भारत के विभिन्न राज्यों में स्कूल खोलने की तैयारी से जुड़े प्रमुख 5 सवाल क्या हैं?

भारत में स्कूलों के न खुलने की स्थिति में ऑनलाइन माध्यम से बच्चों तक पहुंचने की कोशिश हो रही है।
लगभग एक साल 6 महीने से कोविड-19 के कारण भारत के विभिन्न राज्यों में पूर्व-प्राथमिक शालाओं से लेकर प्राथमिक, उच्च प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च शिक्षा के शैक्षणिक संस्थान बंद है। शिक्षण संस्थान में अगर पढ़ाई हो भी रही है तो वह ऑनलाइन मोड में हो रही है। ज़ूम, टीम, गूगल मीट, फेसबुक लाइव व अन्य माध्यमों जैसे ह्वाट्सऐप या टेलीविज़न व रेडियो प्रोग्राम्स के माध्यम से बच्चों तक पहुंचने की कोशिश हो रही हैं। लेकिन डिजिटल माध्यमों की रीच माध्यमिक से पहले के बच्चों के संदर्भ में काफी कम है।
बच्चों पर क्या हो रहा है असर?
ख़ासतौर पर प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्तर के बच्चों के लिए होने वाले प्रयास पूरी तरह से सभी बच्चों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं, इसके साथ एक ही कक्षा में होने वाले सभी बच्चों के सीखने के अंतर की खाई दिनों-दिन और गहरी होती जा रही है। इसकी बढ़ती खाई का प्रमुख कारण डिजिटल डिवाइड होने के साथ-साथ सामाजिक-आर्थिक कारण भी जिम्मेदार हैं।
लंबे समय से बंद पड़े स्कूलों के कारण बच्चों का अधिकांश समय परिवार या अपने-अपने समुदाय में बीत रहा है, इसके गहरे मनोवैज्ञानिक असर भी पड़े हैं, इसे लेकर विभिन्न सर्वेक्षणों की बात समय-समय पर होती रही है, लेकिन किसी विस्तृत रिपोर्ट के आने का इंतज़ार है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर होने वाले विभिन्न अध्ययन बताते हैं कि बच्चे अपने वर्तमान कक्षा स्तर से एक या डेढ़ साल पीछे हो गये हैं, ख़ासतौर पर उन बच्चों की पढ़ाई सबसे ज्यादा प्रभावित हुई है जो इमरजेंट लिट्रेसी या बुनियादी कौशलों के विकास की अवस्था में हैं। इसमें तीन से पाँच या 6 साल तक के बच्चों को शामिल किया जा सकता है।
अन्य बच्चों के लिए भी खेल के अवसर सीमित हुए हैं। अन्य बच्चों के साथ घुलने-मिलने और बातचीत के दौराने वाले मनो-सामाजिक विकास के अवसरों पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़े हैं, इसलिए यूनिसेफ़ जैसी अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं की तरफ से कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए स्कूलों को खोलने की बात कही जा रही है, लेकिन जो सवाल हमारे सामने हैं और जिनका जवाब मिले बिना इस बारे में कोई भी फैसला करना किसी भी राज्य सरकार के लिए मुश्किल है।
स्कूल खोलने से जुड़े 5 सबसे अहम सवाल
पहला सवाल तो यही है कि क्या सभी शिक्षकों और छोटी उम्र के बच्चों के माता-पिता को कोविड-19 की वैक्सीन मिल गई है।
दूसरा सवाल, स्कूल स्तर पर कोविड-19 से बचाव की क्या तैयारी है? मसलन बुखार की चेकिंग, हाथों की साफ़-सफ़ाई, मॉस्क व सेनेटाइजर की उपलब्धता इत्यादि। बच्चों को कोविड का टीका लगाने जैसी योजना इत्यादि।
तीसरा सवाल अगर बच्चों में कोविड का संक्रमण फैलता है तो हमारे स्थानीय अस्पताल कितने तैयार है? वहाँ पर संसाधनों की क्या उपलब्धता है? इन सवालों का जवाब मिलना जरूरी है क्योंकि दूसरी लहर की चपेट के कारण हुए नुकसान का असर ज़मीनी स्तर पर आज भी महसूस होता है।
चौथी बात, भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में मास्क का इस्तेमाल नहीं के बराबर हो रहा है। कोविड-19 का प्रोटोकॉल वही लोग फॉलों कर रहे हैं जो अत्यंत जागरूक या जिनके लिए इसका पालन करना उनकी संस्था या अन्य कारणों से जरूरी है। ऐसी स्थिति में लोगों के व्यवहार में वास्तविक बदलाव के लिए संचार रणनीति को लेकर हमारी क्या तैयारी है, इस पर काफी कुछ निर्भर करता है। लापरवाही के कारण कोरोना का फैलना भी और उस पर नियंत्रण को तैयारी व सजगता भी।
पाँचवीं बात, कोविड की तीसरी लहर की आशंका चर्चा में है। कहा तो यहाँ तक जा रहा है कि हम अपनी लापरवाही से तीसरी लहर की चपेट में आ सकते हैं क्योंकि कोविड के सक्रिय केसों की संख्या घटने के बाद पूर्व वाली स्थिति फिर से बहाल हो गई है। शॉपिंग मॉल, बड़ी दुकानें, बाज़ार और रोज़मर्रा की रूटीन वाली चीज़ें फिर से खुल गई हैं। स्कूलों को लेकर भी कुछ राज्यों ने घोषणा कर रखी थी कि लेकिन वर्तमान स्थिति को देखते हुए उन्होंने पीछे हटने का फैसला कर लिया।
विभिन्न राज्यों में स्कूल फिर से खोलने को लेकर वर्तमान स्थिति क्या है?
उदाहरण के तौर पर पुड्डूचेरी में स्कूल-कॉलेज को खोलने का फैसला जुलाई के अंत तक के लिए टाल दिया गया है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरी वाल ने कहा कि वर्तमान परिस्थिति में स्कूलों को खोलने का रिस्क नहीं ले सकते हैं।
वहीं महाराष्ट्र सरकार ने 15 जुलाई से स्कूलों की खोलने की अनुमति केवल उन्ही जिलों में दी है जहाँ कोविड-19 के केस शून्य हैं। 35 में से 25 जिलों में स्कूल केवल ग्रामीण क्षेत्रों में खुल रहे हैं, शहरी क्षेत्रों को अभी इसकी अनुमति नहीं दी गई है।
उत्तर प्रदेश में सरकार तीसरी लहर की आशंका को ध्यान में रखते हुए अपनी तैयारी कर रही है और प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्तर के बच्चों के लिए ई-पाठशाला का संचालन कर रही है। समुदाय में प्रेरणा साथी व शिक्षकों के सहयोग से काम करने पर ध्यान दे रही है। ऐसे में स्कूलों को खुलने की कोई निश्चित तिथि सरकार की तरफ से किसी शासनादेश में नहीं आई है। हालांकि निजी विद्यालयों के संचालक कोविड-19 के प्रोटोकॉल का पालन करते हुए स्कूलों की खोलने की अनुमति माँग रहे हैं, लेकिन इसकी अनुमति सरकार की तरफ से नहीं मिली है।
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निःसंदेह स्कूल में बच्चों का सामान्य आवागमन तो खतरे से खाली नही है, पर प्रोटोकॉल का पालन करते हुए स्कूल में नियमित संख्या में बच्चों को पठन पाठन के लिए बुलाया जाना शायद ज्यादा लाभकारी हो।