पठन कौशल के विकास की राह पर बच्चे

बच्चे, पढ़ना सीखना, बच्चे का शब्द भण्डार कैसे बनता हैहर बार की स्कूल विज़िट में कुछ न कुछ ख़ास दिखाई देता है। इस बार स्कूल में एक नई बात देखने को मिली जो बच्चे पहले पढ़ने, बोर्ड पर आने और कुछ बताने से घबराते थे। वे भी अब आत्मविश्वास के साथ सीखने की दिशा में क़दम बढ़ा रहे थे।

एक ऐसे ही बच्चे ने आज कुछ अक्षर पढ़े, मात्राओं के लगने के बाद होने वाले परिवर्तन को पकड़ने की कोशिश की। जब मैं अन्य बच्चे से बात कर रहा था तो वह पीछे खड़ा होकर देख रहा था कि अन्य बच्चे क्या जवाब दे रहे हैं। पहली क्लास के बच्चे की यह सहजता सुखद है।

बच्चों के ऐसे व्यवहार से लगता है कि उनकी कक्षा में कुछ तो ऐसा हो रहा है जो इन बच्चों को सहज बना रहा था। हर बच्चे के सीखने की रफ्तार अलग-अलग है। मगर हर बच्चा सीख रहा है, यह बात बहुत मायने रखती है। जो कुछ नहीं सीख रहे थे, वे अक्षर सीख रहे हैं। मात्राओं को पहचानना सीख रहा है।

समझ के साथ पढ़ने की कोशिश

बाकी बच्चे अक्षरों के साथ मात्राओं के लगने के बाद होने वाले परिवर्तन को पकड़ पा रहे हैं। क्लास में ऐसे बच्चे भी हैं जो चीज़ों को समझते हुए पढ़ने की कोशिश कर रहे हैं और पढ़ने के बाद संबंधित सामग्री से जुड़े सवालों क जवाब भी दे पा रहे हैं। वे सही और गलत के निशान को साफ-साफ पहचान पा रहे हैं। पहली आवाज़ उनके लिए एक खे की तरह हो गई है। कोई भी शब्द बताओ, वे उसकी पहली आवाज़ फट से बताते हैं। इस अभ्यास ने उनको वर्णों की सटीक पहचान और उससे सबंधित शब्दों को पहचानने वाली क्षमता का विकास किया है।

पहली क्लास बच्चों का शब्दकोश विकसित हो रहा है। इसका आधार बच्चों से होने वाली सार्थक बातचीत है। अगर बच्चों को कोई बात उदाहरण के साथ समझाई जाती है तो वे जल्दी से समझ पाते हैं। पहली क्लास के बच्चे दूध देने वाले और पालतू पशुओं के नाम बता पाते हैं। फलों के नाम भी बता रहे हैं। कुछ बच्चे तो जानवरों, फलों के नाम लिख भी सकते हैं और पढ़ भी सकते हैं। मगर उनके लिए सबसे ख़ास तो अपना नाम लिखना और पढ़ पाना है।

वे अपने गाँव, आसपास की जगहों और ज़िले का नाम भी पढ़ पा रहे हैं। जो गीत उनको अच्छे लगते हैं वे क्लास में दोहराते हैं, जब उनका मन होता है। अज वे क्लास में गा रहे थे, मोटर चली, मोटर चली पम पम। एक फिल्मी गाने की इन पंक्तियों के हर बार हम अलग-अलग तरीके से गाते हैं। मुख्य धुन वही रहती है। बस उसके शब्द बदल जाते हैं। एक बार तो हमने इन शब्दों को लिखकर पढ़ने की कोशिश भी भाषा के कालांश के दौरान की बच्चों के लिए उसको पहचानना और पढ़ना काफी आसान था। उनको ऐसा करने में ख़ुशी भी महसूस हो रही थी।

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