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पढ़ने की आदत: पाठ्यपुस्तकों के साथ पुस्तकालय के प्रति रुझान बढ़ाना है जरूरी

किसी बच्चे की शैक्षिक संभावनाओं को साकार करने के लिए शिक्षा की बुनियाद का मजूबत होना जरूरी है। इस समझ की झलक राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में साफ़ -साफ़ दिखाई पड़ती है। इस संदर्भ में राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा-फाउण्डेशन स्टेज-2022 में व्यक्त विचार ग़ौर करने योग्य हैं कि बच्चों के मस्तिष्क का विकास शुरूआती वर्षों में काफी तेज़ी से होता है। इन वर्षों में बच्चों को जो अवसर मिलते हैं वे भविष्य के लिए एक मजबूत बुनियाद का निर्माण करते हैं।

उपरोक्त विचार निपुण भारत मिशन के रूप में भी पूरे देश में एक अभियान के रूप में गति हासिल कर रहा है, जिसमें बाल वाटिका से तीसरी कक्षा तक भाषा व गणित के साथ-साथ जीवन कौशलों के विकास को सर्वोच्च प्राथमिकता के साथ शामिल किया गया है। इसके लिए शिक्षक प्रशिक्षणके माध्यम से भाषा और गणित शिक्षण को रोचक और आधुनिक बनाने, पुस्तकालय को सक्रिय बनाने और बच्चों में पढ़ने की आदत का विकास करने पर पर्याप्त ध्यान दिया जा रहा है। विभिन्न राज्यों में होने वाले प्रयासों की चर्चा हो रही है और एक-दूसरे से सीखने की कोशिश भी शीर्ष स्तर पर दिखाई दे रही है।

ख़ास बात है कि भाषा शिक्षण के लिए समन्वित तरीके (कांप्रिहेंसिल लिट्रेसी अप्रोच) अपनाने की बात कही गई है। यानि भाषा सिखाने का तरीका ऐसा हो जिससे बच्चों का मौखिक भाषाई कौशल उन्नत हो और इसके साथ ही साथ उनमें डिकोडिंग की क्षमता यानि ध्वनि-प्रतीक की आधारभूत समझ के जरिये किसी अक्षर को पहचानने, शब्दों को पढ़ने की क्षमता विकसित हो और इसके साथ-साथ बच्चे समझ के साथ पढ़ने की क्षमता हासिल कर सकें।कक्षा-कक्ष में जिस टॉपिक पर चर्चा हो रही है उसे अपने वास्तविक जीवन से जोड़ सकें ऐसे प्रयास निरंतरता हासिल कर रहे हैं।

हाल ही में एक शिक्षक साथी ने कक्षा-2 के बच्चों को पढ़ाने के अनुभव का जिक्र करते हुए कहा कि अब बच्चे खेल के साथ-साथ किताबों में रुचि ले रहे हैं। वे चित्रों पर आपस में चर्चा करते हैं। जिन शब्दों व वाक्यों को पढ़ सकते हैं, उसकी मदद से कहानी के सार को समझने की कोशिश कर रहे हैं। किताबों की तरफ उनका अचानक से बढ़ा रुझान प्रोत्साहित करने वाला है। जब भी बच्चे पढ़ाई से बोर होने लगते हैं हम किसी कहानी सुनने, कविता की तरफ या स्वतंत्र पठन की तरफ बढ़ जाते हैं। इससे बच्चों को नयापन मिलता है और वे अपने कौशलों का इस्तेमाल करे आत्मविश्वास हासिल कर रहे हैं। शिक्षक साथी का यह अनुभव पुस्तकालय की सक्रियता और जीवंतता की तरफ संकेत करता है जहाँ बच्चे अपनी मर्जी और पसंद से किताब का चुनाव कर रहे हैं, अपनी पसंद की कहानी पढ़ रहे हैं।

कहानी को समझने के लिए केवल शब्दों पर निर्भरता से परे भी जाने कोशिश कर रहे हैं और चित्रों की मदद से ही कहानी का अनुमान लगा ले रहे हैं। यह प्रयास देखने में भले छोटे लग रहे हों, मगर समझ के साथ पढ़ने की मजबूत बुनियाद का निर्माण करने वाले प्रयास हैं। ऐसे प्रयासों को रेखांकित करने और उनको निरंतरता देने की आवश्यकता है क्योंकि यही प्रयास वास्तव में समझ के साथ पढ़ने का लक्ष्य हासिल करने में मददगार साबित होंगे। शिक्षक साथी ने अपनी बात साझा करते हुए कहा कि गणित पर काम करना, भाषा पर काम करने की तुलना में थोड़ा आसान लगा। यहाँ परिणाम मिल रहे हैं और बच्चों में अवधारणाओं की समझ विकसित हो रही है। लेकिन भाषा कालांश में काम करना काफी चुनौतीपूर्ण है।

बुनियादी संख्या ज्ञान या गणितीय चिंतन की क्षमता का विकास निपुण भारत मिशन के बेहद महत्वपूर्ण लक्ष्यों में से एक है। एक ख़ास बात जिसका जिक्र यहाँ करने की जरूरत है कि कक्षा तीन तक इन लक्ष्यों को हासिल करने की बात क्यों हो रही है? इस सवाल का एक जवाब है कि यह एक ऐसा बिंदु (टिपिंग प्वाइंट) है जहाँ से फ्लाइट टेक ऑप यानि उड़ान भरने वाली स्थिति शुरू होती है। अगर यहाँ तक की तैयारी अच्छी रही तो बच्चे प्राथमिक शिक्षा के आकाश में सफलता के साथ सफ़र करेंगे और इसके साथ ही साथ उच्च प्राथमिक स्तर पर भी उनके शैक्षिक सफलता और ज्ञान के विभिन्न दायरों तक उनके पहुंच की संभावनाएं भी काफी बढ़ जाएंगी। भाषा शिक्षण की भांति गणित शिक्षण भी काफी रोचक है।

(आप एजुकेशन मिरर को फ़ेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो कर सकते हैं। अपने आलेख और सुझाव भेजने के लिए ई-मेल करें mystory@educationmirror.org पर और ह्वाट्सऐप पर जुड़ें 9076578600 )

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