हो गया है|

  • पुस्तकालय: राजस्थान में 2010 में 36.3% विद्यालयों में पुस्तकालय की व्यवस्था नहीं थी जो 2018 में घटकर 18.2% हो गयी है| इस प्रकार 2018 में लगभग 82% विद्यालयों में पुस्तकालय उपलब्ध है लेकिन केवल 34.1% विद्यालयों में ही बच्चे पुस्तकालयों की किताबों का उपयोग करते हुए पाये गये|
  • विद्यालय में शारीरिक शिक्षा: असर 2018 सर्वेक्षण के दौरान 51.5% विद्यालयों में शारीरिक शिक्षा के लिए अलग से शिक्षक नियुक्त है| जबकि लगभग 34.2% विद्यालयों में शारीरिक शिक्षा के लिए कोई सत्र नही है|
  • खेल का मैदान: असर 2018 के दौरान 71.2 % विद्यालयों के परिसर में खेल का मैदान है,18% विद्यालयों में परिसर के बाहर खेल का मैदान है लेकिन अभी भी17%विद्यालयों में किसी भी प्रकार का खेल मैदान नही पाया गया|

(नोटः यह जानकारी असर सेंटर के रिसर्च टीम की तरफ से एजुकेशन मिरर के साथ साझा की गई है।)

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