स्कूल लाइफः अभी तो जंगल जलेबी और केरी खाने के दिन हैं
राजस्थान में नये शैक्षिक सत्र 2016-17 की औपचारिक शुरुआत हो गई है। स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों का नाम अगली कक्षा के रजिस्टर में लिखा जा रहा है। आज एक स्कूल में सारे शिक्षक नये रजिस्टरों और डायरियों पर कवर चढ़ा रहे थे। चित्र बना रहे थे।
इस दौरान वरिष्ठ साथियों के सुझाव भी ले रहे थे कि देखने में कैसा लग रहा है? अगर आपका स्कूल ज़िले के सर्वश्रेष्ठ स्कूलों में शामिल हो तो ऐसी छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखना ही पड़ता है।
जंगल जलेबी तोड़ने का आंनद
दोपहर की छुट्टी में बच्चे स्कूल में जंगल जलेबी के पेड़ से जलेबियां तोड़ रहे थे। बाकी बच्चों को बांट रहे थे। जिनको स्कूल के कैंपस में जगह नहीं मिली, वे स्कूल के पीछे वाले पेड़ पर जलेबी तोड़ने और खाने वाले खेल का आनंद ले रहे थे। कुछ वहीं कुछ बच्चे कैरम खेल रहे थे। तो कुछ बच्चे लायब्रेरी में अपने पसंद की किताबें खोज और पढ़ रहे थे। पूरे स्कूल में हर कोई अपने-अपने काम में व्यस्त था। पहली क्लास के बच्चों से आज लंबे समय बाद मिलना हो रहा था।
हम तो दूसरी क्लास में पढ़ते हैं
उनसे जब पूछा गया कि पहली क्लास में कौन-कौन पढ़ता है? तो उनका जवाब था कि हम ‘बीजी’ (यानी दूसरी) में पहुंच गये। यह कहते हुए उनके चेहरे खिले हुए थे। एक आत्मविश्वास उनके चेहरों से झलक रहा था। एक लड़के ने ख़ुशी-ख़ुशी बताया कि वह क्लास में फर्स्ट आया है। चौथी क्लास में पढ़ने वाली एक लड़की ने बताया कि वह क्लास में फर्स्ट आई है। पहली क्लास के किसी बच्चे ने ऐसी कोई बात नहीं कही। उनकी जुंबा पर बस एक ही बात थी कि हम तो दूसरी में पहुंच गये। इसी तरीके से दूसरी कक्षा के बच्चे तीसरी में और तीसरी के बच्चे चौथी क्लास में पहुंच गये।
नये स्कूल और क्लास में तालमेल बैठाने का समय
आठवीं के बच्चे 9वीं में एडमीशन ले रहे हैं। नये स्कूल से पाँचवी पास करके भी छात्र इस स्कूल में आ रहे हैं। उनकी बाकी बच्चों से दोस्ती हो रही है। स्कूल में नया एडमीशन लेने वाले बच्चों को इस स्कूल के बच्चे पूरे माहौल से अवगत करा रहे हैं। वे उनको अपने स्कूल की लायब्रेरी दिखा रहे थे। उनके साथ खेल रहे थे। कुछ दिनों बाद स्कूल की छुट्टियां होने वाली हैं। गरमी अपने चरम पर है। मगर बच्चों के पाँव में तो मानो पहिये लगे हुए हैं। वे एक जगह से दूसरी जगह घूम रहे हैं। खेल रहे हैं। आम, जंगल जलेबी और इमली की आनंद ले रहे हैं।
नये स्कूल में एडमीशन के बाद बच्चों के क्या अनुभव होते हैं? इस मुद्दे पर अगली पोस्ट में चर्चा करते हैं।
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