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एजुकेशन टेक्नोलॉजीः ‘प्रतिबद्धता के साथ संचालित ह्वाट्सऐप समूह संवाद के सशक्त माध्यम हैं’

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मैं लगभग एक दर्ज़न से अधिक ह्वाट्सऐप ग्रुप से जुड़ा हुआ हूँ। इसमें से सात-आठ समूह ऐसे हैं जो शिक्षा और शिक्षकों से जुड़े हुए हैं। इन समूहों में शिक्षा को लेकर विभिन्न मुद्दों पर अच्छी चर्चा-परिचर्चा पढ़ने को मिलती है। अपने विचार एक-दूसरे के साथ शेयर करने का अवसर मिलता है। इन समूहों में मुख्य रूप से हैं जश्न ए बचपन जिसके बारे में मैं बताना चाहुंगा कि इसकी स्थापन लॉकडाउन के बाद हमारे एक शिक्षक साथी नवेन्दू मठवाल जी द्वारा की गई। उनके द्वारा शुरू इस समूह में एक सौ से अधिक बच्चे स्कूल व कॉलेजों से जुड़े हुए हैं।

इस समूह में प्रतिदिन अलग-अलग क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञ संवाद करते हैं कला, साहित्य, संगीत, सिनेमा, पर्यावरण, ओरीगैमी, कत्थक आदि क्षेत्रों से जुड़े विशेषज्ञ बच्चों से सीधे संवाद करते हैं। उनके प्रश्नों का उत्तर दिया जाता है। इस समूह में साहित्य से संबंधित संवाद की जिम्मेदारी मुझे सौंपी गई है। इसमें प्रतिभागियों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। शुरू में केवल तीन-चार बच्चे ही सक्रिय थे। कल जब मैंने समीक्षा लेखन को लेकर बात की तो 15 बच्चों ने समीक्षा लिखी। चर्चा और एक-दूसरे की लिखी समीक्षाओं पर टिप्पणी उनके द्वारा दी गई। इसके पहले कविता, कहानी व अन्य बिंदुओं पर बातचीत की गई तो बच्चों की काफी सक्रियता देखने को मिली।

कैसे हो रहा है ह्वाट्सऐप समूहों का रचनात्मक इस्तेमाल

इसकी अच्छी बात यह है कि बच्चे अन्य दिनों में भी लेखन से जुड़े तमाम प्रश्न सामने रख रहे हैं, अपनी जिज्ञासाएं, अपनी रचनाओं को तैयार कर व्यक्तिगत रूप से मैसेज कर रहे हैं। जो किताबें पढ़ रहे हैं उनकी समीक्षा लिख रहे हैं। यात्रा वृत्तांत और कहानियां लिख रहे हैं। इनके ऊपर आवश्यक सलाह और सुझाव बच्चे माँग रहे हैं। यह मंच न केवल साहित्य के कार्य में बल्कि कला की अन्य विधाओं के बारे में बात करने का का अवसर मिल रहा है। बच्चों के साथ देश-दुनिया के अन्य मुद्दों पर भी संवाद हो रहा है। इसके साथ ही बच्चे एक-दूसरे के साथ संवाद कर रहे हैं। अलग-अलग क्षेत्रों में रहने वाले बच्चों का भी आपस में संवाद स्थापित हो रहा है। एक-दूसरे को जानना समझना भी इस समूह की एक उपलब्धि कही जा सकती है।

सिनेमा वाले सत्र में नये-नये फिल्मों को देख रहे हैं। फिल्मों को कैसे देखें, उसकी एक समझ विकसित हो रही है। फिल्म की कहानी के साथ-साथ फिल्म निर्माण की बारीकियों को संजय जोशी से सीख रहे हैं। वे प्रतिरोध का सिनेमा जैसे आयोजन निरंतर करते रहते हैं। बच्चे उनके समर्थ अनुभव का लाभ उठा रहे हैं। इसके साथ ही रंगकर्म व नाटक की बारीकियों के बारे में कपिल शर्मा बता रहे हैं। जाने माने रंगकर्मी जहूर आलम का समर्थन व मार्गदर्शन समूह को मिल रहा है। ओरीगैमी में सुदर्शन रियाल जी, बर्ड वाचिंग, तबला इत्यादि में अन्य साथियों का सहयोग मिल रहा है। आशा है कि लॉक डाउन के बाद भी यह समूह सक्रिय रहेगा, बच्चों के आपस में संवाद का और विशेषज्ञों के आपस में संवाद का सिलसिला जारी रहेगा।

विभिन्न ह्वाट्सऐप समूहों से जुड़ने के अनुभव

अन्य शैक्षिक समूहों में शैक्षिक चौपाल काफी लंबे समय से सक्रिय है। इसमें शिक्षकों के साथ-साथ साहित्य, समाज, राजनीति व अन्य क्षेत्रों से जुड़े हुए हैं। एक अन्य ग्रुप है पढ़ने-लिखने की संस्कृति इसमें शिक्षा और शिक्षा में रुचि रखने वाले व्यक्ति जुड़े हैं जो समय-समय पर पढ़ने-लिखने की संस्कृति को कैसे आगे बढ़ाया जाये। जगह-जगह होने वाले प्रयासों को कैसे शेयर किया जाये और नई किताबों को लेकर जानकारी कैसे लोगों तक पहुंचाया जाये। इसके अलावा एक अन्य समूह शैक्षिक दख़ल पाठक लेखक मंच के नाम से है, यह उन लोगों का समूह है जो शैक्षिक दख़ल पत्रिका से जुड़े हुए हैं। इस मंच में मुख्य रूप से शैक्षिक दख़ल पत्रिका के विविध पहलुओं पर पाठकों व लेखकों की प्रतिक्रियाएं और शिक्षा के विविध मुद्दों पर सक्रिय संवाद होता है। धाद शैक्षिक एकांश नाम का एक समूह है जो स्कूली शिक्षा के क्षेत्र में काम करने वाली संस्था का समूह है। बच्चों के पढ़ने की रचनात्मकता को आगे बढ़ाने का काम इस संस्था द्वारा किया जा रहा है।

यह संस्था स्कलों में पुस्तक का कोना नाम से एक अभियान चलाये हुए है। इसके लिए संस्था द्वारा स्कूलों को 1200 रूपये मूल्य की किताबें दी जाती हैं। एक वर्ष के लिए कोई बाल पत्रिका सब्सक्राइव करवाई जाती है। हरेला और फूलदेई के अवसर पर रचनात्मक माह मनाया जाता है, उस दौरान रचनात्मक गतिविधियां की जाती हैं। इसका सूचना भी ह्वाट्सऐप के माध्यम से शेयर की जाती है। इससे लोगों को नये विचार मिलते हैं और बच्चों की रचनात्मकता को शेयर करने का मंच प्रदान करता है। इसके अलावा मिशन शिक्षण संवाद उत्तराखंड से रोज की गतिविधियों की रिपोर्ट इस ग्रुप में शेयर करते हैं। नये-नये तरीकों पर इसमें बात की जाती हैं। इसमें आज का विचार, श्यामपट्ट कार्य, योग इत्यादि विषय तय किये गये हैं। नवाचारी प्रयासों का समूह है इसका सबसे बड़ा लाभ यह है कि एक विद्यालय में होने वाली गतिविधियों से अन्य विद्यालय परिचित होते हैं। हर सप्ताह नवाचारी शिक्षक के रूप में एक शिक्षक को सम्मानित किया जाता है, उनका पूरा विवरण और काम करे बारे में साझा किया जाता है।

इसके अलावा ‘सामाजिक विज्ञान मंच’ के नाम से बने एक ग्रुप से जुड़ा हुआ हूँ जो पिथौरागढ़ के शैक्षिक स्वैच्छिक मंच द्वारा संचालित किया जाता है। अजीमप्रेमजी फाउण्डेशन की पिथौरागढ़ इकाई द्वारा इसको शुरू किया गया है। इस मंच में भी सामाजिक विज्ञान शिक्षण से जुड़े तमाम गतिविधियों व नवाचारों को शेयर किया जाता है।

नई-नई गतिविधियां, सामाजिक विज्ञान से संबंधित लेख, विभिन्न अखबारों व पत्रिकाओं तथा वेबसाइट्स के लिंक इस ग्रुप में शेयर किये जाते हैं। इसके अलावा एन के उत्तराखंड के नाम से एक ग्रुप है जिसमें एक नवाचारी शिक्षिका स्मृति चौधरी यू-ट्यूब से संबंधित वीडियोज़ के जरिये अपने शिक्षण अनुभवों को शेयर करती रहती हैं। इन विभिन्न ग्रुपों की गतिविधियों को देखते हुए कहा जा सकता है कि आज के दौर नें ह्वाट्सऐप समूह शिक्षण के एक सशक्त माध्यम के रूप में सामने आ रहे हैं। जो गंभीर लोग हैं, जो वास्तव में कुछ सीखना और सिखाना चाहते हैं वे इन समूहों के साथ जुड़कर अपने समय व अनुभव का लाभ न केवल खुद उठा रहे हैं बल्कि दूसरे लोगों तक भी पहुंचा रहे हैं।

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हम किसी भी माध्यम का कैसे इस्तेमाल करते हैं। यह हमारे ऊपर निर्भर करता है। अगर हम केवल लिंक शेयर करने या तस्वीरों को शेयर करने तक सीमित रहते हैं तो वह केवल समय बिताने का जरिया बन जाता है। कई बार यह उबाऊ भी हो जाता है। इस तरह के कुछ ग्रुप हैं भी जो जु़ड़े तो शिक्षकों से हैं लेकिन वहां पर इस तरह की शिक्षा से जुड़ी बातों का अधिक समावेश नहीं दिखाई देता है। वहाँ हल्के-फुल्के चुटकुले या अपने व्यक्तिगत जीवन से जुड़े हुए फोटोग्राफ्स ही अधिक देखने को मिलते हैं। या गुड मॉर्निंग के संदेश हमें मिलते हैं। यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि समूह चलाने वाले लोगों का उद्देश्य कितना स्पष्ट है? वे अपने उद्देश्य के प्रति कितने जागरूक और प्रतिबद्ध हैं।

मुझे लगता है कि अगर पूरी प्रतिब्धता और जागरूकता के साथ इन समूहों को संचालित किया जाये तो ये संवाद के सशक्त माध्यम हैं, सीखने-सिखाने का अच्छा जरिया बन सकते हैं, इसकी ग़ौर करने वाली बात यह है कि ऐसे फोरम पर सब बराबरी में खड़े होते हैं चाहें वे छोटे बच्चे हों या कोई बुजुर्ग हो। वहां किसी की उम्र किसी को कोई बात कहने से रोकता नहीं है। छात्र-छात्राओं द्वारा बेझिझक रूप से अपने सवाल शेयर किये जाते हैं। जो सक्रिय भागीदारी करना चाहते हैं वे सक्रिय भागीदारी करते हैं। जो केवल देखना चाहते हैं वे देखते हैं। किसी के लिए बाध्यता भी नहीं है कि वह ग्रुप में है तो बोले। वह मूकदर्शक रहते हुए भी बहुत कुछ जो ग्रुप के भीतर चल रहा होता है उससे अवगत होते हैं और नये अनुभव को ग्रहण करके समृद्ध भी होते हैं। इस रूप में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका मैं ह्वाट्सऐप की मानता हूँ। हमें इसका सही रूप में उपयोग करना चाहिए।

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