शिक्षा मनोविज्ञान में रुचि क्या है?
आमतौर पर रुचि को किसी चीज़ में दिलचस्पी या उसे पसंद करने के रूप में देखा जाता है। शिक्षा मनोविज्ञान में रूचि क्या है? इसका निर्माण कैसे होता है? अच्छी रुचियों को उत्पन्न करने के क्या तरीके हो सकते हैं, ऐसे सवालों पर विचार किया जाता है।
उदाहरण के तौर पर बहुत से स्कूलों में कोशिश होती है कि बच्चों की पढ़ने में रुचि बढ़ाई जाए, ताकि बच्चे कोर्स के अलावा बाकी किताबें भी पढ़ें। इसी तरीके से बच्चों की खेलों में रूचि विकसित करने की बात होती है ताकि वे लोगों के साथ घुले-मिलें। केवल टेलीविज़न, स्मार्ट फोने या वीडियो गेम्स से खेलते रहें।
रुचि क्या है?
मनोवैज्ञानित स्टाउट व रॉस के अनुसार, “यह महत्वपूर्ण होती है और इसमें लगाव होता है।” जैसे अगर किसी की क्रिकेट का खेल देखने में रुचि है तो वह जब भी कोई महत्वपूर्ण मैच टेलीविज़न पर आ रहा होगा, इसे देखना चाहेगा। या फिर रेडियो पर प्रसारित होने वाली कमेंट्री से इसकी अपडेट हासिल करना चाहेगा कि मैच में क्या हो रहा है?
क्रो के अनुसार, “रूचि व प्रेरक शक्ति है जो हमें किसी व्यक्ति, वस्तु या क्रिया के प्रति ध्यान देने के लिए प्रेरित करती है।”
रूचि होने या न होने के कारण हम चीज़ों में अंतर या फर्क करके देखते हैं। अपनी पसंद या नापसंद का निर्धारण करते हैं। रूचि जन्मजात व अर्जित दोनों होती है। जैसे किसी को बचपन से ही संगीत सीखने या किसी वाद्य यंत्र को बजाने में रूचि होती है। जिसके प्रशिक्षण द्वारा वे अपनी रूचि को प्रोफ़ेशनल तरीके से करियर के रूप में विकसित करते हैं।
रुचि की विशेषता
रूचि के मुख्य रूप से तीन पहलू हैं। पहली है जानना, दूसरा है अनुभव करना और तीसरा है इच्छा करना। किसी चीज़ को जानने से उसके प्रति एक सहज अनुराग पैदा होता है। उसका अनुभव होने से हम पसंद या नापसंद का निर्धारण करते हैं। यही बात आगे जाकर उसके प्रति इच्छा या अनिच्छा का रूप लेती है।
- जानना
- अनुभव
- और इच्छा करना
बालकों में कैसे करें रुचि का विकास
- बालकों को चीज़ों से रूबरू होने का अवसर देकर रुचि का विकास कर सकते हैं। जैसे स्कूलों में लायब्रेरी कालांश में बच्चों को अपने पसंद की किताब चुनने और देखने का अवसर देकर हम बच्चों की किताबों में रुचि जाग्रत करते हैं। बच्चों को अपने पसंद को अभिव्यक्ति करने और जानने का मौका देते हैं।
- रचनात्मक गतिविधियों में बच्चों की रुचि होती है, अतः बच्चों से ऐसे सवाल पूछे जा सकते हैं जो उनकी रुचि को बढ़ावा दें। जैसे फलां किताब की कहानी अपने शब्दों में लिखिए। ऐसे सवाल लायब्रेरी का उपयोग करने वाले बच्चों को दिया जा सकता है।
- ज्ञात चीज़ों से अज्ञात की तरफ ले जाना
- बालकों की रूचि के अनुरूप पाठ्य सामग्री का चुनाव
- किसी पाठ को पढ़ाना का तरीका अगर रोचक हो तो उस विषय विशेष को सीखने में बच्चों की रूचि काफी बढ़ जाती है। ऐसी बातों का भी ध्यान रखा जा सकता है।
उपरोक्त तरीके से बच्चों में नयी रुचियों का विकास किया जा सकता है।
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