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ऐसा हुआ तो सरकारी स्कूलों में नर्सरी से होगी पढ़ाई

एजुकेशन मिरर, आंगनाबाड़ी की स्थिति

आंगनबाड़ी केंद्र में खेलते बच्चे। भारत में लंबे समय से यह मांग की जा रही है कि सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के प्री-स्कूलिंग के लिए भी क़दम उठाना चाहिए ताकि इन बच्चों को भविष्य की पढ़ाई के लिए पहले से तैयार किया जा सके। उनको पढ़ने और किताबों के आनंद से रूपरू करवाया जा सके।

शीघ्र ही सरकारी स्कूलों में बच्चों का प्रवेश पहली कक्षा की बजाय नर्सरी से शुरू हो सकता है। पूर्व-प्राथमिक शिक्षा और माध्यमिक शिक्षा को शिक्षा का अधिकार क़ानून के दायरे में लाने के लिए बनी समिति अपनी रिपोर्ट को अंतिम रूप देने की तैयारी में लगी हुई है।

हिंदुस्तान टाइम्स में प्रकाशित एक ख़बर के मुताबिक़ इस बात के संकेत हैं कि सरकारी स्कूलों में नर्सरी से पढ़ाई का प्रारंभ हो सकता है।

नर्सरी से शुरू होगी पढ़ाई?

वर्तमान में शिक्षा का अधिकार क़ानून पहली कक्षा से आठवीं कक्षा तक के लिए है। इसके अनुसार 6 साल से 14 साल तक के बच्चों को सरकारी स्कूलों में मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा पाने का हक़ है। इसके साथ ही बच्चों को सरकारी स्कूल में मिड डे मील भी दिया जाता है।

ऐसा माना जा रहा है कि सरकार भी इस प्रस्ताव के समर्थन में है। अगर सरकारी स्कूलों में नर्सरी और किंडरगार्टेन से प्रवेश शुरू होता है तो इसका भार निजी स्कूलों को भी उठाना पड़ सकता है। वर्तमान में निजी स्कूल पहली से आठवीं कक्षा तक आर्थिक रूप से कमज़ोर तबके के 25 फीसदी बच्चों को शिक्षा का अधिकार कानून के तहत प्रवेश देते हैं।  

नर्सरी और माध्यमिक शिक्षा को शिक्षा का अधिकार कानून के दायरे में लाने के मुद्दे पर पर सेंट्रल अडवाइजरी बोर्ड ऑफ एजुकेशन (सीएबीई) की बैठक में विचार किया जाएगा। यह केंद्र और राज्य सरकारों को शिक्षा पर सलाह देने वाले सर्वोच्च समिति है। हाल ही में इस समिति की एक बैठक हुई है। यह समिति आने वाले दिनों में अपनी रिपोर्ट पेश कर सकती है।

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